बिहार के लिए एक अप्रत्याशित और चिंताजनक मौसम चेतावनी जारी की गई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 30 अक्टूबर, 2025 को सुबह 8:12 बजे पटना सहित नौ जिलों के लिए पीली चेतावनी जारी की, जिसका कारण है साइक्लोन मोंथा का बंगाल की खाड़ी में विकास। इस चेतावनी के तहत, अगले तीन दिनों तक तेज हवाएं, बिजली और भारी बारिश का अनुमान है, जिसका असर राज्य के लाखों लोगों पर पड़ने वाला है — खासकर जब यह समय चहथ पूजा के त्योहार के तैयारी के दौरान है।
कौन-से जिले सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अत्यधिक भारी बारिश की संभावना ईस्ट चंपारण, वेस्ट चंपारण, गोपालगंज, सिवान, मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा और सुपौल में है। इनके अलावा, वैशाली, सरन, मुजफ्फरपुर, सहरसा, बुक्सर, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और शिवहर में भी भारी बारिश का अनुमान है। ये जिले अक्सर बाढ़ के लिए जाने जाते हैं — अब यह खतरा और बढ़ गया है।
तापमान और आर्द्रता: क्या है वास्तविक स्थिति?
30 अक्टूबर को पटना का तापमान 29-24°C के बीच रहने का अनुमान है, जबकि आर्द्रता 90/88% तक पहुंच सकती है। ये आंकड़े द डेली जगरण की रिपोर्ट से लिए गए हैं। लेकिन यहां एक अजीब अंतर है — Climate-Data.org के अनुसार, पटना में तापमान केवल 20-21°C रह सकता है, जो अन्य सभी स्रोतों के अनुमान (95°F यानी 35°C तक) से काफी कम है। क्या यह एक डेटा त्रुटि है? या क्या कोई अन्य वातावरणीय कारक जैसे बारिश के बाद ठंडक आ रही है? विशेषज्ञ अभी इस पर विचार कर रहे हैं।
दूसरी ओर, AccuWeather के अनुसार, 30 अक्टूबर को तापमान 95°F (35°C) तक पहुंच सकता है, जबकि 1 नवंबर तक यह 87°F (30.5°C) तक गिर सकता है। यह एक तेज गिरावट है — जैसे एक गर्मी की लहर के बाद अचानक बारिश आ गई हो। इसका मतलब है कि लोगों को न सिर्फ बारिश से बचना है, बल्कि तापमान में तेज उतार-चढ़ाव से भी निपटना है।
चहथ पूजा के लिए एक बड़ा चुनौती
यह सब तब हो रहा है जब बिहार और झारखंड के करोड़ों लोग चहथ पूजा के लिए तैयार हो रहे हैं। यह त्योहार गंगा और दोहरी नदियों के किनारे आयोजित होता है, जहां भक्त अपने देवता को जल के सामने प्रसाद चढ़ाते हैं। लेकिन अगर बारिश हो गई, तो ये अनुष्ठान कैसे होंगे? क्या लोग नदियों के किनारे जाएंगे? या घरों में ही पूजा करेंगे? यह एक आध्यात्मिक और सामाजिक चुनौती है।
कुछ धार्मिक संगठन अभी तक निर्णय नहीं ले पाए हैं। एक स्थानीय पंडित ने कहा, “हम देवता के लिए जल चढ़ाते हैं, लेकिन अगर जल बह रहा है, तो हम क्या करें? यह देवता की इच्छा है या बस मौसम का खेल?” यह सवाल अब हर घर में उठ रहा है।
क्या यह असामान्य है?
अक्टूबर में बिहार में बारिश आम बात नहीं है। Weather25.com के अनुसार, इस महीने के दौरान औसतन केवल 3 से 8 दिन बारिश होती है, और कुल वर्षा 97 मिमी तक होती है। लेकिन इस बार, साइक्लोन मोंथा ने यह नियम तोड़ दिया है। यह न केवल अधिक बारिश ला रहा है, बल्कि उसे अचानक और तीव्र बना रहा है।
इसी साल के अगस्त में, साइक्लोन बास्कर ने बिहार के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की थी, लेकिन उसका असर केवल एक दिन तक रहा। इस बार, चेतावनी तीन दिनों तक लगी हुई है — और यह अभी शुरुआत है।
अगले कदम: क्या करें?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पीली चेतावनी के तहत लोगों को अपने घरों में रहने, बारिश के दौरान बाहर न निकलने और बिजली के खतरे से सावधान रहने की सलाह दी है। स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन टीमों को तैनात कर दिया है। अस्पतालों में ड्रग्स और आपातकालीन सामग्री की आपूर्ति बढ़ा दी गई है।
लेकिन सबसे बड़ी चिंता ग्रामीण क्षेत्रों की है — जहां सड़कें बुरी तरह से खराब हैं, और बारिश के बाद जलने वाली नदियां अक्सर घरों तक पहुंच जाती हैं। क्या यहां के लोगों के लिए बचाव की व्यवस्था है? अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पीली चेतावनी का मतलब क्या है?
पीली चेतावनी का मतलब है कि मौसम की स्थिति खतरनाक है और सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के रंग-कोडिंग प्रणाली में दूसरी सबसे ऊंची चेतावनी है — हरी (कोई चेतावनी नहीं), पीली (सावधानी), नारंगी (चेतावनी) और लाल (खतरा)। इस दौरान तेज हवाएं, बिजली और भारी बारिश की संभावना होती है।
चहथ पूजा के लिए क्या व्यवस्था की जा रही है?
अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन कई मंदिर और समुदाय घरों में छोटी पूजा के लिए तैयारी कर रहे हैं। कुछ जिलों में नदियों के किनारे अस्थायी आवास बनाए जा रहे हैं, लेकिन बारिश के कारण उनकी विश्वसनीयता संदेहास्पद है। राज्य सरकार ने एक अतिरिक्त निर्देश जारी किया है कि यदि बारिश बहुत भारी हो जाए, तो त्योहार को स्थानांतरित किया जा सकता है।
क्या यह साइक्लोन इस साल का पहला है?
नहीं, यह साल का दूसरा बड़ा साइक्लोन है। अगस्त में साइक्लोन बास्कर ने बिहार के दक्षिणी हिस्सों को प्रभावित किया था, लेकिन उसका असर केवल 24 घंटे तक रहा। इस बार, मोंथा लंबे समय तक रहने वाला है और बारिश का असर तीन दिनों तक रहेगा। यह एक नया पैटर्न है — जो जलवायु परिवर्तन के संकेत हो सकते हैं।
बिहार में अक्टूबर में बारिश क्यों असामान्य है?
बिहार में बारिश का मुख्य मौसम जून से सितंबर होता है। अक्टूबर में मौसम आमतौर पर सूखा और गर्म होता है। इस साल, साइक्लोन मोंथा के कारण बंगाल की खाड़ी से नमी का बहाव बिहार तक पहुंच रहा है, जो इसकी सामान्य जलवायु व्यवस्था को बदल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी घटनाएं अब अधिक आम हो रही हैं।
क्या पटना के लिए बाढ़ का खतरा है?
हां, खासकर यदि बारिश लगातार 24 घंटे तक बरकरार रही। पटना के कई इलाके पहले से ही जलने वाली नदियों के निकट हैं, जैसे गंगा और दोहरी। अगर बारिश लगातार बरसती रही, तो नदियों का स्तर तेजी से बढ़ सकता है। राज्य के जल निदेशालय ने बाढ़ नियंत्रण टीमों को तैनात कर दिया है, लेकिन आपातकालीन योजनाएं अभी भी पर्याप्त नहीं हैं।
मौसम के अनुमानों में अंतर क्यों है?
अलग-अलग स्रोत अलग-अलग मॉडल और डेटा स्रोतों का उपयोग करते हैं। जबकि AccuWeather और Timeanddate.com गर्मी के अनुमान देते हैं, Climate-Data.org ने बारिश के बाद तापमान में गिरावट को ध्यान में रखा है। यह अंतर एक बारिश के बाद ठंडक के अचानक आने के कारण हो सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि असली तापमान रात में गिर जाएगा, लेकिन दिन में नमी के कारण गर्मी बनी रहेगी।