बिहार में साइक्लोन मोंथा के असर से पटना सहित 9 जिलों में पीली चेतावनी, चहथ पूजा से पहले भारी बारिश का खतरा

बिहार में साइक्लोन मोंथा के असर से पटना सहित 9 जिलों में पीली चेतावनी, चहथ पूजा से पहले भारी बारिश का खतरा
Anindita Verma अक्तू॰ 30 19 टिप्पणि

बिहार के लिए एक अप्रत्याशित और चिंताजनक मौसम चेतावनी जारी की गई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 30 अक्टूबर, 2025 को सुबह 8:12 बजे पटना सहित नौ जिलों के लिए पीली चेतावनी जारी की, जिसका कारण है साइक्लोन मोंथा का बंगाल की खाड़ी में विकास। इस चेतावनी के तहत, अगले तीन दिनों तक तेज हवाएं, बिजली और भारी बारिश का अनुमान है, जिसका असर राज्य के लाखों लोगों पर पड़ने वाला है — खासकर जब यह समय चहथ पूजा के त्योहार के तैयारी के दौरान है।

कौन-से जिले सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अत्यधिक भारी बारिश की संभावना ईस्ट चंपारण, वेस्ट चंपारण, गोपालगंज, सिवान, मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा और सुपौल में है। इनके अलावा, वैशाली, सरन, मुजफ्फरपुर, सहरसा, बुक्सर, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और शिवहर में भी भारी बारिश का अनुमान है। ये जिले अक्सर बाढ़ के लिए जाने जाते हैं — अब यह खतरा और बढ़ गया है।

तापमान और आर्द्रता: क्या है वास्तविक स्थिति?

30 अक्टूबर को पटना का तापमान 29-24°C के बीच रहने का अनुमान है, जबकि आर्द्रता 90/88% तक पहुंच सकती है। ये आंकड़े द डेली जगरण की रिपोर्ट से लिए गए हैं। लेकिन यहां एक अजीब अंतर है — Climate-Data.org के अनुसार, पटना में तापमान केवल 20-21°C रह सकता है, जो अन्य सभी स्रोतों के अनुमान (95°F यानी 35°C तक) से काफी कम है। क्या यह एक डेटा त्रुटि है? या क्या कोई अन्य वातावरणीय कारक जैसे बारिश के बाद ठंडक आ रही है? विशेषज्ञ अभी इस पर विचार कर रहे हैं।

दूसरी ओर, AccuWeather के अनुसार, 30 अक्टूबर को तापमान 95°F (35°C) तक पहुंच सकता है, जबकि 1 नवंबर तक यह 87°F (30.5°C) तक गिर सकता है। यह एक तेज गिरावट है — जैसे एक गर्मी की लहर के बाद अचानक बारिश आ गई हो। इसका मतलब है कि लोगों को न सिर्फ बारिश से बचना है, बल्कि तापमान में तेज उतार-चढ़ाव से भी निपटना है।

चहथ पूजा के लिए एक बड़ा चुनौती

चहथ पूजा के लिए एक बड़ा चुनौती

यह सब तब हो रहा है जब बिहार और झारखंड के करोड़ों लोग चहथ पूजा के लिए तैयार हो रहे हैं। यह त्योहार गंगा और दोहरी नदियों के किनारे आयोजित होता है, जहां भक्त अपने देवता को जल के सामने प्रसाद चढ़ाते हैं। लेकिन अगर बारिश हो गई, तो ये अनुष्ठान कैसे होंगे? क्या लोग नदियों के किनारे जाएंगे? या घरों में ही पूजा करेंगे? यह एक आध्यात्मिक और सामाजिक चुनौती है।

कुछ धार्मिक संगठन अभी तक निर्णय नहीं ले पाए हैं। एक स्थानीय पंडित ने कहा, “हम देवता के लिए जल चढ़ाते हैं, लेकिन अगर जल बह रहा है, तो हम क्या करें? यह देवता की इच्छा है या बस मौसम का खेल?” यह सवाल अब हर घर में उठ रहा है।

क्या यह असामान्य है?

अक्टूबर में बिहार में बारिश आम बात नहीं है। Weather25.com के अनुसार, इस महीने के दौरान औसतन केवल 3 से 8 दिन बारिश होती है, और कुल वर्षा 97 मिमी तक होती है। लेकिन इस बार, साइक्लोन मोंथा ने यह नियम तोड़ दिया है। यह न केवल अधिक बारिश ला रहा है, बल्कि उसे अचानक और तीव्र बना रहा है।

इसी साल के अगस्त में, साइक्लोन बास्कर ने बिहार के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की थी, लेकिन उसका असर केवल एक दिन तक रहा। इस बार, चेतावनी तीन दिनों तक लगी हुई है — और यह अभी शुरुआत है।

अगले कदम: क्या करें?

अगले कदम: क्या करें?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पीली चेतावनी के तहत लोगों को अपने घरों में रहने, बारिश के दौरान बाहर न निकलने और बिजली के खतरे से सावधान रहने की सलाह दी है। स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन टीमों को तैनात कर दिया है। अस्पतालों में ड्रग्स और आपातकालीन सामग्री की आपूर्ति बढ़ा दी गई है।

लेकिन सबसे बड़ी चिंता ग्रामीण क्षेत्रों की है — जहां सड़कें बुरी तरह से खराब हैं, और बारिश के बाद जलने वाली नदियां अक्सर घरों तक पहुंच जाती हैं। क्या यहां के लोगों के लिए बचाव की व्यवस्था है? अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पीली चेतावनी का मतलब क्या है?

पीली चेतावनी का मतलब है कि मौसम की स्थिति खतरनाक है और सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के रंग-कोडिंग प्रणाली में दूसरी सबसे ऊंची चेतावनी है — हरी (कोई चेतावनी नहीं), पीली (सावधानी), नारंगी (चेतावनी) और लाल (खतरा)। इस दौरान तेज हवाएं, बिजली और भारी बारिश की संभावना होती है।

चहथ पूजा के लिए क्या व्यवस्था की जा रही है?

अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन कई मंदिर और समुदाय घरों में छोटी पूजा के लिए तैयारी कर रहे हैं। कुछ जिलों में नदियों के किनारे अस्थायी आवास बनाए जा रहे हैं, लेकिन बारिश के कारण उनकी विश्वसनीयता संदेहास्पद है। राज्य सरकार ने एक अतिरिक्त निर्देश जारी किया है कि यदि बारिश बहुत भारी हो जाए, तो त्योहार को स्थानांतरित किया जा सकता है।

क्या यह साइक्लोन इस साल का पहला है?

नहीं, यह साल का दूसरा बड़ा साइक्लोन है। अगस्त में साइक्लोन बास्कर ने बिहार के दक्षिणी हिस्सों को प्रभावित किया था, लेकिन उसका असर केवल 24 घंटे तक रहा। इस बार, मोंथा लंबे समय तक रहने वाला है और बारिश का असर तीन दिनों तक रहेगा। यह एक नया पैटर्न है — जो जलवायु परिवर्तन के संकेत हो सकते हैं।

बिहार में अक्टूबर में बारिश क्यों असामान्य है?

बिहार में बारिश का मुख्य मौसम जून से सितंबर होता है। अक्टूबर में मौसम आमतौर पर सूखा और गर्म होता है। इस साल, साइक्लोन मोंथा के कारण बंगाल की खाड़ी से नमी का बहाव बिहार तक पहुंच रहा है, जो इसकी सामान्य जलवायु व्यवस्था को बदल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी घटनाएं अब अधिक आम हो रही हैं।

क्या पटना के लिए बाढ़ का खतरा है?

हां, खासकर यदि बारिश लगातार 24 घंटे तक बरकरार रही। पटना के कई इलाके पहले से ही जलने वाली नदियों के निकट हैं, जैसे गंगा और दोहरी। अगर बारिश लगातार बरसती रही, तो नदियों का स्तर तेजी से बढ़ सकता है। राज्य के जल निदेशालय ने बाढ़ नियंत्रण टीमों को तैनात कर दिया है, लेकिन आपातकालीन योजनाएं अभी भी पर्याप्त नहीं हैं।

मौसम के अनुमानों में अंतर क्यों है?

अलग-अलग स्रोत अलग-अलग मॉडल और डेटा स्रोतों का उपयोग करते हैं। जबकि AccuWeather और Timeanddate.com गर्मी के अनुमान देते हैं, Climate-Data.org ने बारिश के बाद तापमान में गिरावट को ध्यान में रखा है। यह अंतर एक बारिश के बाद ठंडक के अचानक आने के कारण हो सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि असली तापमान रात में गिर जाएगा, लेकिन दिन में नमी के कारण गर्मी बनी रहेगी।

19 टिप्पणि
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    Aravinda Arkaje अक्तूबर 31, 2025 AT 21:57

    ये मौसम तो बस अब बिहार का नया नियम बन गया है। हर साल कुछ न कुछ नया आ रहा है। पहले बाढ़, अब साइक्लोन, अगले साल क्या? बर्फ की बूंदें? 😅 लेकिन असली बात ये है कि हम इसके लिए तैयार क्यों नहीं हैं? घर-घर में बारिश के लिए तैयारी करो, न कि देवता के लिए।

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    kunal Dutta नवंबर 1, 2025 AT 02:01

    अरे भाई, ये Climate-Data.org और AccuWeather का तापमान अंतर तो बस एक मॉडलिंग अनिश्चितता है। जब तक आर्द्रता 90% है, तब तक थर्मामीटर का पाठ्यांक बिल्कुल भी विश्वसनीय नहीं। डायनामिक एडवेक्शन, लेस एवेपोट्रांस्पिरेशन, और बैंड विस्तार इफेक्ट्स को नजरअंदाज कर रहे हो। ये तो बस एक फ्लो डायनामिक्स फेस्टिवल है।

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    Yogita Bhat नवंबर 1, 2025 AT 17:17

    चहथ पूजा के लिए जल चढ़ाना है? तो जल का इंतजार करो न कि देवता का। अगर नदी बह रही है, तो उसकी आवाज़ सुनो - वो भी एक प्रार्थना है। ये मौसम बस ये कह रहा है: 'अपनी रस्मों को बदलो, न कि मेरा रास्ता।' ये देवता नहीं, ये पृथ्वी है जो बोल रही है।

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    Tanya Srivastava नवंबर 3, 2025 AT 10:16

    अरे यार ये साइक्लोन मोंथा क्या है? अब तो मोंथा भी ट्रेंड कर रहा है? 😂 और ये Climate-Data.org का 20°C वाला नंबर? ये तो डेटा जाल है! मैंने अपने घर के बाहर थर्मामीटर लगाया था - 32°C था! अब ये विशेषज्ञ कहाँ से आए हैं? जो बैठकर गूगल से डेटा कॉपी-पेस्ट करते हैं?

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    Ankur Mittal नवंबर 4, 2025 AT 09:28

    पीली चेतावनी = घर में रहो। सरल।

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    Diksha Sharma नवंबर 4, 2025 AT 09:55

    ये साइक्लोन अमेरिका और चीन के लिए बनाया गया है ताकि भारत के लोगों को डराया जा सके। बारिश नहीं, ये जलवायु युद्ध है। नदियों में रेडियोएक्टिव जल भर दिया जा रहा है। देखो नदियों का पानी - वो अब नीला नहीं, बल्कि थोड़ा गुलाबी लग रहा है।

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    anand verma नवंबर 5, 2025 AT 19:31

    महोदयों और महोदयाएँ, यह एक विशिष्ट जलवायु घटना है जिसका विश्लेषण वैज्ञानिक समुदाय द्वारा लगातार किया जा रहा है। हमें धैर्य और आत्मनियंत्रण के साथ इसका सामना करना चाहिए। स्थानीय प्रशासन के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए।

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    Amrit Moghariya नवंबर 5, 2025 AT 23:21

    अरे यार, तुम लोग तो बस बारिश के लिए रो रहे हो। मैंने तो इसी बारिश में अपना पुराना साइकिल निकाल लिया है - बिना टायर के, बस रिम लगाकर। अब मैं बारिश में साइकिल चला रहा हूँ। जिंदगी बारिश में है, न कि घर में। 😎

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    shubham gupta नवंबर 7, 2025 AT 19:16

    पीली चेतावनी का मतलब सावधानी है। नदियों के किनारे न जाएं। बिजली के खतरे के बारे में सोचें। अगर आपके घर में छत टूटी है, तो उसे ठीक करें। बस इतना ही।

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    Gajanan Prabhutendolkar नवंबर 8, 2025 AT 14:15

    मैंने इस बारिश को बस एक अतिरिक्त विश्व स्तरीय घटना के रूप में देखा है। बिहार के लोग अभी तक अपनी जलवायु नियंत्रण योजनाओं के बारे में नहीं जानते। ये सब बस एक जन भ्रम है। जब तक हम अपनी जड़ों को नहीं बदलेंगे, तब तक ये चक्र चलता रहेगा।

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    ashi kapoor नवंबर 10, 2025 AT 05:56

    अरे भाई, ये साइक्लोन मोंथा तो बस एक नाम है, जैसे कोई बॉलीवुड अभिनेत्री का नाम 😂 लेकिन असली बात ये है कि जब तक हम अपने घरों के लिए बारिश की तैयारी नहीं करेंगे, तब तक ये सब बस एक ट्रेंड ही रहेगा। मैंने तो अपने बालकनी में एक बड़ा टैंक लगा दिया है - अब मैं बारिश को बचा रही हूँ। नदियाँ बह रही हैं? तो चलो, अब हम उनका पानी भी बचाएंगे। 💧

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    Yash Tiwari नवंबर 11, 2025 AT 07:29

    चहथ पूजा के लिए जल चढ़ाना एक आध्यात्मिक कर्म है, लेकिन जब जल बह रहा है, तो यह एक भौतिक अपराध है। आप देवता को चढ़ाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि देवता भी एक जीवित तत्व हैं? और ये जल जीवित है - ये बह रहा है, ये बुलबुले बना रहा है, ये जीवन ले रहा है। आप उसे बाँधने की कोशिश कर रहे हैं। ये देवता के लिए नहीं, ये आपके अहंकार के लिए है।

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    Mansi Arora नवंबर 12, 2025 AT 12:29

    अरे यार, ये सब तो बस एक बड़ा झूठ है। बारिश नहीं, ये राज्य सरकार का नया ट्रिक है। लोगों को घर में रखने के लिए, ताकि वो बिजली बिल न दे पाएं। और फिर वो नदियों के पानी को बेच रही हैं - बोतल में, 'पटना स्प्रिंग्स' नाम से। तुम लोग अभी तक नहीं समझे?

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    simran grewal नवंबर 13, 2025 AT 02:45

    मैंने तो अपने घर के बाहर एक छोटा सा पूजा स्थल बना लिया है - बारिश में भी पूजा कर सकते हैं। देवता को नदी नहीं, बारिश की बूंदें चढ़ाओ। वो तो बस तुम्हारी भावना देखते हैं।

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    Vinay Menon नवंबर 13, 2025 AT 03:07

    मुझे लगता है कि अगर हम अपने आसपास के लोगों को बताएं कि ये बारिश कितनी खतरनाक है, तो लोग ज्यादा सावधान हो जाएंगे। मैंने अपने पड़ोस में एक छोटी सी ग्रुप बनाई है - हर घर को चेतावनी भेज रहे हैं। छोटा कदम, लेकिन असरदार।

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    kuldeep pandey नवंबर 14, 2025 AT 12:13

    मैंने आज सुबह एक ख्वाब देखा - मैं नदी के किनारे खड़ी थी, और एक बूंद मेरे चेहरे पर गिरी… और वो बूंद बोली - 'तुम्हारी बारिश आ रही है।' मैं रो पड़ी। क्या ये मेरी नियति है? क्या मैं भी बारिश का हिस्सा बन रही हूँ?

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    Hannah John नवंबर 14, 2025 AT 16:14

    ये साइक्लोन तो अमेरिका के लिए बनाया गया है ताकि भारत के लोगों को डराया जा सके और वो अपने जमीन बेच दें। ये बारिश नहीं, ये नियंत्रण है। अगर तुम नदियों के पानी को देखो तो उसमें छुपा हुआ एक नंबर है - 666

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    shubham pawar नवंबर 16, 2025 AT 00:01

    क्या तुमने कभी सोचा कि जब हम बारिश के लिए डरते हैं, तो हम देवता के लिए नहीं, बल्कि अपनी अनिश्चितता के लिए डरते हैं? बारिश तो बस एक नियम है। लेकिन हम उसे एक शिक्षा बना देते हैं।

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    Nitin Srivastava नवंबर 17, 2025 AT 07:48

    बिहार में बारिश का मौसम अब बहुत अधिक उन्नत हो चुका है। ये साइक्लोन मोंथा बस एक अतिरिक्त लक्षण है। जलवायु नियंत्रण के लिए अब एक नया आधुनिक दृष्टिकोण आवश्यक है - जिसमें उच्च आवृत्ति वाले सैटेलाइट डेटा और एआई-आधारित पूर्वानुमान शामिल हों।

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