चहथ पूजा: इतिहास, रीति और 2025 के लिए मुहूर्त
चहथ पूजा एक गोवर्धन पूजा, जो भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की लीला से जुड़ी है, और इसे अन्नकूट भी कहते हैं का हिस्सा है, जो धनतेरस के अगले दिन मनाई जाती है। ये पूजा सिर्फ एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार और समृद्धि के प्रतीक के रूप में है। इस दिन लोग अन्न, दूध, घी, फल और दालों के ढेर को पूजते हैं, जिसे अन्नकूट, जो अन्न के ढेर को दर्शाता है और भोजन की विपुलता का प्रतीक है कहते हैं। ये परंपरा उत्तर भारत में खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
इस पूजा का संबंध धनतेरस, जो धन और समृद्धि के देवता धनवंतरि की पूजा का दिन है से सीधे जुड़ा है। धनतेरस पर घर में धन की शुरुआत होती है, तो चहथ पूजा पर उसी धन को बनाए रखने का आह्वान किया जाता है। भगवान कृष्ण ने जब गोवर्धन पर्वत को उठाकर बारिश से लोगों की रक्षा की, तो उन्होंने इस बात का संदेश दिया कि ईश्वर की शक्ति से नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर ही जीवन सुरक्षित होता है। आज भी इसी भावना को अन्नकूट के रूप में जीवित रखा जाता है।
2025 में चहथ पूजा का सही समय
2025 में चहथ पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन का मुख्य मुहूर्त दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक रहेगा। इसी अवधि में अन्नकूट की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन घरों में 56 या 21 भोग तैयार किए जाते हैं, जिनमें दही, घी, शक्कर, गेहूं, चना और फल शामिल होते हैं। इन्हें पूजा के बाद भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है, और फिर उसे बांट दिया जाता है। ये रीति आज भी गांवों में बची हुई है, जहां लोग अपने खेतों के लिए भी शुभकामनाएं मांगते हैं।
इस साल आप चहथ पूजा के साथ ही चांदी की कीमत में गिरावट और सोने के दाम में उछाल का भी अवलोकन कर सकते हैं, क्योंकि ये दिन आर्थिक निर्णयों के लिए भी शुभ माने जाते हैं। कुछ लोग इस दिन नई जेवर खरीदते हैं, जबकि दूसरे अपने घरों में अन्नकूट का ढेर लगाते हैं। यहां आपको इन सब बातों के साथ-साथ भारत और श्रीलंका की महिला क्रिकेट टीमों के बीच खेले गए मैचों की भी जानकारी मिलेगी, क्योंकि ये दिन अक्टूबर के शुरुआती हिस्से में आते हैं और इसी समय बड़े खेल के अवसर भी आ जाते हैं।
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