शपथ ग्रहण: क्या है और क्यों मायने रखता है
शपथ ग्रहण किसी भी नई सरकार, मंत्री या संवैधानिक पद वाले व्यक्ति के लिए पहला और सबसे जरूरी कदम होता है। यह सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी की शुरुआत है। जब कोई नेता या सरकारी अधिकारी शपथ लेता है, तो वह संविधान और कानून के प्रति अपनी वफादारी, जनता की सेवा और पद की मर्यादा निभाने का संकल्प लिखित या मौखिक रूप में देता है।
शपथ ग्रहण की सामान्य प्रक्रिया
अक्सर शपथ ग्रहण का तरीका साफ और परिभाषित होता है। केंद्र में प्रधानमंत्री और मंत्रियों को राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं; राज्यों में मुख्यमंत्री और मंत्री को राज्यपाल शपथ दिलाते हैं। समारोह में आम तौर पर शपथ का पाठ, हस्ताक्षर और औपचारिक भाषण शामिल होता है। सुरक्षा, प्रोटोकॉल और मीडिया कवरेज पहले से तय होते हैं। नए मंत्रियों के नामों की घोषणा पहले से की जाती है और पोर्टफोलियो बाद में सौंपे जा सकते हैं।
शपथ का शब्द आम तौर पर सादे और स्पष्ट भाषा में होता है — यह बताता है कि शपथ लेने वाला संवैधानिक नियमों का पालन करेगा, जनता की भलाई में काम करेगा और विपक्षी शक्तियों के साथ लोकतांत्रिक तरीके से पेश आएगा। कुछ स्थानों पर धार्मिक शपथ और सिविल विकल्प दोनों मौजूद होते हैं ताकि भिन्न-भिन्न आस्थाओं वाले लोग सुविधा से शपथ ले सकें।
नागरिक के लिए शपथ ग्रहण में क्या देखें और क्यों चेतना रखें
क्या आप शपथ ग्रहण देखना चाहते हैं या खबरें पढ़ते हैं—तो कुछ मुख्य बातें ध्यान में रखें। पहला: कौन-कौन से चेहरे शामिल हैं और किसका पोर्टफोलियो क्या है। यह तय करता है कि नीतियां किस तरह बदलेंगी। दूसरा: शपथ लेने के बाद पहले घोषणाएं, प्राथमिकताएं या कार्यकारिणी के गठन पर ध्यान दें—यही असली संकेत देते हैं कि सरकार किस दिशा में जाएगी।
तीसरा, समारोह का स्वर—क्या प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने सामान्य शासन-धारा की बातें कही या खास वादे, समयसीमा और लक्ष्यों पर ज़ोर दिया? चौथा, पारदर्शिता: लाइव प्रसारण, शपथ ग्रहण के दस्तावेज और पोर्टफोलियो सार्वजनिक हैं या नहीं। और हाँ, मीडिया कवरेज का टोन देखें—उत्सव ज्यादा है या गंभीर नीति-वक्तव्य।
यदि आप समारोह में शरीक होना चाहते हैं तो आधिकारिक जानकारी देखें: आमतौर पर प्रवेश पास, सुरक्षा जांच और गेट पास का प्रबंध होता है। अगर बाहर से देखना है तो सरकारी चैनल, प्रमुख न्यूज़ चैनल और अक्सर सोशल मीडिया पर आधिकारिक लाइव स्ट्रीम उपलब्ध रहती है।
शपथ ग्रहण के बाद जनता की निगाहें असल काम पर टिकती हैं—वादे कितने पूरे होते हैं, पारदर्शिता कैसी रहती है और क्या नई सरकार रोजमर्रा की ज़िन्दगी में असर दिखाती है। इसलिए शपथ सिर्फ कवायद नहीं, जवाबदेही की शुरुआत है। ध्यान से देखें, समझें और सरकार को उसी मानदंड पर आंकें जिसके लिए उन्होंने शपथ ली है।

नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे: जानिए महत्वपूर्ण जानकारी
नरेंद्र मोदी 8 जून को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सूत्रों के अनुसार, मोदी शाम को राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण करेंगे। इस शपथ ग्रहण समारोह में नए केंद्रीय मंत्रियों का गठन भी किया जाएगा। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 543 सीटों में से 240 सीटें जीतीं, और एनडीए गठबंधन ने कुल 292 सीटों पर विजय प्राप्त की।
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