धनतेरस से पहले रज़त में राहत: चांदी की कीमत 3 दिन लगातार गिरावट

धनतेरस से पहले रज़त में राहत: चांदी की कीमत 3 दिन लगातार गिरावट
Anindita Verma अक्तू॰ 19 16 टिप्पणि

जब कॉलिन शाह, मैनेजिंग डायरेक्टर कामा ज्वेलरी ने शनिवार, 18 अक्टूबर 2025 को चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट देखी, तो बाजार में कई खरीदारों ने राहत की सांस ली। राष्ट्रीय स्तर पर, इंडिया टुडे ने रिपोर्ट किया कि रजत की कीमत 22:24 IST पर रु. 1,70,000 प्रति किलोग्राम तक गिर गई – यह लगातार तीसरे दिन की गिरावट थी, ठीक धनतेरस से पहले।

पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ

धनतेरस, जो कि हिन्दू कैलेंडर के अश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि पड़ती है, परम्परागत रूप से सोने‑चांदी जैसी कीमती धातुओं में निवेश करने का प्रमुख अवसर माना जाता है। पिछले वर्ष, यानी धनतेरस 2024 में चांदी की औसत कीमत रु. 99,700 प्रति किलोग्राम थी। उसी अवधि से लेकर इस साल के 18 अक्टूबर तक, कीमत में जबरदस्त उछाल आया, लगभग रु. 70,300 की बढ़ोतरी हुई। इस बढ़ोतरी ने कई खरीदारों को बैलेंस शीट पर दबाव डाल दिया था, इसलिए तीन दिनों की गिरावट ने उन्हें थोड़ा आराम दिया।

डेटा के अनुसार, पॉलिसीबाजार ने 16 अक्टूबर को चांदी की कीमत रु. 1,71,698.17 प्रति किलोग्राम दर्ज की, जबकि 17 अक्टूबर को यह रु. 1,77,000 तक पहुंच गई। इस तेज़ी ने निवेशकों को प्रॉफिट बुक करने की लालसा दे दी, और बाजार में फेडिंग की लहर चल पड़ी।

कीमतों का विस्तृत विश्लेषण

पॉलिसीबाजार के अनुसार 18 अक्टूबर को चांदी की कीमतें इस प्रकार थीं:

  • रु. 168,931.36 प्रति किलोग्राम
  • रु. 168.93 प्रति ग्राम
  • रु. 1,689.3 प्रति 10 ग्राम
  • रु. 1,689,313.6 प्रति 10 किलोग्राम

उपलब्ध डेटा दर्शाता है कि बिहार के पटना में कीमत रु. 190 प्रति ग्राम तक गिर गई, जहाँ पिछले दिन की कीमत रु. 203 प्रति ग्राम थी। बैंकबाज़ार ने इस गिरावट को 13 पॉइंट्स की कमी बताया, जो कि स्थानीय बाजार में मौसमी माँग और निर्यात‑आयात लागत के अंतर से जुड़ा हो सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे दो प्रमुख कारक हैं:

  1. वैश्विक बाजारों में रजत की गिरती उठान, जहां निवेशकों ने बुल रन के बाद लाभ बुक कर लिया।
  2. अमेरिकी डॉलर के सापेक्ष मूल्य में हल्की गिरावट, जिससे आयात लागत में क्षणिक कमी आई।

इन कारणों की वजह से, जबकि साल भर में चांदी की कीमतें ऊपर की ओर रही, लेकिन धनतेरस से ठीक पहले की यह गिरावट खरीदारों के लिए एक अच्छा अवसर बन गई।

उद्योग के मत और विशेषज्ञों की राय

"धनतेरस की जश्न‑धूम ने उपभोक्ता के उत्साह को बरकरार रखा, भले ही सोने की कीमतें आसमान छू रही हों," कॉलिन शाह ने बताया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि "युवा वर्ग में हल्के‑वजन वाले आभूषणों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, जबकि सर्दियों के शादी‑सीजन में भारी आभूषणों की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।"

एक स्वतंत्र बाजार विश्लेषक, अशोक सिंह, ने कहा कि "भविष्य में यदि डॉलर आगे भी कमजोर रहा तो चांदी की कीमतें और भी गिर सकती हैं, लेकिन अगर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ी तो फिर से कीमतों में तेजी आ सकती है।" उन्होंने इशारा किया कि निवेशकों को अल्पकालिक गिरावट को एक "खरीदारी का योग्य समय" समझना चाहिए, विशेषकर उन लोगों के लिए जो शादी‑सजावट या वार्षिक पूँजी निवेश की योजना बना रहे हैं।

उपभोक्ताओं और शादी के मौसम पर प्रभाव

धनतेरस के बाद, विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी गुजरात में शादी‑सजावट का मौसम आने वाला है। कई ज्वेलरी दुकानें पहले ही कह रही हैं कि किस्त‑बाय के लिए ग्राहक अब अधिक रुचि दिखा रहे हैं। पटना में एक लोकप्रिय आभूषण की दुकान के मालिक रमेश चन्द्र ने बताया, "हमें अभी तक बड़ा बोझ नहीं दिखा, लेकिन नीचे गिरती कीमतों के कारण कई युवा महिलाएँ हल्के‑डिज़ाइन वाले नाक और कान के झुमके खरीदने की योजना बना रही हैं।"

एक अन्य सर्वेक्षण में पाया गया कि 57% खरीदारों ने कहा कि वे इस कीमत गिरावट को कारण मानकर आज ही खरीदारी करेंगे, जबकि 28% अभी भी कीमतों के और गिरने की आशा में इंतज़ार करेंगे। यह दर्शाता है कि कीमतों की अस्थिरता के बावजूद, धनतेरस की परम्परा अभी भी लोगों के मन में गहरी जड़ें रखती है।

आगे क्या हो सकता है?

विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि वैश्विक आर्थिक संकेतक स्थिर रहते हैं, तो चांदी की कीमतें अगले दो‑तीन हफ्तों में 5‑10% तक और कम हो सकती हैं। लेकिन एक और संभावित जोखिम है कि यदि यूएस फेड की ब्याज दरें फिर से बढ़ती हैं, तो डॉलर में मजबूती आ सकती है, जिससे चांदी की कीमतें अचानक उठ सकती हैं।

जिन निवेशकों ने अभी तक अपना पोर्टफोलियो नहीं बदला है, उनके लिए सलाह यह होगी कि वर्तमान गिरावट को एक "खरीदारी का अवसर" समझें, लेकिन साथ ही पोर्टफोलियो की विविधता बनाए रखें। इस वर्ष के अंत तक, विशेषज्ञों का कहना है कि रजत की कीमतें वर्ष‑भर में लगभग 10% की रेंज में ही रह सकती हैं।

मुख्य तथ्य

  • 18 अक्टूबर 2025 को चांदी की कीमत रु. 1,70,000 / किलोग्राम (सभी कर सहित)
  • पटना, बिहार में कीमत रु. 190 / ग्राम – पिछले दिन से 13 पॉइंट गिरावट
  • पिछले वर्ष धनतेरस पर कीमत रु. 99,700 / किलोग्राम
  • कुल 70,300 रुपये की सालाना वृद्धि (70.51%)
  • विशेषज्ञों का अनुमान – आगे 5‑10% गिरावट या फिर उछाल की सम्भावना

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

धनतेरस के दौरान चांदी की कीमतें क्यों गिरती हैं?

धनतेरस पर खरीदारों की तेज़ माँग के साथ-साथ वैश्विक बाजार में लाभ‑बुकींग की लहर आती है। जब निवेशक पहले से उछाल का फायदा उठाकर लाभ निकाल लेते हैं, तो कीमतें थोड़ी गिरती हैं, जिससे अंतिम‑क्षण के खरीदारों को थोड़ा राहत मिलती है।

क्या इस गिरावट का लाभ शादी‑सीजन में आभूषण खरीदारों को मिलेगा?

हां, विशेषकर सर्दियों के शादी‑मौसम में हल्के‑डिज़ाइन वाले आभूषणों की मांग बढ़ती है। कम कीमतें बजट‑सचेत खरीदारों को आकर्षित करती हैं, जिससे बिक्री में बढ़ोत्तरी की संभावना रहती है।

बैंकबाज़ार के अनुसार पटना में चांदी की कीमत क्यों गिर रही है?

बैंकबाज़ार का डेटा दर्शाता है कि स्थानीय आयात लागत, डॉलर के मौजूदा रेट, और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी ने मिलकर कीमतों को दबाव में रखा। इसके अतिरिक्त, उपभोक्ता मनोविज्ञान में लाभ‑बुकींग ने भी तीन‑दिन की गिरावट को त्वरित किया।

भविष्य में चांदी की कीमतें कौन से कारकों से प्रभावित होंगी?

मुख्य कारकों में वैश्विक डॉलर रेट, उद्योग उत्पादन, चीन‑भारत के आयात‑निर्यात नीति, तथा सट्टा बाजार में निवेशकों की भावना शामिल हैं। यदि डॉलर और सोने की कीमतें स्थिर रहें तो चांदी की कीमतें भी स्थिर रह सकती हैं, वरना उछाल या गिरावट दोनों ही सम्भावित हैं।

कामा ज्वेलरी का इस गिरावट पर क्या मत है?

कामा ज्वेलरी के मैनेजिंग डायरेक्टर कॉलिन शाह ने कहा कि धनतेरस में उपभोक्ताओं का उत्साह बना रहा है और कीमतों में गिरावट ने उन्हें हल्के‑वजन वाले आभूषणों की बिक्री बढ़ाने का मौका दिया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि शहरी युवा वर्ग इस कीमत गिरावट को निवेश‑सुरक्षित मान रहा है।

16 टिप्पणि
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    Tuto Win10 अक्तूबर 19, 2025 AT 00:25

    ओह माय गॉड!!! धनतेरस से पहले रजत की कीमत गिरने से सबको राहत मिली है!!!

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    Kanhaiya Singh अक्तूबर 19, 2025 AT 01:33

    धनतेरस के समय चांदी की मूल्य गिरावट वास्तव में खरीदारों को सकारात्मक संकेत प्रदान करती है।

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    prabin khadgi अक्तूबर 19, 2025 AT 02:42

    चाँदी के बाजार में हालिया गिरावट आर्थिक सिद्धांतों के कई पहलुओं को उजागर करती है। पहले यह ध्यान देना आवश्यक है कि वस्तु‑संपत्ति के मूल्य में अस्थायी गिरावट निवेशकों को पुनर्मूल्यांकन का अवसर देती है। इस संदर्भ में, विश्वव्यापी डॉलर की हल्की कमी ने आयात लागत को घटाया है, जिससे स्थानीय कीमतों पर दबाव कम हुआ है। दूसरा, पिछले कुछ हफ़्तों में रजत पर स्पेकुलेटिव बाय‑सेल की लहर थी, जो अब अपने आप को समाप्त कर रही है। तीसरे, मांग‑आपूर्ति संतुलन के मोड़ पर, भारतीय उपभोक्ताओं की शादी‑सीज़न की प्रत्याशा ने खरीदारियों को स्थिर रखा है। यह भी समझना चाहिए कि दीर्घकालीन निवेशकों के लिए ऐसी गिरावट लाभ‑बुकींग के चरण में प्रवेश का संकेत है। चारों ओर की रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि कीमतें अगले दो‑तीन सप्ताह में और 5‑10% तक गिर सकती हैं। यदि फेड की नीति में बदलाव नहीं आया, तो अमेरिकी डॉलर में संभावित मजबूती से कीमतों में उलटाव आ सकता है। इसके अतिरिक्त, मौसमी मांग में बदलाव, जैसे कि उत्तर भारत में शादियों की बढ़ती संख्या, स्थानीय बाजार में न्यूनतम समर्थन प्रदान करती है। फिर भी, यह जोखिम नहीं है कि कीमतों का निरंतर गिरना लघु‑कालिक निवेशकों को हतोत्साहित कर दे। विशेषज्ञों का मत है कि पोर्टफोलियो विविधता बनाए रखना अभी भी सर्वोत्तम रणनीति है। उन निवेशकों को सलाह दी जाती है जो रजत को दीर्घकालिक सुरक्षित संपत्ति मानते हैं, कि वे इस गिरावट को खरीदारी के उत्तम समय के रूप में देखें। इसके साथ ही, छोटे व्यापारियों को सूचित रहना चाहिए कि कीमतों में अचानक उछाल भी संभव है। अंततः, आर्थिक अनिश्चितता के बीच, सूचित निर्णय लेना ही निवेशकों को लाभ पहुंचाएगा। सारांश में, वर्तमान बाजार स्थिति को सावधानीपूर्वक विश्लेषण करके ही कदम उठाने चाहिए।

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    Aman Saifi अक्तूबर 19, 2025 AT 03:50

    मैं मानता हूँ कि इस गिरावट का प्रभाव केवल निवेशकों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जनता की खरीद शक्ति को भी उठाएगा। रजत की कीमत में छोटी‑छोटी गिरावट लंबी अवधि में कुल खर्च के भार को कम कर सकती है।

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    Ashutosh Sharma अक्तूबर 19, 2025 AT 04:58

    वाह, फिर तो रजत का डिस्काउंट फैक्टरी खुल गई! अब तो सारे एन्क्लोज़र भी सस्ता पड़ेगा, मार्केट में बैग इकोनॉमी का जमाना है।

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    Rana Ranjit अक्तूबर 19, 2025 AT 06:07

    धनतेरस के परम्परागत औचित्य को देखते हुए, रजत की कीमत में अस्थायी गिरावट केवल एक आर्थिक आँकडा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धारा का भी प्रतिबिंब है। इस क्षण में खरीदारों को अपनी आवश्यकता और संतुलन को पुनः मूल्यांकन करना चाहिए, न कि केवल मूल्य की ओर।

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    Arundhati Barman Roy अक्तूबर 19, 2025 AT 07:15

    ईस गिरावट से खरीदे वाले लोगो को अधिक लाभ होयेगा, खासकर जो शादीयो के लिये देख रहे थे।

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    yogesh jassal अक्तूबर 19, 2025 AT 08:23

    चलो भाई, अब चाँदी की कीमत नीचे है, तो वही पुरानी कहावत सच्ची निकली – "सस्ता सादा नहीं, लेकिन सही है"। इस मौके पर आप सबको बड़े बड़े झुमके लेंगे, मज़े करेंगे! बस थोड़ी सी धीरज रखिए।

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    Raj Chumi अक्तूबर 19, 2025 AT 09:32

    यार, आखिर में कीमत गिर गई, खुशी की हद नहीं रही!

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    mohit singhal अक्तूबर 19, 2025 AT 10:40

    देश के युवाओं को चाहिए कि वे इस अवसर को पकड़ें, क्योंकि विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव हमारा इंतजार नहीं करता! 💪🇮🇳

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    pradeep sathe अक्तूबर 19, 2025 AT 11:48

    भाई साहब, इस गिरावट में थोड़ी सावधानी रखनी चाहिए, पर सही समय पर खरीदारी जरूर फायदेमंद रहेगी।

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    ARIJIT MANDAL अक्तूबर 19, 2025 AT 12:57

    सिर्फ कीमत नहीं, बाजार की मूवमेंट समझो।

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    Bikkey Munda अक्तूबर 19, 2025 AT 14:05

    अगर आप पहली बार रजत खरीद रहे हैं, तो आज की कीमत पर 10‑12 ग्राम का सेट बेहतर रहेगा, क्योंकि भविष्य में कीमतें फिर से ऊपर जा सकती हैं।

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    akash anand अक्तूबर 19, 2025 AT 15:13

    वित्तीय विशलेषण के अनुसार, वर्तमान गिरावट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिये, परन्तु निवेशकों को जोखिम का भी ख्याल रखना चाहिए।

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    BALAJI G अक्तूबर 19, 2025 AT 16:22

    धनतेरस के इस पावन अवसर में हमें अपनी वित्तीय निर्णयों को नैतिकता के आधार पर रखना चाहिए, वरना लाभ ही नहीं रहेगा।

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    Manoj Sekhani अक्तूबर 19, 2025 AT 17:30

    आधुनिक अर्थशास्त्र की जटिलताओं को समझना हर उच्चवर्गीय निवेशक की जिम्मेदारी है; इसलिए चाँदी की कीमत में इस मामूली गिरावट को साधारण जनसमूह की ध्वनि नहीं मानना चाहिए।

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