जब कॉलिन शाह, मैनेजिंग डायरेक्टर कामा ज्वेलरी ने शनिवार, 18 अक्टूबर 2025 को चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट देखी, तो बाजार में कई खरीदारों ने राहत की सांस ली। राष्ट्रीय स्तर पर, इंडिया टुडे ने रिपोर्ट किया कि रजत की कीमत 22:24 IST पर रु. 1,70,000 प्रति किलोग्राम तक गिर गई – यह लगातार तीसरे दिन की गिरावट थी, ठीक धनतेरस से पहले।
पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ
धनतेरस, जो कि हिन्दू कैलेंडर के अश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि पड़ती है, परम्परागत रूप से सोने‑चांदी जैसी कीमती धातुओं में निवेश करने का प्रमुख अवसर माना जाता है। पिछले वर्ष, यानी धनतेरस 2024 में चांदी की औसत कीमत रु. 99,700 प्रति किलोग्राम थी। उसी अवधि से लेकर इस साल के 18 अक्टूबर तक, कीमत में जबरदस्त उछाल आया, लगभग रु. 70,300 की बढ़ोतरी हुई। इस बढ़ोतरी ने कई खरीदारों को बैलेंस शीट पर दबाव डाल दिया था, इसलिए तीन दिनों की गिरावट ने उन्हें थोड़ा आराम दिया।
डेटा के अनुसार, पॉलिसीबाजार ने 16 अक्टूबर को चांदी की कीमत रु. 1,71,698.17 प्रति किलोग्राम दर्ज की, जबकि 17 अक्टूबर को यह रु. 1,77,000 तक पहुंच गई। इस तेज़ी ने निवेशकों को प्रॉफिट बुक करने की लालसा दे दी, और बाजार में फेडिंग की लहर चल पड़ी।
कीमतों का विस्तृत विश्लेषण
पॉलिसीबाजार के अनुसार 18 अक्टूबर को चांदी की कीमतें इस प्रकार थीं:
- रु. 168,931.36 प्रति किलोग्राम
- रु. 168.93 प्रति ग्राम
- रु. 1,689.3 प्रति 10 ग्राम
- रु. 1,689,313.6 प्रति 10 किलोग्राम
उपलब्ध डेटा दर्शाता है कि बिहार के पटना में कीमत रु. 190 प्रति ग्राम तक गिर गई, जहाँ पिछले दिन की कीमत रु. 203 प्रति ग्राम थी। बैंकबाज़ार ने इस गिरावट को 13 पॉइंट्स की कमी बताया, जो कि स्थानीय बाजार में मौसमी माँग और निर्यात‑आयात लागत के अंतर से जुड़ा हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे दो प्रमुख कारक हैं:
- वैश्विक बाजारों में रजत की गिरती उठान, जहां निवेशकों ने बुल रन के बाद लाभ बुक कर लिया।
- अमेरिकी डॉलर के सापेक्ष मूल्य में हल्की गिरावट, जिससे आयात लागत में क्षणिक कमी आई।
इन कारणों की वजह से, जबकि साल भर में चांदी की कीमतें ऊपर की ओर रही, लेकिन धनतेरस से ठीक पहले की यह गिरावट खरीदारों के लिए एक अच्छा अवसर बन गई।
उद्योग के मत और विशेषज्ञों की राय
"धनतेरस की जश्न‑धूम ने उपभोक्ता के उत्साह को बरकरार रखा, भले ही सोने की कीमतें आसमान छू रही हों," कॉलिन शाह ने बताया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि "युवा वर्ग में हल्के‑वजन वाले आभूषणों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, जबकि सर्दियों के शादी‑सीजन में भारी आभूषणों की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।"
एक स्वतंत्र बाजार विश्लेषक, अशोक सिंह, ने कहा कि "भविष्य में यदि डॉलर आगे भी कमजोर रहा तो चांदी की कीमतें और भी गिर सकती हैं, लेकिन अगर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ी तो फिर से कीमतों में तेजी आ सकती है।" उन्होंने इशारा किया कि निवेशकों को अल्पकालिक गिरावट को एक "खरीदारी का योग्य समय" समझना चाहिए, विशेषकर उन लोगों के लिए जो शादी‑सजावट या वार्षिक पूँजी निवेश की योजना बना रहे हैं।
उपभोक्ताओं और शादी के मौसम पर प्रभाव
धनतेरस के बाद, विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी गुजरात में शादी‑सजावट का मौसम आने वाला है। कई ज्वेलरी दुकानें पहले ही कह रही हैं कि किस्त‑बाय के लिए ग्राहक अब अधिक रुचि दिखा रहे हैं। पटना में एक लोकप्रिय आभूषण की दुकान के मालिक रमेश चन्द्र ने बताया, "हमें अभी तक बड़ा बोझ नहीं दिखा, लेकिन नीचे गिरती कीमतों के कारण कई युवा महिलाएँ हल्के‑डिज़ाइन वाले नाक और कान के झुमके खरीदने की योजना बना रही हैं।"
एक अन्य सर्वेक्षण में पाया गया कि 57% खरीदारों ने कहा कि वे इस कीमत गिरावट को कारण मानकर आज ही खरीदारी करेंगे, जबकि 28% अभी भी कीमतों के और गिरने की आशा में इंतज़ार करेंगे। यह दर्शाता है कि कीमतों की अस्थिरता के बावजूद, धनतेरस की परम्परा अभी भी लोगों के मन में गहरी जड़ें रखती है।
आगे क्या हो सकता है?
विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि वैश्विक आर्थिक संकेतक स्थिर रहते हैं, तो चांदी की कीमतें अगले दो‑तीन हफ्तों में 5‑10% तक और कम हो सकती हैं। लेकिन एक और संभावित जोखिम है कि यदि यूएस फेड की ब्याज दरें फिर से बढ़ती हैं, तो डॉलर में मजबूती आ सकती है, जिससे चांदी की कीमतें अचानक उठ सकती हैं।
जिन निवेशकों ने अभी तक अपना पोर्टफोलियो नहीं बदला है, उनके लिए सलाह यह होगी कि वर्तमान गिरावट को एक "खरीदारी का अवसर" समझें, लेकिन साथ ही पोर्टफोलियो की विविधता बनाए रखें। इस वर्ष के अंत तक, विशेषज्ञों का कहना है कि रजत की कीमतें वर्ष‑भर में लगभग 10% की रेंज में ही रह सकती हैं।
मुख्य तथ्य
- 18 अक्टूबर 2025 को चांदी की कीमत रु. 1,70,000 / किलोग्राम (सभी कर सहित)
- पटना, बिहार में कीमत रु. 190 / ग्राम – पिछले दिन से 13 पॉइंट गिरावट
- पिछले वर्ष धनतेरस पर कीमत रु. 99,700 / किलोग्राम
- कुल 70,300 रुपये की सालाना वृद्धि (70.51%)
- विशेषज्ञों का अनुमान – आगे 5‑10% गिरावट या फिर उछाल की सम्भावना
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
धनतेरस के दौरान चांदी की कीमतें क्यों गिरती हैं?
धनतेरस पर खरीदारों की तेज़ माँग के साथ-साथ वैश्विक बाजार में लाभ‑बुकींग की लहर आती है। जब निवेशक पहले से उछाल का फायदा उठाकर लाभ निकाल लेते हैं, तो कीमतें थोड़ी गिरती हैं, जिससे अंतिम‑क्षण के खरीदारों को थोड़ा राहत मिलती है।
क्या इस गिरावट का लाभ शादी‑सीजन में आभूषण खरीदारों को मिलेगा?
हां, विशेषकर सर्दियों के शादी‑मौसम में हल्के‑डिज़ाइन वाले आभूषणों की मांग बढ़ती है। कम कीमतें बजट‑सचेत खरीदारों को आकर्षित करती हैं, जिससे बिक्री में बढ़ोत्तरी की संभावना रहती है।
बैंकबाज़ार के अनुसार पटना में चांदी की कीमत क्यों गिर रही है?
बैंकबाज़ार का डेटा दर्शाता है कि स्थानीय आयात लागत, डॉलर के मौजूदा रेट, और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी ने मिलकर कीमतों को दबाव में रखा। इसके अतिरिक्त, उपभोक्ता मनोविज्ञान में लाभ‑बुकींग ने भी तीन‑दिन की गिरावट को त्वरित किया।
भविष्य में चांदी की कीमतें कौन से कारकों से प्रभावित होंगी?
मुख्य कारकों में वैश्विक डॉलर रेट, उद्योग उत्पादन, चीन‑भारत के आयात‑निर्यात नीति, तथा सट्टा बाजार में निवेशकों की भावना शामिल हैं। यदि डॉलर और सोने की कीमतें स्थिर रहें तो चांदी की कीमतें भी स्थिर रह सकती हैं, वरना उछाल या गिरावट दोनों ही सम्भावित हैं।
कामा ज्वेलरी का इस गिरावट पर क्या मत है?
कामा ज्वेलरी के मैनेजिंग डायरेक्टर कॉलिन शाह ने कहा कि धनतेरस में उपभोक्ताओं का उत्साह बना रहा है और कीमतों में गिरावट ने उन्हें हल्के‑वजन वाले आभूषणों की बिक्री बढ़ाने का मौका दिया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि शहरी युवा वर्ग इस कीमत गिरावट को निवेश‑सुरक्षित मान रहा है।
ओह माय गॉड!!! धनतेरस से पहले रजत की कीमत गिरने से सबको राहत मिली है!!!