लखीमपुर दशहरा मेला 2025 – क्या जानना जरूरी है?
लखीमपुर का दशहरा मेला हर साल अक्टूबर‑नवंबर में पूरे उत्तर प्रदेश में धूम मचा देता है। अगर आप भी इस उत्सव में भाग लेना चाहते हैं तो यहाँ कुछ आसान टिप्स और जरूरी जानकारी दी गई है। समय, जगह, खाने‑पीने और खरीदारी के बारे में सब कुछ एक ही जगह पढ़ें।
मठ के मुख्य दिन और समय‑सारिणी
2025 का मेला 14 अक्टूबर को शुरू होगा और 20 अक्टूबर तक चलेगा। पहला दिन रथ यात्रा और रावण दहन का विशेष कार्यक्रम होता है, इसलिए इस दिन सुबह 6 बजे से लेकर शाम 9 बजे तक भीड़ रहती है। दूसरे दिन से विभिन्न लोक कलाकार, घुड़सवारी, मॉल खेल और हस्तशिल्प के स्टॉल लगते हैं। हर शाम 5 बजे से 8 बजे तक एक सांस्कृतिक शो भी होता है, जिसमें भजन, कवि सम्मेलन और लोक नृत्य दर्शाए जाते हैं।
कैसे पहुँचे, कहां रुकें और क्या खास खाएँ
लखीमपुर बस और ट्रेन दोनों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। लखनऊ से लखीमपुर तक बसें हर 30 मिनट में आती हैं, यात्रा लगभग 2 घंटे की रहती है। अगर आप रजतगटना से आ रहे हैं तो ट्रेन से लखनऊ के बाद बस बदलनी पड़ेगी। ठहरने के लिए मेला परिसर के पास कई सरकारी और निजी होस्टल उपलब्ध हैं, कीमतें 500‑800 रुपये प्रतिदिन से शुरू होती हैं। महंगे होटल चाहते हैं तो लखनऊ के लक्जरी होटल भी लगभग 2‑3 घंटे की ड्राइव पर हैं।
खाने‑पीने के शौकीन यहाँ के स्ट्रीट फूड को मिस नहीं कर सकते। “सिंगारिया” में गरमा गरम आलू के टिक्की, “बाबरी” में जलेबी‑पानीपुरी, और “शिवा बेकरी” में लाल पनीर पराठा बहुत लोकप्रिय हैं। अगर हल्का कुछ चाहिए तो ताजे नारियल पानी और आम के शरबत का झरना भी मिलता है। सभी स्टॉल्स में साफ‑सफ़ाई पर ध्यान रखा जाता है, लेकिन भीड़ में व्यक्तिगत चीजों का ख्याल रखें।
खरीदारी का आनंद लेना है तो लखीमपुर के हस्तशिल्प स्टॉल देखिए। यहाँ मिट्टी के बर्तन, कढ़ाई के झूरे, बांस की कलात्मकता और स्थानीय कागज की लड़ी खरीद सकते हैं। कीमतें आमतौर पर 50‑300 रुपये के बीच होती हैं, इसलिए मोलभाव करना बिलकुल ठीक है। अगर आप कुछ बड़ा खरीदना चाहते हैं तो सुबह के शुरुआती घंटों में बेहतर डील मिलती है, क्योंकि देर होते‑ही कीमतें बढ़ती हैं।
सुरक्षा के लिहाज़ से मेला में सीसीटीवी कैमरे लगा है और पुलिस की गश्त भी लगातार चलती रहती है। भीड़ में अपने बैग को हमेशा बंद रखें और पासपोर्ट या आईडेंटिटी के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को सुरक्षित जगह पर रखें। अचानक बारिश के लिए छत्री या प्लास्टिक शीट साथ रखें—मेले में अक्सर तेज़ हवाओं के साथ हल्की बूंदाबांदी हो जाती है।
अंत में, अगर आप लखीमपुर में पहली बार जा रहे हैं, तो सुबह जल्दी पहुँचें। शुरुआती समय में भीड़ कम होती है, ट्रांसपोर्ट की सीटें भी आसानी से मिल जाती हैं और आप सभी मुख्य आकर्षण देख पाते हैं बिना थके। आशा है ये जानकारी आपके मेले के अनुभव को शानदार बना देगी। शुभ यात्रा और दशहरा की ढेरों बधाई!

लखीमपुर दशहरा मेले में दुकान मालिकों का विरोध: शुल्क में कटौती व सेट‑अप अवधि में बढ़ोतरी की मांग
लखीमपुर के वार्षिक दशहरा मेले में कई दुकान मालिकों ने नगरपालिका से शुल्क में कमी और 15 नवंबर तक सेट‑अप की इजाज़त की मांग कर विरोध किया है। परम्परागत मेले में इस साल केवल 25‑30 विक्रेता ने रसीद हासिल की, जबकि सामान्य तौर पर 300 से अधिक स्टॉल लगे होते थे। यह असामान्य कमी मेले की सांस्कृतिक और आर्थिक महत्ता को खतरे में डाल रही है।
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