विदेशियों को लेबनान छोड़ने की चेतावनी, युद्ध का खतरा बढ़ा

विदेशियों को लेबनान छोड़ने की चेतावनी, युद्ध का खतरा बढ़ा
Anindita Verma अग॰ 5 19 टिप्पणि

लेबनान में तनाव, विदेशी नागरिकों को छोड़ने की चेतावनी

अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में अचानक ही बड़ी उथल-पुथल मच गई है। लेबनान में वर्तमान तनावपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए कई देशों ने वहां मौजूद अपने नागरिकों के लिए आपातकालीन चेतावनी जारी की है। ख़ासकर फ्रांस, कनाडा और जॉर्डन जैसे देशों ने अपने नागरिकों को तुरंत लेबनान छोड़ने की सलाह दी है।

फ्रांस की चेतावनी: 'स्थिति बहुत अस्थिर'

फ्रांस की चेतावनी: 'स्थिति बहुत अस्थिर'

फ्रांस ने अपने नागरिकों को 'बहुत अस्थिर' स्थिति के बारे में चेतावनी दी है और अविलंब देश छोड़ने की सलाह दी है। फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'बहुत ही अस्थिर सुरक्षा स्थिति' में फ्रांसिसी नागरिकों को तुरंत यात्रा रोकनी चाहिए और देश छोड़ने की तैयारी करनी चाहिए।

हिजबुल्लाह और इज़राइल के बीच संघर्ष

इस हालिया तनाव की जड़ में हिजबुल्लाह और इज़राइल के बीच बढ़ते संघर्ष हैं। अक्टूबर में गाजा हमले के बाद से हिजबुल्लाह ने इज़राइल के साथ लगभग रोज गोलाबारी की है। हिजबुल्लाह के लडाकों ने इज़राइल के उत्तर पर रातोंरात रॉकेट दागे हैं। इज़राइली सेना ने कहा कि लेबनान से 30 प्रोजेक्टाइल दागे गए, जिनमें से अधिकांश को इंटरसेप्ट कर लिया गया।

तेहरान का युद्ध की तैयारी

तेहरान सेना समेत उसके सहयोगी समूहों से किसी भी बड़े सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इसी के बीच, 4 अगस्त को तेल अवीव के उपनगर में हुई चाकूबाजी हमले में एक हमलावर ने दो लोगों की हत्या कर दी। हमलावर का संबंध पश्चिमी किनारे पर कब्जे वाले फ़िलिस्तीन से था, जिसे पुलिस ने 'निष्क्रिय' कर दिया और अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

इज़राइल और गाज़ा की बमबारी

इज़राइली सेना ने गाजा पट्टी पर बमबारी जारी रखी हुई है। गाज़ा के घेराबंद हमास-शासित क्षेत्र में एक दशकीय युद्ध चल रहा है, जो अक्टूबर 7 को दक्षिण इज़राइल पर फ़िलिस्तीनी उग्रवादी समूह के हमले के बाद से शुरू हुआ था।

नागरिकों को लेबनान छोड़ने की सलाह

नागरिकों को लेबनान छोड़ने की सलाह

फ्रांस, कनाडा और जॉर्डन हाल ही में अपने नागरिकों को लेबनान छोड़ने की सलाह देने वाले देशों में शामिल हो गए हैं। पेरिस स्थित फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'खराब होती हुई सुरक्षा स्थिति' में फ्रांसीसी नागरिकों को तुरंत यात्रा रोकने और देश छोड़ने की योजना बनाने की जरूरत है।

हवाई यात्रा प्रतिबंध

कुछ पश्चिमी एयरलाइनों ने लेबनान और क्षेत्र के अन्य हवाई अड्डों के लिए उड़ानों को निलंबित कर दिया है। 4 अगस्त को कतर एयरवेज ने कहा कि दोहा-बीयरूट मार्ग कम से कम 5 अगस्त तक विशिष्ट रूप से दिन के समय संचालित होगा।

इज़राइल के मुकाबले के लिए तैयारियाँ

इज़राइल के मुकाबले के लिए तैयारियाँ

31 जुलाई को तेहरान में हमास नेता इस्माइल हानिया की हत्या और इसके कुछ घंटे बाद ही बेयरूट में हिजबुल्लाह मिलिट्री प्रमुख की हत्या ने इज़राइल के खिलाफ प्रतिशोध की कसम खाई है। इज़राइल ने इस हत्या पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है, जबकि हमास, इरान, और अन्य ने इस हमले का आरोप इज़राइल पर लगाया है।

अमेरिकी प्रतिक्रिया

अमेरिका, इज़राइल के सहयोगी देश के रूप में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सैन्य जहाजों और लड़ाकू विमानों को क्षेत्र में भेजने की योजना बना रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने उम्मीद जताई कि इरान अपनी सैन्य प्रतिक्रिया वापस ले।

तनाव का भविष्य

इस सब के बीच, जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफादी तेहरान में क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक दुर्लभ दौरे पर गए हैं। आतंरिक विश्लेषणों के मुताबिक, क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए किसी तरह के संघर्षविराम की आवश्यकता है।

इज़राइली प्रयास

इज़राइली सेना उत्तरी सुरक्षा स्थिति में मौलिक परिवर्तन लाने के अपने मंचन पर डटी है। होम फ्रंट कमांड प्रमुख रफी गिलो ने कहा कि इज़राइली सेनाएँ किसी भी संभावित स्थिति और प्रतिक्रिया के लिए तैयार हैं।

क्षेत्रीय संघर्ष का मौजूदा संकट

इंटरनैशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) ने 3 अगस्त को अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस्माइल हानिया की हत्या ने क्षेत्र में सबसे बड़ा संकट उत्पन्न कर दिया है। अप्रैल में तेहरान के कांसुली कार्यालय पर घातक हमले के बाद इरान ने इज़राइल पर मिसाइलों और ड्रोन से जवाबी हमला किया था। लेकिन वर्तमान स्थिति पिछले संकटों की तुलना में अधिक गंभीर मानी जा रही है।

राजनीतिक दृष्टिकोण

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों और प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने सत्ताधारी गठबंधन को सुरक्षित रखने के लिए युद्ध को लंबा खींच रहे हैं। 4 अगस्त को नेतन्याहू ने अपने कैबिनेट को बताया कि वह बंधकों को छुड़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।

19 टिप्पणि
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    Aman Kulhara अगस्त 5, 2024 AT 01:10

    लेबनान में वर्तमान सुरक्षा स्थिति गंभीर है, कई देशों ने अपने नागरिकों को तत्काल निकास की सलाह दी है, यह कदम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण चेतावनी को दर्शाता है, सभी संबंधित पक्षों को स्थिति की गंभीरता को समझना आवश्यक है।

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    ankur Singh अगस्त 11, 2024 AT 19:50

    यह सरकारों की अयोग्यता फिर से सामने आई है, विदेशी नागरिकों को छोड़ने की इमरजेंसी रिलीज़ ही एक ही उपाय है, इतने सालों में इतनी गड़बड़ी नहीं देखी, जिम्मेदारी को टालने की कोशिश बेकार है।

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    Aditya Kulshrestha अगस्त 18, 2024 AT 14:30

    देखिए, सभी देशों ने एक ही दिशा में कदम रखे हैं, यह कोई संयोग नहीं है, अगर हम इस पर गहरी नज़र डालें तो स्पष्ट हो जाएगा कि रणनीतिक हित कई गुना बड़े हैं :)

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    Sumit Raj Patni अगस्त 25, 2024 AT 09:10

    भाई साहब, इस स्थिति को हल्के में नहीं ले सकते! हिज़्बुल्ला की बारीकी से चल रही गोलीबारी और इज़राइल की प्रतिक्रिया ने माहौल को बुखार बना दिया है, तुरंत कार्रवाई जरूरी है।

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    Shalini Bharwaj सितंबर 1, 2024 AT 03:50

    यह संकट बहुत गंभीर है, विदेशियों को तुरंत निकलना चाहिए, नहीं तो स्थिति और बिगड़ जाएगी।

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    Chhaya Pal सितंबर 7, 2024 AT 22:30

    हाल ही में लेबनान में तनाव के कारण विदेशी नागरिकों को छोड़ने की चेतावनी जारी हुई है। यह स्थिति मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है। फ्रांस, कनाडा और जॉर्डन जैसे देश अपनी नागरिकों की सुरक्षा को प्रथम प्राथमिकता दे रहे हैं। हिज़्बुल्ला और इज़राइल के बीच निरंतर शत्रुता ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। हर दिन नई गोलीबारी और रिपोर्ट्स इस बात को सुदृढ़ करती हैं। स्थानीय जनसंख्या भी इस उग्रता से भयभीत हो रही है। विदेशियों को अब तेज़ी से बाहर निकलना ही सुरक्षित विकल्प माना जा रहा है। कई एरलाइन्स ने भी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह आर्थिक प्रभाव को भी गहरा करेगा। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस तनाव को कम करने के लिये कूटनीतिक प्रयास तेज़ करने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मध्यस्थों को भूमिका निभानी चाहिए। इसके साथ ही सैन्य तैनाती को नियंत्रित करने के लिये स्पष्ट रणनीति बनानी आवश्यक है। स्थानीय सरकारें भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करनी चाहिए। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सार्वजनिक मनोबल को मजबूत करने के लिये सामाजिक संवाद की जरूरत है। अंत में, यह सभी के लिये एक चेतावनी है कि क्षेत्रीय संघर्ष का विस्तार बड़े पैमाने पर मानव त्रासदी का कारण बन सकता है।

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    Naveen Joshi सितंबर 14, 2024 AT 17:10

    यह स्थिति दिलचस्प है।

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    Gaurav Bhujade सितंबर 21, 2024 AT 11:50

    नज़र रखने वाले के नाते मैं कहूँगा कि इस जानकारी को चुपचाप देखना नहीं है; सही समय पर उचित कदम उठाने चाहिए।

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    Chandrajyoti Singh सितंबर 28, 2024 AT 06:30

    विचार करने पर पता चलता है कि इस प्रकार की अंतरराष्ट्रीय चेतावनियाँ अक्सर बेकाबू शक्ति संघर्षों के शुरुआती संकेत होती हैं, इसलिए इनको गंभीरता से लेना आवश्यक है।

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    Riya Patil अक्तूबर 5, 2024 AT 01:10

    क्या यह सब कुछ ही व्यथित है! जैसे ही कोई कदम उठाता है, नई लहरें उठती हैं, किस्मत का खेल ही तो है।

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    naveen krishna अक्तूबर 11, 2024 AT 19:50

    देखते ही रह जाते हैं, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि आवाज़ उठाना और कार्रवाई करना दो अलग-अलग चीज़ें हैं।

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    Deepak Mittal अक्तूबर 18, 2024 AT 14:30

    सबके पीछे एक गुप्त योजना है, बड़ी शक्ति की चालें कहां झूठी नहीं हो सकतीं; यह सब जटिल जाल है और हमें सावधान रहना चाहिए।

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    Neetu Neetu अक्तूबर 25, 2024 AT 09:10

    ओह, तो फिर उससे भी तेज़ी से उड़ते लहरों से बचना है, मज़ा ही आ गया! 🙃

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    Jitendra Singh नवंबर 1, 2024 AT 02:50

    इतनी जटिल रिपोर्ट्स के बाद भी कुछ लोग बुनियादी बातों को समझ नहीं पाते; आशा है अब थोड़ा समझदारी दिखेगी।

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    priya sharma नवंबर 7, 2024 AT 21:30

    संबंधित पक्षों को प्रतिवादात्मक मूल्यांकन हेतु संरचनात्मक जोखिम विश्लेषण (SRA) के दायरे में आकलन करना चाहिए, ताकि नीति-निर्माण प्रक्रिया में प्रासंगिक अंतर्दृष्टि सम्मिलित हो सके।

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    Ankit Maurya नवंबर 14, 2024 AT 16:10

    देश की सुरक्षा को लेकर हमें कोई भी कदम पीछे नहीं हटना चाहिए, चाहे वह सख्त उपाय हों या व्यापक कूटनीति, हमारा कर्तव्य है अखंडता बनाये रखना।

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    Sagar Monde नवंबर 21, 2024 AT 10:50

    देखते हैं, क्या ये सब सिर्फा बातों में ही रहेंगे या कुछ ठोस कदम भी उठाए जाएंगे?

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    Sharavana Raghavan नवंबर 28, 2024 AT 05:30

    हमें इस पर एक विस्तृत शैक्षणिक विमर्श की आवश्यकता है, वरना सामान्य जनता केवल उलझन में ही रहेगी।

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    Nikhil Shrivastava दिसंबर 5, 2024 AT 00:10

    देखिए, इस स्थिति में हर कोई चिंतित है, लेकिन आशा नहीं खोनी चाहिए; साथ मिलकर हम इस संकट का समाधान निकाल सकते हैं।

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