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डेवा मूवी: रोमांचक थ्रिलर की समीक्षा
'डेवा' एक ऐसी फिल्म है जो हमें एक संघर्षशील और चुनौतीपूर्ण यात्रा पर ले जाती है, जिसकी कहानी एक सवाल से शुरू होती है कि 'दृश्य के पीछे क्या छिपा है?' निर्देशक रोशन एंड्र्यूज़ ने इस फिल्म के माध्यम से दर्शकों को गहराई से जोड़ने की कोशिश की है। फिल्म का पहला हिस्सा जहां पृष्ठभूमि और चरित्र विकास पर केंद्रित है, वही यह धीरे-धीरे अपनी पकड़ बनाता है। विशेष रूप से देव और उसके दोस्त रोशन डी'सिल्वा के बीच की गतिशीलता ने दृश्यों को रोमांचक बनाए रखा है, हालांकि कहीं-कहीं कुछ दृश्य थोड़े खींचे हुए लगते हैं।
पहले हाफ की कहानी
फिल्म का पहला हाफ सस्पेंस और संबंधों को संजोने की कोशिश में सफल होता है। देव अंबरे अपने जीवन में एक ऐसा मोड़ लेता है जहां वह अपने ही अस्तित्व पर सवाल उठाने लगता है। उसकी याददाश्त खो जाने के बाद की स्थिति में बनते-बिगड़ते धागे कहानियों को रोचक बनाए रखते हैं। देव को उसके पूर्व मित्र और साथी पुलिसकर्मी को लेकर चल रही कहानी में विविधता और गति रहती है, जिसे अभिनय से बना हुआ संतुलन और शाहिद कपूर का चरित्र में डूब कर अभिनय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शाहिद कपूर का अप्रतिम अभिनय
शाहिद कपूर ने देव अंबरे के किरदार में जिस प्रकार से भावनाओं को पिरोया है, उसे देखकर हर कोई प्रभावित होता है। उनकी अभिव्यक्तियाँ कहीं न कहीं हमें उनकी अभिनय की गहराई और बहुमुखी प्रतिभा का साक्षात्कार कराती हैं। देव के रूप में वह कभी शक्तिशाली तो कभी असहाय नजर आते हैं, जिससे दर्शकों का भावनात्मक जुड़ाव बना रहता है। उनके अभिनय में काॅप और इंसान के बीच की जंग का अद्भुत संयोजन है।
फिल्म का तकनीकी पक्ष
तकनीकी दृष्टिकोण से, 'डेवा' उच्च स्तर की प्रतिभा का प्रदर्शन करता है। अमित रॉय की सिनेमेटोग्राफी ने फिल्म के हर एक दृश्य को संजीदगी से कैद किया है, जो दर्शकों को दृश्य की गहराई में खोने पर मजबूर कर देता है। फिल्म के एक्शन दृश्य जो अनल अरासु, सुप्रीम सुंदर, विक्रम दहिया, परवेज शेख और अब्बास अली मोगुल ने डिजाइन किए हैं, वे दर्शकों को स्क्रीन से जोड़कर रखते हैं। जेक्स बिजॉय का बैकग्राउंड संगीत खासकर एक्शन सीक्वेंस को गहनता और संजीदेगी देता है। हालांकि, कुछ दृश्यों में विजुअल इफेक्ट्स कहीं-कहीं बनावटी लगते हैं और कहानी में बहुत सी भ्रामक स्थितियाँ और अविश्वसनीय पल होते हैं।
पात्रों का अद्वितीय समर्थन
फिल्म के अन्य पात्र भी महत्वपूर्ण हैं और पूरी कहानी में रणनीतिक भूमिका निभाते हैं। पूजा हेगड़े ने दीया के किरदार में शाहिद की प्रेमिका के रूप में जिस मासूमियत और समर्थन का परिचय दिया है, वह काबिलेतारीफ है। उनके चरित्र का सम्पूर्ण विकास न देखते हुए, उनकी उपस्थिति सकारात्मक रही है। कुब्रा सैत ने अपनी संक्षिप्त लेकिन प्रभावी भूमिका में एक पुलिस अधिकारी के रूप में बेहद प्रभावी प्रदर्शन किया है, परंतु ऐसा लगता है कि उन्हें और भी निखारा जा सकता था। पाविल गुलाटी और प्रवेश राणा का सहयोगी अभिनय फिल्म को मजबूती देता है।
कहानी के मुख्य तत्व
फिल्म की कहानी देव अंबरे के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक कठोर और असंगत पुलिस अधिकारी है। एक हत्याकांड की जांच में उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव आता है जब एक दुर्घटना के बाद वह स्मृति विहीन हो जाता है। वह अपनी पुरानी स्मृतियों के आधार पर अपनी पहचान और सच्चाई को खोजने के लिए भावनात्मक और मानसिक संघर्ष के नए पथ पर निकल पड़ता है। इस सफर में उसे अपनी पुलिस विभाग और खुद की सच्चाइयों से सफर करना पड़ता है। 'डेवा' की कहानी, चाहे जितनी भी धीमी गति की हो, दर्शकों को भरपूर मनोरंजन और सस्पेंस प्रदान करती है, जिसे देखने के लिए अवश्य प्रयास करना चाहिए।
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