बरेली में पति की हत्या: प्रेमी के साथ मिलकर पत्नी ने चाय में दी नशीली दवा, गले में दुपट्टा डालकर की हत्या

बरेली में पति की हत्या: प्रेमी के साथ मिलकर पत्नी ने चाय में दी नशीली दवा, गले में दुपट्टा डालकर की हत्या
Anindita Verma अप्रैल 21 8 टिप्पणि

बरेली में पति की हत्या: प्रेमी के साथ मिलकर रची खौफनाक साजिश

उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में एक सनसनीखेज घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को हिला दिया। एक महिला ने अपने पति का कत्ल करने के लिए जो तरीका अपनाया, वह पढ़कर आप चौंक जाएंगे। महिला ने आरोपी प्रेमी के साथ मिलकर पहले पति को चाय में नशीली दवा दी और फिर गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। खास बात यह है कि हत्या के बाद दोनों ने पुलिस को चकमा देने के लिए पूरी घटना को आत्महत्या का रुप देने की कोशिश भी की।

पुलिस के मुताबिक, शुरुआती जांच में यह केस संदिग्ध लग रहा था। जब मृतक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई तो तथ्यों ने पुलिस की आशंका और गहरी कर दी। जांच में साफ हुआ कि चाय में नशीला पदार्थ मिलाया गया था, जिससे पीड़ित की जान खतरे में पड़ गई। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर महिला और उसका प्रेमी कमरे में घुसे और गमछे या दुपट्टे से गला दबाकर हत्या कर दी।

वारदात के बाद, कपल ने बड़ी चालाकी से कमरे का माहौल वैसा बनाया जिससे लगे कि पति ने खुदकुशी की है। हालांकि, पुलिस ने मौके से मिले सबूतों के आधार पर एक-एक कड़ी जोड़ना शुरू किया और कड़ाई से पूछताछ शुरू की। आरोपी महिला और उसका प्रेमी बार-बार बयान बदलते रहे, जिससे पुलिस को शक हुआ और आखिरकार उन्होंने अपना गुनाह कबूल लिया।

सौरभ राजपूत हत्याकांड जैसी क्रूरता

इस वारदात ने मेरठ के चर्चित सौरभ राजपूत हत्याकांड की याद दिला दी, जहां मुस्कान रस्तोगी और साहिल शुक्ला ने सौरभ की हत्या के बाद शव के टुकड़े-टुकड़े कर और उन्हें ड्रम में सीमेंट के साथ छुपा दिया था। बरेली केस भले ही उस हद तक न पहुंचा हो, लेकिन यहां भी घरेलू झगड़े, अवैध संबंध, और फर्जी आत्महत्या की कहानी ने मिलकर एक भयावह सच्चाई सामने ला दी।

इसी तरह के मामले अब यूपी में अक्सर देखने को मिल रहे हैं, जिसमें घरेलू हिंसा और धोखे के साथ अपराधी घटनाओं को फर्जी आत्महत्या का रूप देने की कोशिश करते हैं। बरेली की घटना ने एक बार फिर समाज में रिश्तों के बदलते मायनों और अपराध के नए तरीकों की ओर ध्यान खींचा है।

  • पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है।
  • पूरी वारदात की जांच जारी है और पुलिस का कहना है कि आगे की कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
  • मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि पारिवारिक संबंधों में छल, धोखा और हिंसा कितनी घुस चुकी है।
8 टिप्पणि
  • img
    Amit Bamzai अप्रैल 21, 2025 AT 13:09

    समाज में घरेलू हिंसा का मुद्दा हमेशा बेतहाशा रह गया है, लेकिन यह घटना उस काले चिलास की तरह है जो छिपा नहीं रह सकता। चाय में दवा मिलाने की बात सुनकर ऐसा लगता है जैसे अपराधी ने विज्ञान को हथियार बना लिया है। यह न केवल अपराध की स्पष्ट योजना को दर्शाता है, बल्कि मानव संबंधों के टूटन को भी उजागर करता है। इस तरह के मामलों में अक्सर पीड़ित के मनोवैज्ञानिक पहलू को नजरअंदाज किया जाता है, जबकि वह मानसिक पीड़ा का मुख्य स्रोत होता है। इस केस में महिला ने न केवल शारीरिक हिंसा की बल्कि मनोवैज्ञानिक प्रताड़ना की भी बड़ी भूमिका निभाई। प्रेमी के साथ मिलकर साजिश रचने की सोच यह दर्शाती है कि सामाजिक बंधन कितना कमजोर हो गया है। अपराधी मनोविज्ञान के अनुसार, यह एक प्रकार का 'ऑफ़लाइन प्लानिंग' है जिसमें परिपक्वता की कमी स्पष्ट है। पुलिस की जांच में तकनीकी पहलू जैसे पोस्ट‑मॉर्टेम रिपोर्ट को सही ढंग से पढ़ना आवश्यक था। इस तरह के षड्यंत्र में अक्सर जटिल लॉजिस्टिक सपोर्ट शामिल होता है, जैसे दवा का चयन और समय निर्धारण। लेकिन यह सब अंत में झूठी आत्महत्या की परिकल्पना को तुड़न‑तोड़ कर देता है। सामाजिक दृष्टिकोण से हमें आशा है कि इस तरह के मामलों में महिलाओं की शिक्षा और जागरूकता में इज़ाफा होगा। कानूनी प्रणाली को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए सख्त सज़ा देनी चाहिए। साथ ही, समाज को यह समझाना चाहिए कि गृहस्थी में संवाद और विश्वास को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के मामलों में मीडिया का भी बड़ा हाथ है, क्योंकि sensationalism से कभी‑कभी सच्चाई धुंधली हो जाती है। अंत में, यह याद दिलाता है कि कोई भी योजना चाहे कितनी भी चतुर हो, न्याय की ताक़त उसके सामने झुकती है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपराध चाहे कोई भी हो, उसकी सच्ची गिरावट अंततः न्याय के हाथों में ही होती है।

  • img
    ria hari अप्रैल 29, 2025 AT 15:36

    ऐसे दुखद मामलों में हमें पीड़ित के परिवार के लिए समर्थन की भावना रखनी चाहिए। हम सबको मिलकर ऐसी परिस्थितियों से बाहर निकलने के उपायों पर सोचना चाहिए। अगर कोई मदद की जरूरत हो तो यहाँ पर खुली बातचीत होनी चाहिए।

  • img
    Alok Kumar मई 7, 2025 AT 18:02

    यह केस अत्यधिक मॉड्यूलर एंक्टिविटी दर्शाता है, जहाँ सिनैप्टिक लॉजिक और मेटा–डेटा इंट्रीग्रेशन का दुरुपयोग हुआ है। टाक्टिकल एनालिसिस के अनुसार, इनपुट वैरिएबल्स को मैनिप्यूलेट करके प्रेडिक्टेड आउटपुट को घातक रूप से बदल दिया गया। इस परिप्रेक्ष्य में, अपराधी दृश्यात्मक सिमुलेशन का उपयोग कर रहा था, जिससे जजमेंट लूप में त्रुटि उत्पन्न हुई।

  • img
    Nitin Agarwal मई 15, 2025 AT 20:29

    ऐसी घटनाएँ समाज की गहरी समस्याएँ उजागर करती हैं।

  • img
    Ayan Sarkar मई 22, 2025 AT 19:09

    वास्तव में इस तरह के षड्यंत्र के पीछे गुप्त एजेंसियों की छिपी मंशा हो सकती है क्योंकि सार्वजनिक नारे हमेशा एक बड़े खेल का हिस्सा होते हैं।

  • img
    Amit Samant मई 29, 2025 AT 17:49

    हम सभी को इस दुखद घटना से सीख लेना चाहिए और भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोकने के लिए सामाजिक एवं कानूनी उपायों को सुदृढ़ करना चाहिए।

  • img
    Jubin Kizhakkayil Kumaran जून 5, 2025 AT 16:29

    देश के मूल्यों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है, ऐसे अपराधी जो हमारी सामाजिक संरचना को तोड़ते हैं, उन्हें कठोर दंड मिलना चाहिए।

  • img
    tej pratap singh जून 12, 2025 AT 15:09

    सच बताया तो इस मामले के पीछे बड़े पैमाने पर एक छुपी हुई साजिश है, जिसके बारे में सार्वजनिक लोग अनभिज्ञ हैं।

एक टिप्पणी लिखें

आपकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जाएगी. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

*