अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा: एक नई राजनीतिक चाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक ऐलान किया जिसने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। यह घोषणा उन्होंने तिहाड़ जेल से छूटने के दो दिन बाद की। बता दें कि केजरीवाल को दिल्ली चुनरी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिहा किया गया था।
जनता का 'ईमानदारी का प्रमाण पत्र'
केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि वह तब तक मुख्यमंत्री पद नहीं संभालेंगे जब तक जनता उन्हें 'ईमानदारी का प्रमाण पत्र' नहीं दे देती। इस दौरान उन्होंने रामायण की सिता की अग्निपरीक्षा का उदाहरण भी दिया, जिससे उनकी स्थिति की तुलना की जा सके। उन्होंने कहा कि वह जनता के बीच जाएंगे और उनसे मत मांगेंगे।
मनीष सिसोदिया नहीं होंगे नए मुख्यमंत्री
केजरीवाल ने यह भी साफ किया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया नए मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक जनता पुनः चुनाव में उन्हें फिर से नहीं चुनती, तब तक न वह और न सिसोदिया कोई पद संभालेंगे। इसकी भी पुष्टि की गई है कि आप पार्टी एक उच्चस्तरीय बैठक करेगी ताकि अगले मुख्यमंत्री का चयन किया जा सके।
पहला इस्तीफा: 2014 का अनुभव
यह पहली बार नहीं है जब केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है। 2014 में भी उन्होंने अपने अल्पसंख्यक सरकार के असमर्थता के कारण इस्तीफा दिया था क्योंकि वह सत्ता विरोधी कानून पारित नहीं कर पा रहे थे।
चुनाव की नई तारीख
केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव, जो सामान्यतः फरवरी में होते हैं, को नवंबर 2024 में कराने की मांग की है। यह कदम उन्होंने सार्वजनिक समर्थन की तलाश में उठाया है ताकि हाल की भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों के बीच उन्हें जनता का विश्वास दोबारा मिल सके।
उनका इस्तीफा और विशेष चुनाव की मांग दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। यह देखना रोचक होगा कि अगले कुछ दिनों में क्या घटनाएं घटती हैं और किसे दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना जाता है।
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