राजस्व विवाद में किसान को पिस्तौल दिखाकर धमकाती IAS अधिकारी पूजा खेडकर की मां, वीडियो वायरल

राजस्व विवाद में किसान को पिस्तौल दिखाकर धमकाती IAS अधिकारी पूजा खेडकर की मां, वीडियो वायरल
मान्या झा जुल॰ 13 0 टिप्पणि

घटना की पृष्ठभूमि

पुणे की मुलशी तहसील में भूमि विवाद को लेकर एक बड़े विवाद का वीडियो हाल ही में वायरल हुआ है, जिसमें प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां मरोरमा को एक किसान को पिस्तौल दिखाकर धमकाते हुए देखा जा सकता है। यह घटना 2023 में घटी थी और इसके बाद से यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फ़ैल गया है।

विवाद की शुरुआत

मामला तब गर्माया जब मरोरमा और कुछ बाउंसर किसानों के पास पहुंचे और दावा किया कि उनके पास मौजूद ज़मीन उनके नाम पर है। वहीं किसान ने जोर देकर कहा कि ज़मीन के दस्तावेज उसके नाम पर हैं और यह मामला अदालत में लंबित है।

मरोरमा ने किसानों को 'नियमों की सीख' न देने की धमकी दी और साथ ही उन्हें पिस्तौल भी दिखाई। यह वीडियो वायरल होते ही लोगों में खलबली मच गई और इलाके के किसान और सामाजिक कार्यकर्ता इस घटना के खिलाफ खड़े हो गए।

पुलिस और जांच की प्रक्रिया

वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए पुणे ग्रामीण पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि वे सभी तथ्यों की गहनता से जांच कर रहे हैं और मरोरमा के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

किसान और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं, ताकि सच सामने आ सके और कोई भी दोषी बच न पाए।

आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर चल रही जांच

पूजा खेडकर पहले से ही जाँच के घेरे में हैं। उन पर यूपीएससी परीक्षा में फर्जी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र जमा करने का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने अपनी निजी गाड़ी पर रेड बीकन और राज्य सरकार का प्रतीक का दुरुपयोग किया।

केंद्र सरकार ने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी और विकलांगता के दावे की जांच के लिए एक एकल सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति को दो हफ्तों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

यह मामला सिर्फ एक भूमि विवाद नहीं रहा बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। स्थानीय किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस प्रकार की घटनाएं आम हो गई हैं जिससे छोटे किसानों का शोषण होता है।

यह घटनाक्रम यह भी दर्शाता है कि कैसे प्रभावशाली लोग अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं। यह समय की बात है कि सरकार और प्रशासन कठोर कदम उठाएं ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हो सकें।

पूजा खेडकर और उनकी मां के इस विवाद को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्होंने अपनी ताकत और दबदबे का दुरुपयोग किया है।

इस घटना के बाद यह भी स्पष्ट हो चुका है कि सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिरकार हमारा प्रशासनिक तंत्र कितना सक्षम और जिम्मेदार है।

समाप्ति

समाप्ति

इस विवाद और इससे जुड़ी घटनाओं ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। इसके समाधान के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके और किसानों का विश्वास बने रहे।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले को कैसे हैंडल करता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।

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