मानसिक स्वास्थ्य: साफ़ और काम आने वाला गाइड
क्या आप अक्सर थकान, नींद की परेशानी या निराशा महसूस करते हैं? मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ डॉक्टर का मामला नहीं है — यह रोज़मर्रा की ज़िन्दगी, रिश्तों और काम पर असर डालता है। यहाँ सीधे और practical तरीके दिए गए हैं जो आप आज से लागू कर सकते हैं, बिना फ़ालतू शब्दों के।
पहचानने के आसान संकेत
अगर इनमें से कोई बात आपकी ज़िन्दगी में लगातार दिखे तो इसे अनदेखा मत करें: लगातार उदासी या चिड़चिड़ापन, नींद या भूख में बड़ा बदलाव, काम पर ध्यान न लगना, दोस्तों और परिवार से कटाव, बार-बार चिंता या आतंक के दौरे। खुद से पूछें—क्या ये हफ़्तों से हैं या हाल के तनाव के साथ जुड़े हैं? जवाब आपको अगला कदम बताता है।
कभी-कभी संकेत subtle होते हैं: छोटे सुखों में रुचि कम होना, काम में प्रदर्शन गिरना या आवेगों पर काबू न रहना। ऐसे लक्षणों को टिप-ऑफ मानकर जल्दी कदम उठाने से बड़ी दिक्कत टल सकती है।
रोज़मर्रा के आसान उपाय जिन्हें आज आज़माएं
छोटी आदतें बड़ा फर्क डालती हैं। हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की कोशिश करें। दिन में 20-30 मिनट हल्की सैर या एक्सरसाइज रखें — शरीर का मूवमेंट मूड सुधारता है। गहरे सांस लेने की तकनीक (4-4-4) अपनाएं: चार सेकंड सांस अंदर, चार रोकें, चार सेकंड बाहर।
सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम घटाएँ—खासकर सोने से पहले। खाने में प्रोटीन, सब्ज़ियाँ और पर्याप्त पानी रखें; कैफ़ीन और शुगर की मात्रा कम रखें। एक छोटा राइटिंग रूटीन रखें: रोज़ 5 मिनट में अपने विचार लिख दें—यह चिंता को व्यवस्थित करता है।
रोज़ एक छोटा लक्ष्य तय करें—भले ही वह एक फोन कॉल हो या घर का काम। पूरा होने पर छोटा satisfaction मिलना आत्मविश्वास बढ़ाता है। और हाँ, मदद माँगना कमजोरी नहीं; यह समझदारी है।
रिश्तों पर ध्यान दें—एक भरोसेमंद दोस्त या परिजन से बात करें। बात करने से दिमाग हल्का होता है और सोच स्पष्ट होती है। अगर किसी को जज होने का डर है, तो पेशेवर से संपर्क करने पर विचार करें—काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ बातों को नई दिशा दे सकते हैं।
आपात स्थिति में क्या करें? अगर आप या कोई करीबी खुद को चोट पहुँचाने या आत्महत्या के बारे में सोच रहा है, तुरन्त नज़दीकी अस्पताल जाएँ या इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें। ऐसे विचारों को गंभीरता से लें और अकेले न रहना बेहतर है।
छोटी-छोटी कोशिशें रोज़ मिलकर बड़ा असर बनाती हैं। आज एक कदम उठाइए—सैर, फोन कॉल या 5 मिनट की लिखाई। अगर ज़रूरत लगे, पेशेवर मदद लेने में झिझक न करें। मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान रखना आपकी ताकत का हिस्सा है, न कि दुर्बलता।

कर्नाटक: आईटी कर्मचारियों के लिए 14-घंटे की कार्य समय योजना पर विचार
कर्नाटक सरकार आईटी सेक्टर में कार्य समय को 10 घंटों से बढ़ाकर 14 घंटे करने पर विचार कर रही है। इस प्रस्ताव ने आईटी कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ाई हैं। आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (Kitu) ने इस बदलाव पर आपत्ति जताई है। नासकॉम ने 48 घंटे की कार्य सप्ताह की सीमा बरकरार रखने का समर्थन किया है।
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