लैंडस्लाइड – भूस्खलन की नई ख़बरें और गहरी समझ
जब हम लैंडस्लाइड, एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जिसमें बड़ी मात्रा में मिट्टी, चट्टान या अन्य सामग्री पहाड़ी या ढलान से नीचे की ओर फिसल जाती है. आमतौर पर इसे भूस्खलन कहा जाता है, जो मौसम, भूवैज्ञानिक संरचना और मानवीय गतिविधियों से प्रभावित होती है. यह समझना जरूरी है कि लैंडस्लाइड केवल दुर्घटना नहीं, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक पहलुओं से जुड़ी जटिल समस्या है.
भूवैज्ञानिक, पृथ्वी की संरचना और उसकी गति को अध्ययन करने वाला विज्ञान लैंडस्लाइड के कारणों को पहचानने में मदद करता है। भारी वर्षा, तेज़ पवन, या अचानक तापमान परिवर्तन—जिन्हें जलवायु परिवर्तन, विश्व स्तर पर दीर्घकालिक मौसम पैटर्न में परिवर्तन कहा जाता है—इन्हें भूवैज्ञानिक डेटा के साथ मिलाकर जोखिम क्षेत्रों का निर्धारण किया जाता है। साथ ही आपदा प्रबंधन, संकट के समय लोगों, संसाधन और जानकारी को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया लैंडस्लाइड से बचाव और तुरंत राहत देने में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए “लैंडस्लाइड = भूवैज्ञानिक अस्थिरता + जलवायु जोखिम + आपदा प्रतिक्रिया” एक सशक्त समीकरण बनता है.
लैंडस्लाइड की घातक शक्ति को कम करने के लिए कई उपाय मौजूद हैं। शुरुआती चेतावनी प्रणाली, जैसे सेंसर‑आधारित जल स्तर मॉनिटर और रिमोट‑सेंसिंग इमेज, संभावित फिसलन को पहले पहचान सकती है। स्थानीय प्रशासन और सामुदायिक समूहों को प्रशिक्षण देकर शीघ्र निकास योजना तैयार की जा सकती है, जबकि बुनियादी ढाँचे में ढलानों को स्थिर करने के लिए ग्रेडिंग, ड्रेनेज और रॉक बॉलस्टिंग तकनीकें उपयोग में लाई जाती हैं। बीमा कंपनियाँ भी जोखिम‑आधारित प्रीमिक्स पेश कर रही हैं, जिससे प्रभावित लोगों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है। अंततः, “लैंडस्लाइड → चेतावनी → कार्रवाई → पुनर्वास” का चक्र समझना और लागू करना ही सुरक्षा की कुंजी है। आगे नीचे आप लैंडस्लाइड से जुड़ी ताज़ा ख़बरें और विश्लेषण देखेंगे।

डarjeeling में तेज बारिश से लैंडस्लाइड, 20 मृत, सड़कों पर अड़चन
डarjeeling और मिरिक पहाड़ियों में भारी बारिश से लैंडस्लाइड, 20 मृत, सड़कों पर बाधा। मुख्यमंत्री बनर्जी, प्रधानमंत्री मोदी ने राहत मिशन पर नजर रखी।
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