फ़ेड (Federal Reserve) की भूमिका और हालिया अपडेट
When working with फ़ेड, संयुक्त राज्य अमेरिका की केंद्रीय बैंक, जो मौद्रिक नीति, ब्याज़ दर और वित्तीय स्थिरता नीतियों को तय करती है. Also known as Federal Reserve, it वित्तीय बाजारों की दिशा निर्धारित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है. इस टैग पेज में हम देखेंगे कि कैसे फ़ेड के कदम सीधे भारतीय निवेशकों, सोने की कीमत और डॉलर की वैल्यू को प्रभावित करते हैं।
फ़ेड के मुख्य उपकरणों में ब्याज़ दर, फ़ेड फंड्स रेट, जो बैंकों के बीच रात‑रात लेन‑देने की लागत को दिखाता है प्रमुख है। जब फ़ेड इस दर को घटाता है, तो उधार सस्ता हो जाता है, जिससे शेयर बाजार में निवेश बढ़ता है और सोने की कीमत गिर सकती है। वहीं दर बढ़ाने से निवेशकों को सुरक्षित परिसंपत्तियों, जैसे सोना, की ओर धकेल दिया जाता है। इस प्रकार सोना कीमत, विश्व स्तर पर मूल्य सुरक्षित करने वाला धातु, जो ब्याज़ दर परिवर्तन से तेज़ी से प्रतिक्रिया देता है फ़ेड की नीतियों के साथ घनिष्ठ लिंक रखती है।
अमेरिकी डॉलर, आर्थिक संकेतक और भारतीय बाजार के बीच संबंध
फ़ेड की नीति केवल घरेलू नहीं रहती; इसका असर अमेरिकी डॉलर, विश्व की प्रमुख रिज़र्व मुद्रा, जिसकी मजबूती या कमजोरी वैश्विक व्यापार को प्रभावित करती है पर भी पड़ता है। जब फ़ेड ब्याज़ दर घटाता है, तो डॉलर अक्सर कमज़ोर पड़ता है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों में विदेशी निवेश आकर्षित होता है। इस बिंदु पर आर्थिक संकेतक, जैसे रोजगार दर, महँगाई, जीडीपी ग्रोथ, जो फ़ेड के निर्णयों को दिशा देते हैं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संकेतक फ़ेड को बताते हैं कि आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए दर बदलनी चाहिए या नहीं। इसलिए, भारतीय निवेशक अक्सर इन संकेतकों को ट्रैक करके फ़ेड की अगली चाल का अनुमान लगाते हैं।
फ़ेड की कार्रवाई का प्रभाव भारतीय बाजार में कई रूप में दिखता है। उदाहरण के तौर पर, जब फ़ेड ने 2024 में दर कट की घोषणा की, तो सोने की कीमत 24K में 11,640 रुपये/ग्राम तक बढ़ी, क्योंकि निवेशक सुरक्षित संपत्ति की तलाश में थे। इसी दौरान भारतीय स्टॉक्स को भी लाभ मिला क्योंकि सस्ते कर्ज की वजह से कंपनियों के लाभ मार्जिन में सुधार हुआ। इस तरह, ब्याज़ दर और सोना कीमत के बीच प्रत्यक्ष संबंध स्थापित हो गया। जब आप अगली बार फ़ेड के बयान पढ़ेंगे, तो इन दो आंकड़ों को साथ देखना फायदेमंद रहेगा।
फ़ेड के निर्णयों को समझने के लिए कुछ स्पष्ट संबंधों को याद रखना मददगार है:
- फ़ेड ब्याज़ दर निर्धारित करता है।
- ब्याज़ दर सोना कीमत को प्रभावित करती है।
- अमेरिकी डॉलर की वैल्यू आर्थिक संकेतक से जुड़ी होती है।
- आर्थिक संकेतक फ़ेड को निर्देशित करते हैं। इन चार्टेड संबंधों को ध्यान में रखकर आप बाजार में बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
अब आप समझेंगे कि फ़ेड की हर आवाज़ भारतीय निवेश, सोने की कीमत और डॉलर की अस्थिरता को कैसे प्रभावित करती है। नीचे की सूची में ऐसे लेख हैं जो इस सबको अलग‑अलग पहलुओं में गहराई से समझाते हैं, जैसे फ़ेड की नवीनतम दर कट, सोने की कीमतों में उतार‑चढ़ाव, और भारतीय बाजार पर उनके प्रत्यक्ष असर। इस जानकारी के साथ आप अपने वित्तीय निर्णयों को और अधिक सूझ‑बूझ के साथ ले सकेंगे।

Sensex 19 सितंबर को गिरा 387 अंक, 82,700 की रेंज टूटती
19 सेप्टेम्बर को भारतीय शेयर बाजार में अचानक गिरावट आई, जहाँ Sensex 387 अंक नीचे गया और 82,700 के नीचे पहुँच गया। यह गिरावट तीन‑दिन की जीत के बाद आई, जबकि निवेशकों ने अमेरिकी फेड दर कट और दो‑तरफा व्यापार वार्ता की आशा से उछाल महसूस किया था। एडीनी समूह के शेयर 13 % तक उछले, क्योंकि सेबी ने हिन्डेनबर्ग केस में उन्हें साफ‑सुथरा कर दिया। वेदांता को भी एपी सरकार ने मैंगनीज ब्लॉक के प्रमुख बोलीदाता के रूप में चुना। वैश्विक संकेतों में मिश्रित प्रवृत्ति और लाभ‑उठाव ने बाजार की दिशा को प्रभावित किया।
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