भारतीय आर्चरी: तेज निशाना, बड़े सपने
क्या आप तीरंदाज़ी में करियर बनाना चाहते हैं या सिर्फ शौक के तौर पर सीखना चाहते हैं? भारतीय आर्चरी ने पिछले वर्षों में बड़ा मुकाम पाया है—ओलिंपिक और एशियाई मैचों में नामी तीरंदाज़ों ने देश का नाम रोशन किया है। यहां सीधे और उपयोगी जानकारी मिलेगी: कौन से खिलाड़ी जाने-माने हैं, किस तरह की ट्रेनिंग चाहिए और शुरुआत कैसे करें।
प्रमुख भारतीय धनुर्धर और संस्थाएँ
Deepika Kumari और Atanu Das जैसे खिलाड़ी भारतीय आर्चरी की पहचान हैं। पुराने दौर के Limba Ram और Dola Banerjee ने भी प्रेरित किया है। कुल मिलाकर भारत में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मजबूत खिलाड़ी मिलते हैं।
प्रमुख संस्थाओं में Tata Archery Academy (Jamshedpur) की पहचान है, वहीँ Archery Association of India (AAI) ने कई प्रतियोगिताओं और ट्रेनिंग प्रोग्रामों को समर्थन दिया है। कई राज्य अकादमियां और स्कूल-स्तरीय क्लब भी हैं जहाँ से शुरुआत करना आसान होता है।
शुरू करने के व्यावहारिक कदम
पहला कदम: अपने नजदीकी आर्चरी क्लब या अकादमी से संपर्क करें। वहां आपको सही कोच और बेसिक उपकरण मिलेंगे।
बेसिक उपकरण क्या चाहिए? एक हल्का रेकर्व या कंपाउंड बाउ, उपयुक्त लंबाई की तीरें, आर्मगार्ड, फिंगर टैब और एक आसान लक्ष्य (target face)। शुरुआत में महंगे उपकरण की जरूरत नहीं — सही फिट और छोटी-छोटी तकनीकें ज्यादा मायने रखती हैं।
टेकनीक पर फोकस करें: सही स्टांस, शॉट का एंकर प्वाइंट, निशान साधना और रिलीज का टाइमिंग। सांस को नियंत्रित रखें—सही श्वास से निशाना स्थिर रहता है। रोज़ाना 30-45 मिनट का फोकस्ड प्रैक्टिस शॉट्स की क्वालिटी बढ़ाता है।
फिटनेस भी ज़रूरी है: कंधे, पीठ और कोर की मांसपेशियाँ मजबूत होंगी तो स्थिरता बढ़ेगी। हल्का स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और स्ट्रीचिंग रूटीन शामिल करें।
प्रतियोगिता अनुभव पाने के लिए लोकल टूरनामेंट्स और स्टेट लेवल इवेंट्स में भाग लें। स्कोरकार्ड और मानसिक नियंत्रण सीखने के लिए मुकाबले सबसे अच्छा माध्यम हैं।
सुरक्षा को नज़रअंदाज़ मत करें—ट्रेनीग के दौरान साइड में खड़े लोगों का ध्यान रखें, तीरों की दिशा हमेशा सुरक्षित रखें और कोच की हिदायत मानें।
अगर लक्ष्य ओलिंपिक या राष्ट्रीय टीम है, तो सिस्टेमैटिक प्लान चाहिए: कोच के साथ मासिक प्रोग्राम, तकनीक पर वीडियो फीडबैक, और फिटनेस ट्रैकिंग। छोटे-छोटे लक्ष्य रखें—हर महीने निशाने की दूरी बढ़ाना या अंक सुधारना जैसी चीजें मापने योग्य होती हैं।
आखिर में, धैर्य सबसे बड़ी कुंजी है। तीरंदाज़ी में सुधार धीरे-धीरे दिखता है, पर सही कोचिंग और नियमित अभ्यास से आप जल्दी परिणाम देखेंगे। सवाल है कहाँ से शुरू करें? पास के क्लब से जुड़कर पहले तीन महीने नियमित अभ्यास की प्रतिबद्धता लें—फर्क खुद दिखने लगेगा।

हरविंदर सिंह बने पहले भारतीय आर्चर जिन्होंने पैरा-ओलंपिक में जीता स्वर्ण पदक
भारतीय पैरा-आर्चर हरविंदर सिंह ने इतिहास रचते हुए पहली बार भारत के लिए पैरा-ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि 4 सितंबर, 2024 को पेरिस पैरा-ओलंपिक्स में हासिल हुई। हरविंदर सिंह की यह जीत भारतीय खेल जगत और खासकर पैरा-आर्चरी के क्षेत्र में मील का पत्थर है।
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