सारिपोधा शनिवारम मूवी रिव्यू: मनोरंजक पहला हाफ, धीमा दूसरा हाफ

सारिपोधा शनिवारम मूवी रिव्यू: मनोरंजक पहला हाफ, धीमा दूसरा हाफ
मान्या झा अग॰ 30 0 टिप्पणि

फिल्म 'सारिपोधा शनिवारम' की समीक्षा

फिल्म 'सारिपोधा शनिवारम' को दर्शकों में काफी उम्मीदों के साथ रिलीज़ किया गया है। फिल्म की अवधि लगभग 50 मिनट की है जो एक छोटे और क्रिस्प पठकथा को दर्शाती है। इसमें नानी ने मुख्य किरदार निभाया है, जिनका अभिनय प्रतिभाशाली और ऊर्जावान है, खासकर उनके 40 साल की उम्र के बावजूद।

फिल्म की शुरूआत एक बेहद रोचक और मनोरंजक ढंग से होती है। कहानी का पहली हाफ में प्रस्तुतीकरण इतना ज्वलंत है कि दर्शकों की रूचि बनी रहती है। यह भाग सबूत है कि कैसे निर्देशक ने गहन कथानक को गूंथने में अपना हुनर दिखाया है।

पहला हाफ: मनोरंजक और एंगेजिंग

पहले हाफ में कहानी की बुनावट और पात्रों की एंट्री बहुत ही शानदार ढंग से होती है। यहाँ निर्देशक ने अपने दर्शकों को बांधे रखने की पूरी कोशिश की है, और वे इसमें सफल भी हुए हैं। दृश्याकृति और कलेवर में कहीं भी कोई कमी नजर नहीं आती। संगीतमय बैकड्रॉप में जैक्स बिजॉय का संगीत सुनने का सुख बहुत ही प्रभावशाली लगता है। थिएटर के अच्छे साउंड सिस्टम में यह और अधिक विशेष बन जाता है।

फिल्म की कहानी में सुर्या के किरदार की मजबूती स्पष्ट नजर आती है। उनके द्वारा चुनी गई 'शनिवार' की दिन के पीछे की कारणवश की गई निर्णय कहानी को और भी दिलचस्प बना देती है। यह उनके बाल्यकाल के अनुभवों से जुड़ा हुआ है, और यह देखना दिलचस्प है कि कैसे यह पात्र विकास करता है।

दूसरा हाफ: धीमा और कम रोचक

फिल्म का दूसरा हाफ पहले हाफ की तुलना में कहीं अधिक धीमा और कम रोचक प्रतीत होता है। यहां पर कथानक की उत्तेजना कुछ हद तक मंद पड़ जाती है और दर्शकों को खींचने की शक्ति थोड़ी सी कम हो जाती है। हालांकि, नानी का अभिनय अब भी प्रभावित करने वाला है, मगर ओवरआल प्रभाव थोड़ा कम हो जाता है।

श्रीकाकुलम की पृष्टभूमि में होने वाली घटनाओं में भावनात्मकता की कमी दिखाई देती है। दर्शकों को यहां थोड़ी निराशा हो सकती है। खासकर अंतिम दृश्य में जब श्रीकाकुलम की स्थितियों को बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था। यह दृश्य कुछ हद तक विक्रमार्कुडु के स्टाइल की याद दिलाते हैं, लेकिन वही प्रभाव पैदा नहीं कर पाते।

फिल्म का सारांश

कुल मिलाकर, 'सारिपोधा शनिवारम' एक मनोरंजक फिल्म है जिसका पहले हाफ काफी जबरदस्त है लेकिन दूसरा हाफ थोड़ी मायूसी ला सकता है। फिर भी, जैक्स बिजॉय का संगीत और नानी का नायाब अभिनय इसे एक बार देखने लायक जरूर बनाते हैं। यह फिल्म पूरी तरह से परिवारों के लिए उपयुक्त है, जिसमें कोई भी अश्लील सामग्री नहीं है। अगर आप धीमे गति वाले दूसरे हाफ के लिए तैयार हैं, तो यह फिल्म निश्चित रूप से आपको आनंदित करेगी।

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