शहीद कपूर की फिल्म 'देवा' का रिव्यू: रहस्यमय कहानी का रोमांचक सफर

शहीद कपूर की फिल्म 'देवा' का रिव्यू: रहस्यमय कहानी का रोमांचक सफर
Anindita Verma फ़र॰ 1 17 टिप्पणि

शहीद कपूर की नयी फिल्म 'देवा' और उसकी रोचक कहानी

शहीद कपूर 'देवा' फिल्म में एक पुलिस अधिकारी के किरदार में नजर आते हैं, जो अपनी अनूठी कार्यशैली और गुंडागर्दी के कारण चर्चा में रहते हैं। फिल्म की कहानी का प्रमुख केंद्र उनकी यादाश्त खोने के बाद के घटनाक्रम हैं, जिसमें देवा अपने दोस्त रोशन डी'सिलवा की हत्या के मामले को सुलझाने का प्रयास करते हैं। फिल्म की शुरुआत में देवा का एक्सीडेंट हो जाता है और आगे की कहानी इसी घटना के पटाक्षेप पर आधारित है।

कहानी का चरमोत्कर्ष और शहीद का अभिनय

फिल्म 'देवा' की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, उसमें रहस्य और रोमांच का समावेश बढ़ता जाता है। शहीद कपूर ने देवा के दो रूपों, देवा ए और देवा बी, के बीच के अंतर को बखूबी प्रस्तुत किया है, जिससे दर्शकों को उनकी अभिनय प्रतिभा का आनंद मिलता है। हालांकि, यह कहा जा सकता है कि उन्होंने इस फिल्म में कुछ नया नहीं पेश किया है। इसके बावजूद, उनका अभिनय सराहनीय है।

महिला पात्रों का अभाव और साइड एक्टर्स की भूमिका

फिल्म में दो प्रमुख महिला पात्र, पूजा हेगड़े और कुब्रा सैत, हैं, जिन्हें पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया है। ऐसा लगता है कि फिल्म के निर्माताओं ने इन्हें केवल प्रशंगिकता के लिए शामिल किया है। हालाँकि, सहायक कलाकार पवैल गुलाटी और प्रवेऋष राणा ने अपने किरदारों को सजीवता प्रदान की है और दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी है। उनके अभिनय ने फिल्म को कुछ हद तक मजबूती प्रदान की है।

फिल्म का संगीत और पृष्ठभूमि स्कोर

फिल्म 'देवा' में संगीतकार विशाल मिश्रा का संगीत और जैक्स बेजॉय का बैकग्राउंड स्कोर कहानी को एक नया आयाम देने में सफल होता है। हालांकि, फिल्म के कुछ दृश्य पूर्वानुमेय हैं और निर्देशन में कुछ कमजोरियाँ भी हैं, लेकिन संगीत की खूबी के कारण यह फिल्म देखने लायक बनती है। विशेषकर दूसरी छमाही और करीब के क्लाइमेक्स सीन ने दर्शकों को बांधे रखा है।

रॉशान एंड्र्यूज की पहली बॉलीवुड फिल्म

यह फिल्म रॉशान एंड्र्यूज की पहली बॉलीवुड फिल्म है और उन्हें निर्देशन में कुछ कमियों का सामना करना पड़ा है। फिल्म का समापन इस तरह किया गया है जो इसके दूसरे भाग की आवश्यकता को दर्शाता है, और यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में इसकी कहानी को और विस्तार मिलेगा।

अंततः, 'देवा' को २.५ स्टार रेटिंग दी गई है और इसे एक औसतदारीय एक बार देखने योग्य फिल्म के रूप में देखा जा रहा है। यह फिल्म दर्शकों को नये अंदाज में आकर्षित करने में कामयाब नहीं हो पाई है, लेकिन इसमें कुछ विशेष क्षण हैं, जो इसे कुछ हद तक दर्शनीय बनाते हैं।

17 टिप्पणि
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    Nitin Agarwal फ़रवरी 1, 2025 AT 06:51

    फ़िल्म 'देवा' में शहीद की दो अलग-अलग शख्सियतें वाकई दिलचस्प थीं। उनका प्रदर्शन कहानी में एक आवश्यक टोन जोड़ता है।

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    Ayan Sarkar फ़रवरी 11, 2025 AT 17:21

    कहानी का प्लॉट डाटा लीक जैसा है - स्मृति क्षति को वैक्यूम एंटीट्रांसपोर्ट के रूप में पेश किया गया है

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    Amit Samant फ़रवरी 22, 2025 AT 03:51

    समग्र रूप से यह रिव्यू फ़िल्म के विभिन्न पहलुओं को संतुलित रूप से प्रस्तुत करता है। उल्लेखित पहलुओं को समझना दर्शकों के लिए उपयोगी होगा।

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    Jubin Kizhakkayil Kumaran मार्च 4, 2025 AT 14:21

    देश के सन्देश को नज़रअंदाज़ कर व्यक्तिगत जॉर्ज गिलिंग को बेमनियों में बदलना काबिले‑तारीफ नहीं

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    tej pratap singh मार्च 15, 2025 AT 00:51

    साउंडट्रैक में कुछ छिपे सिग्नल संभवतः बाजार के बड़े खेल की ओर इशारा करते हैं।

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    Chandra Deep मार्च 25, 2025 AT 11:21

    स्मृति खोने के बाद के घटनाक्रम में मनोवैज्ञानिक मोड़ एक आकर्षक प्रयोग है, दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है।

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    Mihir Choudhary अप्रैल 4, 2025 AT 21:51

    वाह! संगीत के बीट ने तो पूरी फ़िल्म को थिरका दिया! 🎶🔥

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    Tusar Nath Mohapatra अप्रैल 15, 2025 AT 08:21

    हाय, इतना बैंड बजाने पर क्या सबको नाचना पड़ेगा? फ़िल्म में इंस्टा डांस से ज्यादा कुछ नहीं।

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    Ramalingam Sadasivam Pillai अप्रैल 25, 2025 AT 18:51

    जैसे कहावत है, 'कहानी जितनी गहरी, उतनी ही समझ बनती है' यह फ़िल्म भी उसी दिशा में कोशिश करती है।

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    Ujala Sharma मई 6, 2025 AT 05:21

    सिर्फ़ दो सितारे ही चमके।

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    Vishnu Vijay मई 16, 2025 AT 15:51

    कुल मिलाकर फ़िल्म में कई संभावनाएँ छुपी हुई हैं, यदि निर्देशक ने इन्हें सही ढंग से निखारा होता तो बेहतर होता। 😊

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    Aishwarya Raikar मई 27, 2025 AT 02:21

    है ना, प्रोडक्शन हाउस ने इस फ़िल्म को पारदर्शी बनाने के लिए छुपे कोड्स डाले हैं, बस हमें डिकोड करना है।

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    Arun Sai जून 6, 2025 AT 12:51

    ट्रेंड-फ़ॉरवर्ड स्मृति मॉड्यूल के रूप में यह स्क्रिप्ट नॉलेज ग्राफ़ पर नई क्वेरी लगाती है, पर दर्शक इसे नहीं समझ पाते।

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    Manish kumar जून 16, 2025 AT 23:21

    फ़िल्म 'देवा' का कनेक्शन बहुत ही अजीब है
    कहानी में स्मृति क्षति को वैज्ञानिक प्रयोग के रूप में दिखाया गया है
    मुख्य किरदार की दो व्यक्तित्वों की टक्कर दर्शकों को लगातार चुनौतियों में डालती है
    साइड कैरेक्टर पवैल गुलाटी की मौजूदगी कुछ हद तक फ़िल्म को स्थिर बनाती है
    संगीतकार विशाल मिश्रा ने पृष्ठभूमि संगीत में बहुत ही प्राचीन धुनों को मिलाया है
    ऐसे प्रयोग कभी-कभी फ़िल्म को वैकल्पिक दुनिया में ले जाते हैं
    परंतु निर्देशकों की कई कमियाँ स्पष्ट रूप से दिखती हैं
    कहानी का प्रवाह कई बार रुक जाता है
    फ़िल्म के मध्य में एक बड़ा ट्विस्ट आता है
    वह ट्विस्ट सबसे पहले आश्चर्यचकित करता है
    पर फिर वह निराशा की ओर मोड़ देता है
    दर्शकों को यह समझाने में फ़िल्म संघर्ष करती है
    पात्रों के बीच संवाद कभी-कभी बहुत ही जटिल हो जाता है
    यह जटिलता दर्शक को पीछे छोड़ देती है
    आखिरकार यह फ़िल्म 2.5 स्टार की ही काबिल है
    फिर भी इस फ़िल्म में कुछ खास पल हैं जो इसे एकबार देखना योग्य बनाते हैं

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    Divya Modi जून 27, 2025 AT 09:51

    समझ रहा हूँ कि आप फ़िल्म की क्षमताओं को सराहते हैं, पर अंत में थोड़ा और उम्मीद रखी जा सकती थी 😅

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    ashish das जुलाई 7, 2025 AT 20:21

    मैं इस समीक्षा को उच्चस्तरीय विश्लेषण मानता हूँ, विशेषतः कथा संरचना के विश्लेषण में अनुशासन स्पष्ट है।

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    vishal jaiswal जुलाई 18, 2025 AT 06:51

    समीक्षा में प्रस्तुत बिंदुओं को देखते हुए, भविष्य की फ़िल्में इस दिशा में सुधार कर सकती हैं।

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