शहीद कपूर की नयी फिल्म 'देवा' और उसकी रोचक कहानी
शहीद कपूर 'देवा' फिल्म में एक पुलिस अधिकारी के किरदार में नजर आते हैं, जो अपनी अनूठी कार्यशैली और गुंडागर्दी के कारण चर्चा में रहते हैं। फिल्म की कहानी का प्रमुख केंद्र उनकी यादाश्त खोने के बाद के घटनाक्रम हैं, जिसमें देवा अपने दोस्त रोशन डी'सिलवा की हत्या के मामले को सुलझाने का प्रयास करते हैं। फिल्म की शुरुआत में देवा का एक्सीडेंट हो जाता है और आगे की कहानी इसी घटना के पटाक्षेप पर आधारित है।
कहानी का चरमोत्कर्ष और शहीद का अभिनय
फिल्म 'देवा' की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, उसमें रहस्य और रोमांच का समावेश बढ़ता जाता है। शहीद कपूर ने देवा के दो रूपों, देवा ए और देवा बी, के बीच के अंतर को बखूबी प्रस्तुत किया है, जिससे दर्शकों को उनकी अभिनय प्रतिभा का आनंद मिलता है। हालांकि, यह कहा जा सकता है कि उन्होंने इस फिल्म में कुछ नया नहीं पेश किया है। इसके बावजूद, उनका अभिनय सराहनीय है।
महिला पात्रों का अभाव और साइड एक्टर्स की भूमिका
फिल्म में दो प्रमुख महिला पात्र, पूजा हेगड़े और कुब्रा सैत, हैं, जिन्हें पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया है। ऐसा लगता है कि फिल्म के निर्माताओं ने इन्हें केवल प्रशंगिकता के लिए शामिल किया है। हालाँकि, सहायक कलाकार पवैल गुलाटी और प्रवेऋष राणा ने अपने किरदारों को सजीवता प्रदान की है और दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी है। उनके अभिनय ने फिल्म को कुछ हद तक मजबूती प्रदान की है।
फिल्म का संगीत और पृष्ठभूमि स्कोर
फिल्म 'देवा' में संगीतकार विशाल मिश्रा का संगीत और जैक्स बेजॉय का बैकग्राउंड स्कोर कहानी को एक नया आयाम देने में सफल होता है। हालांकि, फिल्म के कुछ दृश्य पूर्वानुमेय हैं और निर्देशन में कुछ कमजोरियाँ भी हैं, लेकिन संगीत की खूबी के कारण यह फिल्म देखने लायक बनती है। विशेषकर दूसरी छमाही और करीब के क्लाइमेक्स सीन ने दर्शकों को बांधे रखा है।
रॉशान एंड्र्यूज की पहली बॉलीवुड फिल्म
यह फिल्म रॉशान एंड्र्यूज की पहली बॉलीवुड फिल्म है और उन्हें निर्देशन में कुछ कमियों का सामना करना पड़ा है। फिल्म का समापन इस तरह किया गया है जो इसके दूसरे भाग की आवश्यकता को दर्शाता है, और यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में इसकी कहानी को और विस्तार मिलेगा।
अंततः, 'देवा' को २.५ स्टार रेटिंग दी गई है और इसे एक औसतदारीय एक बार देखने योग्य फिल्म के रूप में देखा जा रहा है। यह फिल्म दर्शकों को नये अंदाज में आकर्षित करने में कामयाब नहीं हो पाई है, लेकिन इसमें कुछ विशेष क्षण हैं, जो इसे कुछ हद तक दर्शनीय बनाते हैं।
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