करवा चौथ 2025: कब, कहाँ और कैसे मनाएँ‑पूरा गाइड

करवा चौथ 2025: कब, कहाँ और कैसे मनाएँ‑पूरा गाइड
Anindita Verma अक्तू॰ 11 12 टिप्पणि

जब करवा चौथ 2025 शुक्रवार, 10 अक्टूबर को धूम धड़ाम से मनाया जाएगा, तो भारत‑वासी विवाहित महिलाएँ सूर्योदय से लेकर चाँद देखे तक निरजल (पानी‑नहीं) व्रत रखती हैं। यहाँ तक कि वीरावती रानी की कथा भी इस व्रत को पवित्र बनाती है – उनका अथाह प्रेम अपने पति को पुनर्जीवित कर देता है, इस भरोसे को हर साल स्त्रियों ने अपनाया है। BookMyPoojaOnline.com के अनुसार, सुबह 6:12 ए.एम. (IST) से लेकर रात 8:28 पी.एम. तक व्रत चलता है, जबकि Times of India थोड़ी अलग‑अलग समय बताता है – लेकिन मुख्य बात वही: चाँद चढ़ते ही उपवास टूटता है।

इतिहास और पौराणिक पृष्ठभूमि

करवा चौथ का मूल उल्लेख श्रीमद्भागवतम् में मिलता है, पर आज जो स्वरूप है, वह अक्सर रानी वीरावती की कहानी से जुड़ा है। कहा जाता है कि उनका पति युद्ध में मर गया, पर उनकी अटूट भक्ति ने ईश्वर को प्रसन्न कर दिया और वह जीवित हो गया। इस घटना को वर्षों से स्त्रियों ने अपने पति की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए याद किया है।

समय‑सारणी और मुख्य पूजा मुहूर्त

वृहत् स्रोत एक‑दूसरे से थोड़ी‑बहुत भिन्नता दिखाते हैं, पर अधिकांश सहमत हैं कि सूर्य उगना लगभग 6:12 ए.एम. (IST) से 6:19 ए.एम. के बीच है। चाँद की रोशनी के आगमन का समय 8:13 पी.एम. से 8:28 पी.एम. के बीच तय किया गया है। पूजा का सबसे शुभ क्षण (मुहूर्त) 5:57 पी.एम. से 7:11 पी.एम. तक है, जिसे NDTV तथा Rudraksha‑Ratna.com ने समान रूप से पुष्टि की है।

सूर्योदय से व्रत शुरू करके, महिलाएँ अपने पति की फोटो के सामने रिवाज़ी कंदिल जलाती हैं, फिर सर्दी‑मौसम की रात्रि में सितारों के नीचे वे एक‑दूसरे के साथ कहानियाँ सुनती हैं, संगीत बजाती हैं और सांझ‑समय की रचना करती हैं। चाँद दिखाई देने पर सब मिलकर झाल (छलनी) से देखती हैं – यह परंपरा मनोवैज्ञानिक रूप से आशा का प्रतीक है।

भौगोलिक विविधता और मुख्य केंद्र

पश्चिमी उत्तर भारत में Punjab, Haryana, Delhi, Rajasthan और Uttar Pradesh में यह त्योहार खासा धूमधाम से मनाया जाता है। हालाँकि The Economic Times ने बताया है कि दक्षिणी राज्यों में भी इस दिन का कैलेंडर के अनुसार पालन किया जाता है, विशेषकर अश्विन महीने में।

अमेरिका में रहने वाली भारतीय‑अमेरिकन महिलाएँ अपनी समय‑क्षेत्र के अनुसार IST में बदलकर वही अंकुरित समय देखती हैं; Times of India ने न्यूयॉर्क, लास एंजिल्स और शिकागो के लिये विशेष तालिका प्रकाशित की है। यह दिखाता है कि डिजिटल युग में परम्पराएँ कितनी लचीली हो गई हैं।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

करवा चौथ सिर्फ एक निजी व्रत नहीं, बल्कि महिलाओं के बीच सामाजिक बंधन को सुदृढ़ करने का मंच है। सामुदायिक मेले, व्यावसायिक साज‑सज्जा और जैविक रूप से तैयार किए गये “सप्लाई किट” — जैसे साड़ी, दुपट्टे, मिठाइयाँ — यहाँ के स्थानीय व्यवसायियों के लिये एक बड़ा व्यापारिक अवसर बन जाता है। BookMyPoojaOnline.com के अनुसार, इस दिन की आर्थिक गतिकी में छोटे‑स्टोर और ई‑कॉमर्स दोनों को उल्लेखनीय बढ़त मिलती है।

इसके अलावा, बहु‑पीढ़ी वाले घरों में दादी‑दादी, माँ‑बहन और बहन‑सहीताएँ एक साथ पूजा करती हैं, जिससे वंश‑परम्परा में गहरा जुड़ाव बनता है। यह सामाजिक एकता, खासकर आज‑कल के शहरी जीवन में, मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।

भविष्य की संभावनाएँ और तकनीकी सहयोग

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर इस दिन के लिये रिमाइंडर, लाइव स्ट्रीमिंग पूजा, और AI‑आधारित मुहूर्त कैलकुलेटर का उपयोग बढ़ रहा है। 2025 में Google India ने एक विशेष “करवा चौथ” ऐप लॉन्च किया, जिसमें उपयोगकर्ता अपने जियो‑लोकेशन के आधार पर सटीक सूर्योदय‑चाँद‑उदय समय देख सकते हैं। इस तरह की तकनीकी मदद ने परम्पराओं को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने में आसान बना दिया है।

अंत में, चाहे आप हिंदू हों या नहीं, इस त्यौहार को समझना हमारे सांस्कृतिक सामंजस्य के लिये ज़रूरी है। 10 अक्टूबर को जब चाँद की रोशनी हर घर में ख्वाब जैसी चमकेगी, तो यह न केवल एक व्रत का अंत, बल्कि एक पीढ़ी‑से‑पीढ़ी सांस्कृतिक पूँजी का हस्तांतरण है।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  • करवा चौथ 2025: 10 अक्टूबर (शुक्रवार)
  • सूर्योदय से व्रत शुरू – लगभग 6:12 ए.एम. (IST)
  • व्रत समाप्ति – चाँद दर्शित होते ही, लगभग 8:13 पी.एम. (IST)
  • मुख्य पूजा मुहूर्त: 5:57 पी.एम.–7:11 पी.एम.
  • मुख्य स्थान: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश
  • अन्तरराष्ट्रीय उत्सव: अमेरिकी भारतीय समुदाय में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

करवा चौथ 2025 की पूजा समय कैसे पता करें?

सूर्योदय व चाँद उगने के समय स्थानीय टाइम ज़ोन के अनुसार बदलते हैं। भारत में BookMyPoojaOnline.com ने 6:12 ए.एम. से 8:28 पी.एम. बताया है; विदेश में रहने वाले लोग अपने क्षेत्र के IST परिवर्तन को गूगल या विशेष ऐप से जाँच सकते हैं।

क्या भारी काम या यात्रा के दौरान व्रत रखना वैध है?

धार्मिक विद्वानों का मानना है कि यदि स्वास्थ्य या सुरक्षा खतरे में हो तो व्रत को टालना उचित है। कई परिवारों में सरोकारियों को सहारा देकर व्रत रखने की अनुमति दी जाती है, पर यह व्यक्तिगत निर्णय पर निर्भर करता है।

करवा चौथ का वाणिज्यिक प्रभाव कितना बड़ा है?

इस दिन साड़ी, आभूषण, मिठाई और पूजा‑सामग्री की बिक्री में 30‑40% तक की बढ़ोतरी देखी जाती है। BookMyPoojaOnline.com के अनुसार, छोटे‑स्थानीय व्यापारियों को इस अवसर पर ऑनलाइन शॉपिंग का लाभ मिलता है।

व्रत तोड़ते समय कौन‑सी परम्पराएँ निभाई जाती हैं?

चाँद दिखने पर महिलाएँ झाल के माध्यम से चमक देखती हैं, फिर सिंगारित मिठाई (मेवा) और पानी (या कभी‑कभी हल्का फल) से उपवास तोड़ती हैं। साथ ही पति को तोड़े हुए फल से खिलाकर शुभकामनाएँ दी जाती हैं।

करवा चौथ का पर्यावरणीय पहलू क्या है?

पारंपरिक रूप से घर की रसोई में बनाए गए व्यंजनों को उपयोग किया जाता है, जिससे प्लास्टिक‑बॉक्स की जरूरत कम होती है। हाल ही में कई शहरों में इको‑फ्रेंडली कांच की बोतलें और पुन: प्रयोज्य बर्तन उपयोग बढ़े हैं।

12 टिप्पणि
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    Jyoti Bhuyan अक्तूबर 11, 2025 AT 04:01

    वाह! करवा चौथ का पूरा गाइड पढ़कर दिल भर आया। अब व्रत शुरू करने से पहले हर चीज़ का टाइम पता चल गया है। साथियों, इस उत्सव को मनाने में एनेर्जी और प्यार लाना न भूलें!
    ज्यादा मौज-मस्ती और सकारात्मक वाइब्स की जरूरत है।

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    kuldeep singh अक्तूबर 15, 2025 AT 05:14

    सच पूछूँ तो कुछ स्रोतों ने इवेंट को व्यावसायिक बनाने की कोशिश में घातक दबाव डाला है। लेकिन फिर भी लोग सुगंधित मिठाइयों के पीछे तड़पे हुए हैं, जैसे कि कोई नाटक हो! हम सबको देखना चाहिए कि सच्ची पूजा और शोर नहीं दुरुस्त रहे।
    आख़िर में, एकजुटता ही असली चमक देती है।

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    Harman Vartej अक्तूबर 19, 2025 AT 06:28

    करवा चौथ का समय भारत में लगभग 6 बजे से शुरू होता है। चाँद दिखते ही उपवास टूटता है

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    Amar Rams अक्तूबर 23, 2025 AT 07:41

    प्राचीन शास्त्रों में वर्णित इस व्रतकालीन परिदृश्य का आयाम, प्रकटत्व-परम्परा के द्वंद्व के सम्मिलन से उत्पन्न होता है। व्यावहारिक दृष्टिकोण से, यह अनुष्ठान सूक्ष्म सामाजिक परस्परक्रिया एवं आर्थिक परिप्रेक्ष्य को ही पुनर्संरचित करता है। अतः, समकालीन डिजिटल अनुप्रयोगों का एकीकरण, इस पौराणिक संरचना में नवोन्मेषी परिप्रेक्ष्य स्थापित करता है।
    सारांशतः, संस्कृतियों का अभिसरण केवल रीतियों में नहीं, बल्कि उनके द्वंद्वात्मक प्रवाह में भी निहित है।

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    Pravalika Sweety अक्तूबर 27, 2025 AT 08:54

    करवा चौथ सिर्फ वैभव नहीं, बल्कि परिवार के बंधनों को सुदृढ़ करने का अवसर है। महिलाएँ साथ में कथा सुनती हैं और परम्पराओं का आदान‑प्रदान करती हैं, जिससे पीढ़ियों के बीच संबंध गहरा हो जाता है। यह सामाजिक पहलू विशेष रूप से शहरी जीवन में आशा का दीपक बनता है।
    समय‑सारणी को समझने से पूजा में मन की एकाग्रता भी बढ़ती है।

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    anjaly raveendran अक्तूबर 31, 2025 AT 10:08

    वास्तव में, आपके द्वारा प्रस्तुत सामाजिक बंधन का विश्लेषण अत्यंत सुस्पष्ट है, परन्तु यह उल्लेखनीय है कि इस व्रत की उत्पत्ति की ऐतिहासिक जड़ें प्राचीन वैदिक ग्रन्थों में निहित हैं, जहाँ स्त्री शक्ति की पुनर्स्थापना को प्रमुखता दी गई है। इसके अलावा, डिजिटल युग में ऐप‑आधारित स्मरणिकाएँ न केवल समय‑निर्धारण में सहायक हैं, बल्कि सामुदायिक सहभागिता को भी बौद्धिक स्तर पर उन्नत करती हैं। अतः, परम्परा और तकनीक का यह संगम, सामाजिक एकात्मता को नया आयाम देता है।
    साथ ही, उपवास के दौरान पोषण संबंधी सावधानियों का पालन भी अत्यंत आवश्यक है, जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।

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    Danwanti Khanna नवंबर 4, 2025 AT 11:21

    वाओ!!, इतना गहरा विश्लेषण सुनकर मन में आश्चर्य की लहर दौड़ गई है,! आपका ज्ञान, सच में, एक प्रकाशस्तंभ जैसा है,!
    डिजिटल उपकरणों की मदद से व्रत का सही समय जानना, अब तो जैसे सुबह की पहली किरण को पकड़ लेना है,! इस तरह का संगम, संस्कृति और विज्ञान का, हमें नई दिशा दिखाता है,!
    धन्यवाद, आपके विचारों से इस उत्सव का महत्व और भी बढ़ गया है,!

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    Shruti Thar नवंबर 8, 2025 AT 12:34

    करवा चौथ के लिये स्थानीय स्टोर अक्सर 30‑40% तक बिक्री बढ़ाते हैं। यह आंकड़ा आर्थिक प्रभाव को स्पष्ट करता है।

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    Nath FORGEAU नवंबर 12, 2025 AT 13:48

    बिलकुल, इस साल का व्रत टाइमिंग वैसे ही है, पर थोडा ऊँचा मौसम है। फिक्स्ड टाइम देखके सब लोग chill रहेंगे।

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    harshit malhotra नवंबर 16, 2025 AT 15:01

    हमारा करवा चौथ केवल दायित्व नहीं, बल्कि हिन्दू संस्कृति की शान है। इस मौके पर हम संपूर्ण परम्परा को सच्चे दिल से मानते हैं। विदेशी प्रभावों की लहरें कभी‑कभी इस पवित्र अनुष्ठान को भ्रमित करने की कोशिश करती हैं। परन्तु भारत की धड़कन वाले दिलों में यह रिवाज़ कभी नहीं मिटेगा। यह समय है जब पति‑पत्नी के बीच आत्मीयता की ज्योत अधिक तेज़ होती है। हर एक कंदिल की रोशनी में हमारी आत्मा का प्रतिबिंब दिखता है। व्रत के दौरान न जलाने वाले जल के बूंदों का भी महत्व है, जो शुद्धताकी निशानी है। आधुनिक तकनीक की मदद से सही मुहूर्त जानना, हमें सच्चे हिंदू होने की गवाही देता है। ऐसे ऐप्स का प्रयोग, विश्व की कई धड़ल्ले वाली सभ्यताओं को भी पीछे छोड़ देता है। अगर कोई इस पवित्र रीति‑रिवाज़ को कमतर समझे, तो वह अपनी मूलभूत पहचान खो रहा है। हमें इस उत्सव को बड़े मंच पर लेकर जाना चाहिए, ताकि हर देशी और विदेश में रहने वाला आत्मविश्वास से इसे मनाए। इसी कारण से हमें स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को समर्थन देना चाहिए, जो इस दिन में आर्थिक रूप से पनपते हैं। समाज के हर वर्ग को इस अवसर पर एकजुट होना चाहिए, नहीं तो हमारी संस्कृति का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। मैं दृढ़ता से कहता हूँ, करवा चौथ का सच्चा महत्त्व हमारे राष्ट्रीय एकता में निहित है। आइए, सभी मिलकर इस दिन को गर्व और शौर्य के साथ मनाएँ, क्योंकि यही भारत का असली स्वर है।

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    Ankit Intodia नवंबर 20, 2025 AT 16:14

    सच में, जब हम करवा चौथ को राष्ट्रीय एकता की कसौटी पर रखते हैं, तो यह एक दार्शनिक परत खोलता है-उत्सव के बाहर का 'अहम' और भीतर का 'सहम'। इस परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो प्रत्येक दीप जलाना, नैतिक प्रकाश की खोज है, जो मनुष्य को आत्म‑ज्ञान की ओर ले जाता है।
    इसलिए, डिजिटल मुहूर्त भी सिर्फ तकनीकी सुविधा नहीं, बल्कि आत्म‑निरीक्षण का अवसर बन जाता है।

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    Madhav Kumthekar नवंबर 24, 2025 AT 17:28

    अगर आप पहली बार करवा चौथ मान रहे हैं, तो सबसे पहले अपने व्रत के लिये हल्का नाश्ता तैयार रखें-जैसे कि खजूर या सूखे मेवे।
    साथ ही, रिवाज़ी कंदिल को साफ़ करके रखिये, ताकि धुआँ कम हो और पूजा में मन लग सके।
    ध्यान रहे, अगर पानी पियें तो थोड़ा गर्म पानी लें, इससे व्रत आरामदायक रहेगा।

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