जब करवा चौथ 2025 शुक्रवार, 10 अक्टूबर को धूम धड़ाम से मनाया जाएगा, तो भारत‑वासी विवाहित महिलाएँ सूर्योदय से लेकर चाँद देखे तक निरजल (पानी‑नहीं) व्रत रखती हैं। यहाँ तक कि वीरावती रानी की कथा भी इस व्रत को पवित्र बनाती है – उनका अथाह प्रेम अपने पति को पुनर्जीवित कर देता है, इस भरोसे को हर साल स्त्रियों ने अपनाया है। BookMyPoojaOnline.com के अनुसार, सुबह 6:12 ए.एम. (IST) से लेकर रात 8:28 पी.एम. तक व्रत चलता है, जबकि Times of India थोड़ी अलग‑अलग समय बताता है – लेकिन मुख्य बात वही: चाँद चढ़ते ही उपवास टूटता है।
इतिहास और पौराणिक पृष्ठभूमि
करवा चौथ का मूल उल्लेख श्रीमद्भागवतम् में मिलता है, पर आज जो स्वरूप है, वह अक्सर रानी वीरावती की कहानी से जुड़ा है। कहा जाता है कि उनका पति युद्ध में मर गया, पर उनकी अटूट भक्ति ने ईश्वर को प्रसन्न कर दिया और वह जीवित हो गया। इस घटना को वर्षों से स्त्रियों ने अपने पति की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए याद किया है।
समय‑सारणी और मुख्य पूजा मुहूर्त
वृहत् स्रोत एक‑दूसरे से थोड़ी‑बहुत भिन्नता दिखाते हैं, पर अधिकांश सहमत हैं कि सूर्य उगना लगभग 6:12 ए.एम. (IST) से 6:19 ए.एम. के बीच है। चाँद की रोशनी के आगमन का समय 8:13 पी.एम. से 8:28 पी.एम. के बीच तय किया गया है। पूजा का सबसे शुभ क्षण (मुहूर्त) 5:57 पी.एम. से 7:11 पी.एम. तक है, जिसे NDTV तथा Rudraksha‑Ratna.com ने समान रूप से पुष्टि की है।
सूर्योदय से व्रत शुरू करके, महिलाएँ अपने पति की फोटो के सामने रिवाज़ी कंदिल जलाती हैं, फिर सर्दी‑मौसम की रात्रि में सितारों के नीचे वे एक‑दूसरे के साथ कहानियाँ सुनती हैं, संगीत बजाती हैं और सांझ‑समय की रचना करती हैं। चाँद दिखाई देने पर सब मिलकर झाल (छलनी) से देखती हैं – यह परंपरा मनोवैज्ञानिक रूप से आशा का प्रतीक है।
भौगोलिक विविधता और मुख्य केंद्र
पश्चिमी उत्तर भारत में Punjab, Haryana, Delhi, Rajasthan और Uttar Pradesh में यह त्योहार खासा धूमधाम से मनाया जाता है। हालाँकि The Economic Times ने बताया है कि दक्षिणी राज्यों में भी इस दिन का कैलेंडर के अनुसार पालन किया जाता है, विशेषकर अश्विन महीने में।
अमेरिका में रहने वाली भारतीय‑अमेरिकन महिलाएँ अपनी समय‑क्षेत्र के अनुसार IST में बदलकर वही अंकुरित समय देखती हैं; Times of India ने न्यूयॉर्क, लास एंजिल्स और शिकागो के लिये विशेष तालिका प्रकाशित की है। यह दिखाता है कि डिजिटल युग में परम्पराएँ कितनी लचीली हो गई हैं।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
करवा चौथ सिर्फ एक निजी व्रत नहीं, बल्कि महिलाओं के बीच सामाजिक बंधन को सुदृढ़ करने का मंच है। सामुदायिक मेले, व्यावसायिक साज‑सज्जा और जैविक रूप से तैयार किए गये “सप्लाई किट” — जैसे साड़ी, दुपट्टे, मिठाइयाँ — यहाँ के स्थानीय व्यवसायियों के लिये एक बड़ा व्यापारिक अवसर बन जाता है। BookMyPoojaOnline.com के अनुसार, इस दिन की आर्थिक गतिकी में छोटे‑स्टोर और ई‑कॉमर्स दोनों को उल्लेखनीय बढ़त मिलती है।
इसके अलावा, बहु‑पीढ़ी वाले घरों में दादी‑दादी, माँ‑बहन और बहन‑सहीताएँ एक साथ पूजा करती हैं, जिससे वंश‑परम्परा में गहरा जुड़ाव बनता है। यह सामाजिक एकता, खासकर आज‑कल के शहरी जीवन में, मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।
भविष्य की संभावनाएँ और तकनीकी सहयोग
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर इस दिन के लिये रिमाइंडर, लाइव स्ट्रीमिंग पूजा, और AI‑आधारित मुहूर्त कैलकुलेटर का उपयोग बढ़ रहा है। 2025 में Google India ने एक विशेष “करवा चौथ” ऐप लॉन्च किया, जिसमें उपयोगकर्ता अपने जियो‑लोकेशन के आधार पर सटीक सूर्योदय‑चाँद‑उदय समय देख सकते हैं। इस तरह की तकनीकी मदद ने परम्पराओं को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने में आसान बना दिया है।
अंत में, चाहे आप हिंदू हों या नहीं, इस त्यौहार को समझना हमारे सांस्कृतिक सामंजस्य के लिये ज़रूरी है। 10 अक्टूबर को जब चाँद की रोशनी हर घर में ख्वाब जैसी चमकेगी, तो यह न केवल एक व्रत का अंत, बल्कि एक पीढ़ी‑से‑पीढ़ी सांस्कृतिक पूँजी का हस्तांतरण है।

मुख्य तथ्य
- करवा चौथ 2025: 10 अक्टूबर (शुक्रवार)
- सूर्योदय से व्रत शुरू – लगभग 6:12 ए.एम. (IST)
- व्रत समाप्ति – चाँद दर्शित होते ही, लगभग 8:13 पी.एम. (IST)
- मुख्य पूजा मुहूर्त: 5:57 पी.एम.–7:11 पी.एम.
- मुख्य स्थान: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश
- अन्तरराष्ट्रीय उत्सव: अमेरिकी भारतीय समुदाय में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
करवा चौथ 2025 की पूजा समय कैसे पता करें?
सूर्योदय व चाँद उगने के समय स्थानीय टाइम ज़ोन के अनुसार बदलते हैं। भारत में BookMyPoojaOnline.com ने 6:12 ए.एम. से 8:28 पी.एम. बताया है; विदेश में रहने वाले लोग अपने क्षेत्र के IST परिवर्तन को गूगल या विशेष ऐप से जाँच सकते हैं।
क्या भारी काम या यात्रा के दौरान व्रत रखना वैध है?
धार्मिक विद्वानों का मानना है कि यदि स्वास्थ्य या सुरक्षा खतरे में हो तो व्रत को टालना उचित है। कई परिवारों में सरोकारियों को सहारा देकर व्रत रखने की अनुमति दी जाती है, पर यह व्यक्तिगत निर्णय पर निर्भर करता है।
करवा चौथ का वाणिज्यिक प्रभाव कितना बड़ा है?
इस दिन साड़ी, आभूषण, मिठाई और पूजा‑सामग्री की बिक्री में 30‑40% तक की बढ़ोतरी देखी जाती है। BookMyPoojaOnline.com के अनुसार, छोटे‑स्थानीय व्यापारियों को इस अवसर पर ऑनलाइन शॉपिंग का लाभ मिलता है।
व्रत तोड़ते समय कौन‑सी परम्पराएँ निभाई जाती हैं?
चाँद दिखने पर महिलाएँ झाल के माध्यम से चमक देखती हैं, फिर सिंगारित मिठाई (मेवा) और पानी (या कभी‑कभी हल्का फल) से उपवास तोड़ती हैं। साथ ही पति को तोड़े हुए फल से खिलाकर शुभकामनाएँ दी जाती हैं।
करवा चौथ का पर्यावरणीय पहलू क्या है?
पारंपरिक रूप से घर की रसोई में बनाए गए व्यंजनों को उपयोग किया जाता है, जिससे प्लास्टिक‑बॉक्स की जरूरत कम होती है। हाल ही में कई शहरों में इको‑फ्रेंडली कांच की बोतलें और पुन: प्रयोज्य बर्तन उपयोग बढ़े हैं।
वाह! करवा चौथ का पूरा गाइड पढ़कर दिल भर आया। अब व्रत शुरू करने से पहले हर चीज़ का टाइम पता चल गया है। साथियों, इस उत्सव को मनाने में एनेर्जी और प्यार लाना न भूलें!
ज्यादा मौज-मस्ती और सकारात्मक वाइब्स की जरूरत है।