विश्व संगीत दिवस पर एक लेखक ने अपने संगीत से जूझने की कहानी साझा की

विश्व संगीत दिवस पर एक लेखक ने अपने संगीत से जूझने की कहानी साझा की
Anindita Verma जून 21 12 टिप्पणि

विश्व संगीत दिवस पर संगीत संघर्ष की कहानी

विश्व संगीत दिवस पर, हम सभी संगीत के अद्भुत उपयोग और उसके महत्व की तारीफ करते हैं। लेकिन My Kolkata के एक लेखक ने इस दिन अपने संघर्षों को साझा किया, जो शायद कईयों के लिए एक प्रेरणा साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि संगीत को समझने और सराहना करने में उन्हें हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

लेखक ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कैसे बचपन से ही वे संगीत को ट्यून और गीतों के बोल याद नहीं कर पाते थे। जब उनके साथी बचपन में अन्य बच्चों के बीच संगीत वाद्ययंत्र सीख रहे थे, तब उन्होंने भी प्रयास किया। उन्होंने गिटार, पियानो जैसे वाद्ययंत्र सीखने की कोशिश की, लेकिन लगातार असफल रहे। इसे लेकर उनके दिल में एक निराशा बनी रही कि वे संगीत नहीं समझ पाते।

संगीत में आत्म विस्मरणता

संगीत में आत्म विस्मरणता

इस अनुभव को साझा करते हुए लेखक ने बताया कि कैसे उन्होंने खुद को इस मामले में कम महत्व देना शुरू कर दिया। उन्होंने इसे अपनी कमजोरी माना और इसे ठीक करने के लिए उचित प्रयास किए। कई बार संगीत की कक्षा में गए, लेकिन वह भी व्यर्थ साबित हुई। यह नहीं था कि उन्होंने कोशिश नहीं की, बल्कि उन्होंने संगीत को अपनी कला का एक हिस्सा बनाने की हर संभव कोशिश की।

वह कहते हैं, ‘मैंने हमेशा सोचा कि संगीत हर किसी के लिए है और इसलिए मुझे भी इसे समझना चाहिए। लेकिन लगातार असफलताओं के बाद मुझे एहसास हुआ कि शायद मेरी रचनात्मक ऊर्जा किसी अन्य दिशा में है।’

रचनात्मकता के अन्य माध्यमों की खोज

रचनात्मकता के अन्य माध्यमों की खोज

अपने संगीत संघर्षों से उबरने के बाद, लेखक ने अन्य रचनात्मक माध्यमों की ओर देखा। उन्होंने लेखन को अपनी रचनात्मकता का माध्यम बनाया। लेखन ने उन्हें खुद को अभिव्यक्त करने की आजादी दी और एक नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि यह अनुभव उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे उन्हें खुद को अपनी सत्य स्वरूप में पहचानने का मौका मिला।

लेखक ने यह बताते हुए भी साझा किया कि कैसे संगीत के प्रति अपनी असफलता को स्वीकार करने के बाद, उन्होंने अपनी रचनात्मक शक्तियों को बेहतर ढंग से पहचानना शुरू किया। इस आत्म-स्वीकृति ने उन्हें अपने लेखन में गहराई तक जाने का और खुद के भीतर छिपी कहानियों को उजागर करने का अवसर दिया।

आत्म-स्वीकृति की महत्ता

आत्म-स्वीकृति की महत्ता

आत्म-स्वीकृति किसी भी व्यक्ति के जीवन मार्ग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेखक ने कहा, ‘अपने कमजोरियों को पहचानना और स्वीकार करना हमें मजबूत बनाता है। यह अनुभव मुझे सिखाया कि हालांकि मैंने संगीत नहीं सीखा, लेकिन मैंने अपनी रचनातमकता के दूसरे स्वरों को पहचाना। यही आत्म-स्वीकृति का महत्व है।’

लेखक की इस अनुभव कहानी ने हमें यह सिखाया कि कमजोरियों को पहचानने और स्वीकार करने से हम अपने आपको और अधिक मजबूत और रचनात्मक बना सकते हैं। इसके लिए हमें खुद को समय देना चाहिए और अपनी असफलताओं से सीखना चाहिए।

संक्षेप में

विश्व संगीत दिवस पर एक लेखक ने अपने संगीत के संघर्ष की कहानी साझा की जिससे हमें समझ में आया कि प्रत्येक व्यक्ति की रचनात्मकता भिन्न होती है और हमें अपने असफलताओं से डर कर नहीं भागना चाहिए। आत्म-स्वीकृति और सही माध्यमों की खोज हमारे जीवन में नई ऊचाइयों को हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण पथ है।

12 टिप्पणि
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    Darshan M N जून 21, 2024 AT 21:56

    संगीत की लड़ाई की कहानी सुनकर थोड़ी सी सराहना होती है। लेकिन कभी‑कभी खुद को उधार लेना मुश्किल लगता है।

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    manish mishra जून 26, 2024 AT 05:56

    आखिर में यह सब सिस्टम का हिस्सा है, हमें संगीत से दूर रखने के लिए ही प्रोग्राम बनते हैं 🙂 लेकिन लेखक ने सही कहा, खुद को खोजना सबसे बड़ा रिवोल्यूशन है।

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    tirumala raja sekhar adari जून 30, 2024 AT 13:56

    ये तो बस एक और पर्सनल एक्सपीरियंस है, डिफ़ॉल्टली सब लोग एही सोचे हैं। भाई, मै तो कहूँगा के यहाँ थ्योरी पे बेसिक समझ का फक नहीं।

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    abhishek singh rana जुलाई 4, 2024 AT 21:56

    यह पोस्ट वास्तव में कई लोगों को प्रेरित कर सकती है। संगीत में असफलता का सामना करने के बाद लेखक ने लेखन को अपना मार्ग बनाया। लेखन की शक्ति हमें अपने विचारों को व्यवस्थित करने में मदद करती है। जब हम संगीत के नोट्स को नहीं पकड़ पाते, तो शब्दों की लय हमें संतुलन देती है। इसके अलावा, लिखना एक थेरेपी जैसा काम करता है। लेखक ने बताया कि कैसे वह अपने दिल की बात कागज़ पर उतारता है। यह प्रक्रिया आत्म-स्वीकृति की ओर एक कदम है। आत्म-स्वीकृति से ही हम अपनी कमजोरियों को पहचानते हैं। फिर हम उनसे मजबूत बनाने के तरीकों को खोजते हैं। दूसरी ओर, रचनात्मकता का कोई एक ही रूप नहीं होता। संगीत, चित्रकला, लेखन-सबमें अलग‑अलग भावनाएँ समाहित होती हैं। इसलिए किसी एक क्षेत्र में असफलता को अंतिम मानना सही नहीं। लेखक ने यह समझा कि उसकी रचनात्मक ऊर्जा कहीं और बह रही थी। इस समझ ने उसे नई दिशा दी और उसने लेखन में गहराई तक जाना शुरू किया। अंत में, यही कहानी हमें बताती है कि सच्ची सफलता खुद को पहचानने में ही है।

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    Shashikiran B V जुलाई 9, 2024 AT 05:56

    वास्तव में यह विचार गहराई से जुड़ा हुआ है; कई बार हम खुद को एक ही बंधन में फँसा देखते हैं, लेकिन बहु‑आयामी सोच से हम अपनी सीमाएँ तोड़ सकते हैं।

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    Sam Sandeep जुलाई 13, 2024 AT 13:56

    इंडस्ट्रियल एन्हांसमेंट फ्रेमवर्क के तहत यह मोटीवेशनल पैटर्न काफी हाइलाइटेड है, लेकिन वास्तविक आईडिया ट्रांसफर अक्सर डिस्रप्ट हो जाता है।

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    Ajinkya Chavan जुलाई 17, 2024 AT 21:56

    सच कहूँ तो इस पोस्ट में कोई नई बात नहीं, बस वही पुराना व्याख्यान है, लेकिन मैं कहूँगा कि थोड़ा दबंग अंदाज़ में लिखा जाता तो बेहतर था।

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    Ashwin Ramteke जुलाई 22, 2024 AT 05:56

    लेखक की कहानी को पढ़कर हमें यह समझ में आया कि खुद के अंदर की रचनात्मकता को खोजने में धैर्य बहुत ज़रूरी है। यदि आप भी संगीत में कठिनाई महसूस कर रहे हैं तो लेखन, ड्रॉइंग या कोई भी क्रिएटिव हॉबी अपनाएँ, इससे आत्म‑विश्वास बढ़ेगा।

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    Rucha Patel जुलाई 26, 2024 AT 13:56

    सिर्फ़ आवाज़ से नहीं, दिल से जुड़ाव चाहिए।

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    Kajal Deokar जुलाई 30, 2024 AT 21:56

    आपके इस प्रोत्साहनपूर्ण विचार से बहुत प्रेरणा मिली है; वास्तव में विविध रचनात्मक मार्गों को अपनाना व्यक्ति को नई ऊँचाइयों तक ले जाता है।

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    Dr Chytra V Anand अगस्त 4, 2024 AT 05:56

    क्या आपने कभी सोचा है कि संगीत और लेखन के बीच न्यूरोलॉजिकल कनेक्शन क्या होता है? यह प्रश्न मेरे मन में कई बार आया है और इस पर गहन अध्ययन की आवश्यकता है।

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    Deepak Mittal अगस्त 8, 2024 AT 13:56

    देखिए, यहाँ तक कि यह सब एक बड़े व्यावसायिक योजना का हिस्सा है, जहाँ कलाकारों को हर बार नया‑नया ट्रेंड फॉलो करने के लिए मजबूर किया जाता है।

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