उत्तर प्रदेश में बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद, सरकारी मदद की दरकार

उत्तर प्रदेश में बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद, सरकारी मदद की दरकार
Anindita Verma जुल॰ 27 8 टिप्पणि

बरसात से बर्बादी में डूबे किसान

उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में इस साल मानसून ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही और खेतों में पानी भर जाने से धान, गन्ना और सब्जी की फसलें पूरी तरह तबाह हो गई हैं। जिन किसानों ने उर्वरक, बीज और खेत की जुताई में भारी खर्चा किया, उन्हें अब हाथ मलना पड़ रहा है। अकेले पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में हजारों हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद हो गई हैं। धान के खेत पानी में लंबे समय तक डूबे रहने के कारण पौधे सड़ने लगे हैं।

यह हालात ऐसे समय में सामने आए हैं जब पहले ही खाद और डीजल की महंगाई ने किसानों की लागत बढ़ा दी थी। आखिरकार, फसलों का नुकसान होने पर उन्हें न तो उचित दाम मिलता है और न ही कोई त्वरित राहत। कई जगहों से शिकायतें मिल रही हैं कि बीमा क्लेम की प्रक्रिया भी बहुत जटिल और धीमी है।

सरकारी इंतजाम और किसानों की उम्मीदें

सरकारी इंतजाम और किसानों की उम्मीदें

सरकार ने खेतों का सर्वे शुरू करवाया है ताकि नुकसान का आकलन किया जा सके, लेकिन अब तक किसानों के हाथ सिर्फ आश्वासन ही लगे हैं। राहत राशि कब और कितनी मिलेगी, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। जिन किसानों के पास फसल बीमा है, उन्हें भी मुआवजे की राह लंबी दिख रही है।

इस स्थिति में किसान परेशान हैं कि आगे कैसे गुजारा चलेगा। उनका कहना है कि यदि समय रहते राहत नहीं मिली तो गांवों में कर्ज और बेरोजगारी की समस्या बढ़ सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि लगातार बदलते मौसम में फसल बीमा और सरकारी मुआवजा योजना को ज्यादा सरल और तेज करना जरूरी है।

राज्य के कई गांवों में अभी भी पानी निकलने का इंतजार हो रहा है। खेत सूखेंगे तो ही अगली फसल की तैयारी हो पाएगी। इस बार की बारिश ने फिर साफ कर दिया है कि किसानों की मुश्किलें जितनी दिखती हैं, हकीकत उससे कई गुना ज्यादा गहरी हैं।

8 टिप्पणि
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    Ayan Sarkar जुलाई 27, 2025 AT 18:31

    सरकारी सर्वेक्षण में छिपे जल नियोजन के बड़े साजिशों का संकेत मिलता है क्योंकि डेटा गुप्त एल्गोरिद्म द्वारा मोड़ दिया जाता है जिससे किसानों को बस सतही आश्वासन मिलता है।

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    Amit Samant जुलाई 30, 2025 AT 02:04

    यह स्थिति निस्संदेह कृषि क्षेत्र में गहरी त्रुटियों को उजागर करती है। सरकार द्वारा जारी किए गए सरसरी आश्वासन अक्सर वास्तविक मदद में परिवर्तित नहीं होते। किसानों को आर्थिक दबाव से बाहर निकलने के लिए तत्काल राहत फंड की आवश्यकता है। बीमा प्रक्रियाओं को सरल बनाकर क्लेम की गति बढ़ाने से बहुत लाभ होगा। साथ ही, जल निकासी के लिए सटीक मानचित्रण और स्थानीय सहयोग आवश्यक है। विशेषज्ञ कृषि विज्ञान संस्थानों से तकनीकी मार्गदर्शन लेने से फसल की पुनर्प्राप्ति संभव है। मौसमी बदलावों के अनुसार बहु-फसल रणनीति अपनाना संकट को कम कर सकता है। छोटे किसान समूहों को संघटित करके अधिक प्रभावी वार्ता की जा सकती है। सरकारी योजना के तहत पूर्व भुगतान को शीघ्रता से वितरित किया जाना चाहिए। किसान कल्याण के लिए कृषि ऋण पर ब्याज में कटौती भी एक व्यवहार्य उपाय है। स्थानीय स्तर पर जल संचयन और जलभांडारण परियोजनाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए। खाद्य मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य को सुदृढ़ करना आवश्यक है। सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। अंत में, सतत विकास के लक्ष्य को पूरा करने के लिए नीति निर्माताओं को बड़े पैमाने पर सहयोगी ढांचा तैयार करना चाहिए। आशा है कि संयुक्त प्रयासों से किसान समुदाय को शीघ्र राहत और स्थिरता प्राप्त होगी।

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    ria hari अगस्त 1, 2025 AT 09:38

    भाई, ऐसी बाढ़ में फसल तो सच में बर्बाद हो गई है। लेकिन याद रखो, हर कठिनाई के साथ सीख भी आती है। हम सब मिलकर समाधान निकाल सकते हैं, साथियों के साथ सहयोग बढ़ाओ और स्थानीय NGOs से मदद लो।

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    Alok Kumar अगस्त 3, 2025 AT 17:11

    इनकी रिपोर्टिंग में डेटा थ्रॉटलिंग और ग्रिड लॉजिक का प्रयोग होता है जिससे धरती पर एकत्रित पानी को नकली आंकड़ों में बदल दिया जाता है। अंततः किसानों को सिर्फ जमीनी झूठ ही सुनाया जाता है।

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    Nitin Agarwal अगस्त 6, 2025 AT 00:44

    हमारी संस्कृति में सहयोग ही मूल है।

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    Jubin Kizhakkayil Kumaran अगस्त 8, 2025 AT 08:18

    देश की मिट्टी को बचाने के लिए हमें अपने कर्तव्य को याद रखना चाहिए। सरकारी प्रोजेक्ट्स को तेज़ी से लागू करना चाहिए ताकि हमारी आत्मनिर्भरता सुरक्षित रहे। कोई भी बाहरी हस्तक्षेप हमारे कृषि को कमजोर नहीं कर पाएगा।

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    tej pratap singh अगस्त 10, 2025 AT 15:51

    भारी बाढ़ सिर्फ प्राकृतिक नहीं, यह ग्रिड नियंत्रण की साजिश भी है। हमें सच्चाई के साथ खड़ा होना चाहिए।

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    Chandra Deep अगस्त 12, 2025 AT 23:24

    किसानों के लिए उपलब्ध सरकारी फ़ॉर्म और बीमा दायर करने के लिंक नीचे साझा कर रहा हूँ। स्थानीय कृषि विभाग के साथ संपर्क बनाए रखें। जितनी जल्दी जानकारी मिलेगी, उतनी ही तेज़ राहत मिल सकेगी।

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