गोवर्धन पूजा: इतिहास, रीति‑रिवाज़ और दैनिक अभ्यास
जब बात गोवर्धन पूजा की आती है, तो यह वेदिक कथा पर आधारित एक विशेष अनुष्ठान है जहाँ श्री कृष्ण ने बरसात से बचाने के लिये गोवर्धन पर्वत उठाया. इसे गोकुल पर्व भी कहा जाता है, जो घर‑परिवार में समृद्धि और सुख‑शांति लाता है। इस पूजा को समझना आसान है अगर आप धर्म‑ग्रंथों में वर्णित घटना को याद रखें—जब देवताओं ने कृष्ण को बुलाया, उन्होंने तुरंत ही पर्वत को उठाकर सभी के सिर पर रख दिया। इस अद्भुत कार्य को स्मरण करने के लिये हर साल एक दिन इस पूजा को विशिष्ट रूप से मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा व्रत, भक्तिपूर्ण उपवास है जो शुद्धि और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है को भी शामिल करती है। व्रत का मुख्य उद्देश्य मन को स्थिर करना और भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण बढ़ाना है। इस दौरान सूर्यस्थ भगवान की आरती, शरभा या घी का उपयोग, और शाकाहारी भोजन से भत्ता लेना अनिवार्य है। कई परिवार सुबह जल्दी उठकर जल व्रत रखकर इकट्ठा होते हैं, फिर साथ में गोवर्धन की मूर्ति स्थापित करके अभिषेक किया जाता है। इस प्रकार गोवर्धन पूजा "व्रत" को अपने भीतर समेटती है, जिससे भक्तों में एकता और ऊर्जा का संचार होता है।
पूजा में अभिषेक का बहुत महत्त्व है। अभिषेक अभिषेक, पवित्र जल, दूध, शहद और घी का मिश्रण है जो देवताओं को स्नान कराता है को समर्पित होता है। यह प्रक्रिया केवल बाहरी शुद्धि नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धि को भी दर्शाती है। अभिषेक के बाद बने हुए प्रसाद—जैसे अन्नकूट, पनीर‑बुरिया और मिठाई—परिवार में बाँटने से संपन्नता का भाव उत्पन्न होता है। अभिषेक को झंडे के साथ किया जाता है, जिससे यह "पूजा" को पूर्णता देता है और भक्तों के दिल में श्रद्धा गहरी होती है। इस चरण में प्रयुक्त वस्तुएँ—घी, शहद, द्राक्षा—सभी स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करती हैं, इसलिए यह अनुष्ठान न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक रूप से भी फायदेमंद है।
एक महत्वपूर्ण पहलू है कृष्ण कथा का सुनना। कृष्ण कथा, विवरणात्मक कहानियाँ हैं जो कृष्ण के बचपन, लीलाओं और महिमाओं को दर्शाती हैं को सुनकर पूजा की भावना और भी जीवंत हो जाती है। कथा में गोवर्धन के उठाने की घटना को विशेष रूप से उजागर किया जाता है, जिससे उपस्थित लोग दृढ़ विश्वास के साथ भाग लेते हैं। अक्सर बुजुर्ग लोग अपनी आवाज़ में मंत्रों को दोहराते हैं, और बच्चे आनन्द से सुनते हैं। इस तरह की सामूहिक सुनवाई न केवल ज्ञान बढ़ाती है, बल्कि सामाजिक बंधन को भी मजबूत करती है।
इन सभी तत्वों—व्रत, अभिषेक, कृष्ण कथा—के मिलन से गोवर्धन पूजा एक संपूर्ण आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है। नीचे आप को गोवर्धन पूजा से जुड़ी ताज़ा ख़बरें, विशेषज्ञ राय और व्यावहारिक सुझाव मिलेंगे, जिससे आप अपने घर की पूजा को और अधिक सार्थक बना सकेंगे।
गोवर्धन पूजा 2025: 22 अक्टूबर को प्रमुख मुहूर्त और पूजा समय
22 अक्टूबर 2025 को गोवर्धन पूजा का मुख्य मुहूर्त 3:29‑5:44 PM IST रहेगा, छप्पन भोग और पर्यावरणीय संदेश सहित, राष्ट्रीय तौर पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा।
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