गोवर्धन पूजा 2025: 22 अक्टूबर को प्रमुख मुहूर्त और पूजा समय

गोवर्धन पूजा 2025: 22 अक्टूबर को प्रमुख मुहूर्त और पूजा समय
Anindita Verma अक्तू॰ 22 15 टिप्पणि

जब डॉ. पूनम वार्ष्णेय, ज्योतिषी और अमर उजाला ने बताया कि गोवर्धन पूजा 2025भारत का मुख्य मुहूर्त 22 अक्टूबर को दो घंटे सात मिनट के बीच 3:29 PM से 5:44 PM IST रहेगा, तब सभी हिन्दु परिवार अपने घरों में पूजा अर्चना करेंगे। यह समय‑निर्धारण Aaj Tak, Jagran और News18 Hindi के पञ्चांग विभागों द्वारा पुष्ट किया गया है। दोपहर के बाद का द्वितीय अवसर 5:44 PM से 6:10 PM तक विस्तार में दिया गया है, जिससे देर‑से‑आने वाले भक्तों को भी अपना कार्य पूरा करने की सुविधा मिलती है।

गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

इस त्योहार को कभी‑कभी श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र की बिगड़ती बारिश से वृन्दावन के लोग बचाने की घटना के रूप में याद किया जाता है। इस कथा के अनुसार, गाँव वालों ने वृन्दावन की धरा को ही अपना सुरक्षा कवच माना, और तब इंद्र ने गुस्सा दिखाते हुए बवंडर भेजे। कृष्ण ने अपनी शक्ति से उस पर्वत को उठाकर सभी को बचा लिया, जिससे यह घटना गोवर्धन पूजा की मूल भावना बन गई।

हिंदुओं के लिए यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय चेतना का भी संदेश देता है – धरती माँ की रक्षा करना, प्रकृति की कृतज्ञता व्यक्त करना। इसीलिए इस पूजा में छप्पन भोग (56 विभिन्न प्रकार का भोजन) को सजाकर भगवान को अर्पित किया जाता है, जिसे "अन्नकूट" कहा जाता है।

2025 की पूजा का मुहूर्त और समय‑निर्धारण

पंचांग विशेषज्ञों ने बताया कि ड्रिक पंचांग के अनुसार, 22 अक्टूबर को शुक्ल ऋतु की प्रथम प्रतिपदा (कर्तिक शुक्ल प्रतिपदा) शुरू होती है, जो 21 अक्टूबर 5:54 PM IST पर समाप्त होती है। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा का मुख्य दिन इस तिथि पर पड़ता है।

  • मुख्य मुहूर्त: 22 ऑक्टूबर, 2025, 15:29 – 17:44 IST (2 घंटे 15 मिनट)
  • द्वितीय मुहूर्त: 22 ऑक्टूबर, 2025, 17:44 – 18:10 IST (26 मिनट)
  • तिथि प्रारम्भ: 21 ऑक्टूबर, 2025, 17:54 IST (शुक्ल प्रतिपदा)
  • प्रतिदिन का वैध समय: सूर्यास्त के बाद से लेकर अंधकार बंध तक

यह अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त मुहूर्त Amar Ujala के ज्योतिषी द्वारा भी दोहराया गया है, जिससे सभी प्रमुख समाचार चैनल एक ही समय‑सूचना को प्रसारित कर रहे हैं।

मुख्य समारोह एवं अनन्य भोजन व्यवस्था (छप्पन भोग)

परिवार अपने घरों में छोटे‑छोटे गोवर्धन पहाड़ (गोवर्धन पिक) को गाय के गोबर, मिट्टी और फूलों से सजाते हैं। इस साल भी BavNGULxDDk के यूट्यूब वीडियो में दिखाया गया है कि बच्चे इस पहाड़ को बनाते समय उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। फिर रसोईघर में 56 प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं – साग, रोटी, मिठाई, फल, दाल आदि – ताकि भगवान की ‘छप्पन भोग’ की परिपूर्णता बन सके।

भोजन में प्रमुख बन रहे हैं: आलू के पराठे, पनीर बर्फी, कढ़ी, मीठा सोलिया, नारियल लड्डू, आदि। कई घर में विभिन्न प्रदेशीय व्यंजन भी शामिल किये जाते हैं, जिससे पुजारी समुह को भारत की विविधता का अनुभव होता है। इस युग में, हर घर की थाली में स्थानीय उत्पाद जैसे हरियाणा की मक्के की रोटी या पश्चिम बंगाल की रसमलाई भी प्रतिबिंबित होती है।

राज्य और क्षेत्रीय विशेषताएँ

गुजरात में गोवर्धन पूजा का दिन ने ग्राउंड पर गुजराती नववर्ष (उदयान) से मिलकर मनाया जाता है। इस कारण गुजरात की मुख्य राजधानी अहमदाबाद में 22 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर पर बड़े उत्सव देखे गये। उत्तर प्रदेश में, खासकर भगवान कृष्ण के जन्मस्थल मथुरा‑व्रंदावन में, विशेष रूप से बड़े दहलीज वाले मंदिरों में नए स्वरूप में पूजा की जाती है। पंजाब और हरियाणा में भी इस दिन भरपूर अन्नकूट का आयोजन होता है, जहाँ सामुदायिक भोजन का प्रबंध किया जाता है।

इसके अलावा, कुछ राज्यीय समाचार चैनल ने यह भी बताया कि इस वर्ष मौसम विभाग ने दिवाली के बाद आने वाली हल्की धूप और ठंडी हवा को ध्यान में रखते हुए, बाहरी पूजा के समय को थोड़ा समायोजित किया है, जिससे लोग आराम से अपने घर के आँगन में दीप जला सकें।

विशेषज्ञों और श्रद्धालुओं की प्रतिक्रियाएँ

डॉ. पूनम वार्ष्णेय का कहना है कि "सही मुहूर्त में पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि मन की शांति भी प्राप्त होती है"। वहीं Aaj Tak के धार्मिक संपादक ने बताया कि कई गाँव में ऑनलाइन पंडितों के माध्यम से दूरस्थ पूजा भी आयोजित की जाएगी, जिससे ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोग भी प्रमुख मुहूर्त का लाभ उठा सकेंगे।

शहर के युवा वर्ग ने सोशल मीडिया पर इस अवसर को "डिजिटल अन्नकूट" कहकर मनाने की योजना बनाई है – वे वीडियो कॉल के जरिए अपने परिवारों के साथ पूजा करेंगे और एक-दूसरे को बधाई देंगे। यह नया प्रयोग परम्परा और तकनीक के संगम को दर्शाता है।

आगामी वर्ष और संभावित परिवर्तन

भविष्य में, ये पंधाल संभावित है कि अधिक से अधिक लोग पर्यावरणीय पहल को पूजाऍ के हिस्से के रूप में अपनाएँगे। विशेषज्ञों का मानना है कि "गोवर्धन पूजा" को सतत् कृषि, जल संरक्षण और वृक्षारोपण कार्यक्रमों के साथ जोड़कर, इस धार्मिक उत्सव को एक व्यापक सामाजिक जागरूकता मंच में बदल सकते हैं।

निचले स्तर पर, स्थानीय शासकीय निकायों ने इस वर्ष सार्वजनिक स्थानों पर भी अन्नकूट की व्यवस्था की है, जिससे भीड़भाड़ के समय में स्वास्थ्य नियमों का पालन भी हो सके। इसके साथ ही, फूड सुरक्षा के नियमों को ध्यान में रखते हुए, कुछ शहरों में आध्यात्मिक भोजन के लिए प्रमाणित विक्रेता ही अनुमति पाएंगे।

मुख्य बिंदु (Key Facts)

  • गोवर्धन पूजा 2025 का मुख्य मुहूर्त 22 अक्टूबर, 2025, 15:29 – 17:44 IST है।
  • द्वितीय मुहूर्त 17:44 – 18:10 IST तक विस्तारित है।
  • छप्पन भोग में 56 विभिन्न प्रकार के भोजन शामिल होते हैं।
  • पंचांग के अनुसार यह तिथि कर्तिक शुक्ल प्रतिपदा से मेल खाती है।
  • भौगोलिक रूप से गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा अन्य राज्य विशेष रूप से इस दिन मनाते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गोवर्धन पूजा का मुख्य मुहूर्त कब है?

मुख्य मुहूर्त 22 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:29 PM से शाम 5:44 PM IST तक है, जिसका उपयोग अधिकांश परिवार पूजा के लिये करते हैं।

छप्पन भोग में कौन‑कौन से भोजन शामिल होते हैं?

छप्पन भोग में रोटी, पराठा, कढ़ी, दाल, चावल, विभिन्न मिठाइयाँ जैसे बर्फी, लड्डू, हलवा, फल, और क्षेत्रीय विशेषताएँ जैसे पनीर टिक्का या पाव भाजी आदि शामिल होते हैं, कुल मिलाकर 56 अलग‑अलग आइटम।

क्या गुजरात में भी गोवर्धन पूजा मनाई जाती है?

हाँ, गुजरात में इस दिन को गुजराती नववर्ष (उदयान) के साथ मिलाकर बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है, विशेषकर अहमदाबाद और सूरत में सार्वजनिक अन्नकूट आयोजनों का प्रावधान किया गया है।

डॉ. पूनम वार्ष्णेय ने मुहूर्त कैसे निर्धारित किया?

डॉ. वार्ष्णेय ने पंचांग में शुक्ल प्रतिपदा की शुरुआत को मानते हुए, सूर्य और चंद्र की गति के आधार पर 3:29 PM से 5:44 PM IST को मुख्य मुहूर्त बताया, जो विभिन्न विश्वसनीय कैलेंडर स्रोतों द्वारा भी पुष्टि किया गया है।

इस वर्ष गोवर्धन पूजा के दौरान कोई नई पर्यावरणीय पहल है?

कई शहरों में अन्नकूट के हिस्से के रूप में वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, और कई मंदिरों ने पवित्र जल और पुनर्चक्रण के उपाय अपनाए हैं, जिससे यह त्योहार प्रकृति के प्रति जागरूकता भी बढ़ाता है।

15 टिप्पणि
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    Mihir Choudhary अक्तूबर 22, 2025 AT 19:36

    ऑनलाइन पूजा के साथ दीप जलाना मज़ेदार होगा! 🌟

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    Tusar Nath Mohapatra अक्तूबर 23, 2025 AT 17:16

    अब तो सभी को फोन के स्क्रीन पर ही भगवान मिल जाएंगे।
    अरे, इससे तो मेहनत की जरूरत ही नहीं रह गई।
    वैसे अगर सही मुहूर्त नहीं चुना तो क्या फंसेगा?
    चलो, धैर्य रखें और ऊर्जा से पूजा करें।

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    Ramalingam Sadasivam Pillai अक्तूबर 24, 2025 AT 14:40

    समय का चयन केवल ज्योतिषीय गणना नहीं, बल्कि आत्मा की चेतना से जुड़ा होता है।
    जब मन में शांति नहीं, तो कोई भी मुहूर्त फिजूल।
    इस वर्ष का मुहूर्त प्रकृति के साथ समरसता का संकेत देता है।
    यदि लोग इस सार को न समझें, तो वे सिर्फ रैम्परट साजिश में फँसेंगे।
    अंत में, हर कर्म के पीछे अपना कारण असत्रिक होता है।

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    Ujala Sharma अक्तूबर 25, 2025 AT 11:46

    अच्छा, फिर से वही पुरानी पंचांग वाली उलझन।

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    Vishnu Vijay अक्तूबर 26, 2025 AT 09:35

    सबको मिलकर छप्पन भोग तैयार करना बहुत प्रेरणादायक लगता है 😊।
    अलग-अलग राज्य की रेसिपी जोड़कर यह और भी स्वादिष्ट बनता है।
    यही दिखाता है कि हमारी विविधता में कितनी शक्ति है।
    चलिए, इस पुजन को एक साथ एकजुटता का मौका बनाते हैं।

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    Nitin Agarwal अक्तूबर 27, 2025 AT 07:01

    छप्पन भोग में स्थानीय व्यंजनों को शामिल करना सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ाता है।

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    Ayan Sarkar अक्तूबर 28, 2025 AT 04:21

    पंचांग के डेटा को मुख्यधारा मीडिया ने गुप्त रूप से संशोधित किया है; असली समय तो सरकारी ग्रिड पर छुपा है।

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    Amit Samant अक्तूबर 29, 2025 AT 02:06

    ध्यान रखने योग्य बात यह है कि पूजा का समय सूर्यास्त के बाद नहीं होना चाहिए।
    पंचांग के अनुसार मुख्य मुहूर्त का विस्तार दो घंटे पंद्रह मिनट है, जो पर्याप्त है।
    द्वितीय मुहर्त का उपयोग उन भक्तों के लिये आवश्यक है जो देर से आते हैं।
    इस प्रकार, समय-सारणी को व्यवस्थित रूप से पालन करने से आध्यात्मिक लाभ सुनिश्चित होता है।

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    tej pratap singh अक्तूबर 29, 2025 AT 23:08

    देर‑से‑आने वाले समूह के लिये द्वितीय मुहर्त पर्याप्त है।

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    Chandra Deep अक्तूबर 30, 2025 AT 20:41

    गोवर्धन पूजा में पर्यावरणीय संदेश बहुत महत्वपूर्ण है हम सभी को हरियाली बचाने की जिम्मेदारी समझनी चाहिए इस कारण भोजन में स्थानीय सामग्री का उपयोग बढ़ता है

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    Aishwarya Raikar अक्तूबर 31, 2025 AT 18:23

    डॉ. पूनम ने कहा कि सही मुहूर्त से शांति मिलती है, पर असली शांति तो किचन में भँवरे पकड़ने से आती है, है ना? 😂 वैसे, ऑनलाइन पंडितों का इंतजाम भी बढ़िया है, क्योंकि सबको घर बैठे ही स्ट्रेस फ्री अभ्यास मिलता है। इस बार भी लोग डिजिटल अन्नकूट की तैयारी में लगे हैं। अंत में, सबको शुभकामनाएँ!

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    Arun Sai नवंबर 1, 2025 AT 15:36

    आधुनिक समय में मुहूर्त को डाटा‑साइंस के मॉडल से मान्य करना चाहिए।

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    Manish kumar नवंबर 2, 2025 AT 13:33

    गोवर्धन पूजा का इतिहास वैदिक ग्रंथों में दर्ज है।
    यह पर्व कृष्ण द्वारा इंद्र की बरसात से बचाने की कथा पर आधारित है।
    आधुनिक युग में इसे पर्यावरण जागरूकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
    छप्पन भोग की तैयारी में स्थानीय उत्पादों का उपयोग किया जाता है।
    इससे किसानों को बाजार में लाभ मिलता है।
    परिवारों में सामुदायिक बंधन मजबूत होता है।
    डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर पूजा का प्रसारण नई पीढ़ी को जोड़ता है।
    कई नगरपालिकाएं अन्नकूट के साथ वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाती हैं।
    यह कदम हरियाली को बढ़ावा देता है।
    साथ ही जल सहेजने के उपाय भी शामिल होते हैं।
    स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों के तहत प्रमाणित विक्रेता ही भोजन तैयार करते हैं।
    ऐसा करने से सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।
    सामाजिक स्तर पर यह उत्सव विविधता को सम्मान देता है।
    विभिन्न राज्यों की विशिष्ट रेसिपी इस आयोजन को समृद्ध बनाती हैं।
    अंत में, सभी को इस पावन अवसर की बहुत‑बहुत शुभकामनाएं।

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    Divya Modi नवंबर 3, 2025 AT 10:38

    छप्पन भोग में regional flavours का समावेश हमें एकता की याद दिलाता है 😊
    हर पकवान में इतिहास और परम्परा का रंग है।
    आइए, इस पूजा को स्वाद और शांति के साथ मनाएँ।

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    ashish das नवंबर 4, 2025 AT 08:05

    सम्पूर्ण विवरण अत्यंत उत्तम तथा सूचनात्मक है।
    आपकी विस्तृत व्याख्या ने इस पूजा के सामाजिक एवं पर्यावरणीय आयामों को स्पष्ट किया।
    शुभकामनाएं एवं हार्दिक अभिनंदन।

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