देवा मूवी रिव्यू — शाहिद कपूर की थ्रिलर पर सीधी बात
अगर आप थ्रिलर फिल्म देखने गए हैं और जानना चाहते हैं कि 'देवा' में क्या खास है, तो सही जगह पर हैं। शाहिद कपूर की परफॉर्मेंस फिल्म का बड़ा हिस्सा संभाले रखती है। रोशन एंड्र्यूज़ के निर्देशन में फिल्म कई दफ़ा असर डालती है, पर कुछ जगहों पर गति धीमी और कहानी असंगत महसूस होती है।
मुख्य बातें जो तुरन्त जान लें
एक लाइन में: अभिनय मजबूत है, पर पेस और कहानी में फर्क-फर्क के टुकड़े आपके मन में सवाल छोड़ सकते हैं। शाहिद ने भाव-भंगिमा में कड़ी मेहनत की है — कुछ सीन ऐसे हैं जो दिल को छू जाते हैं। कहानी में ट्विस्ट हैं, लेकिन उनका असर तभी होता है जब सीन सही ढंग से जुड़ते हैं। कुछ क्लाइमेक्स खिंचे हुए लगते हैं और कुछ समर्थन करने वाले किरदार गहरे नहीं उतर पाते।
तकनीकी रूप से फिल्म का कैमरा व संगीत काम करता है। साउंड डिज़ाइन और बैकग्राउंड स्कोर थ्रिलर मूड बनाने में मदद करते हैं। हां, एडिटिंग में थोड़ी कटी-फटी जगहें दिखेंगी जो कहानी की लय तोड़ देती हैं।
किसे देखना चाहिए और किसे स्किप
अगर आपको शाहिद कपूर का काम पसंद है और आप धीमी रफ्तार पर चलने वाली सस्पेंस-भरी कहानियों का आनंद लेते हैं, तो थिएटर में एक बार देखना ठीक रहेगा। अगर आप तीव्र और लगातार टेंशन चाहते हैं, तो उम्मीद कम रखें — फिल्म के बीच-बीच में ठहराव आता है।
बच्चों और हल्की कॉमेडी की तलाश वालों के लिए 'देवा' सही नहीं है। वहीं, थ्रिलर प्रेमियों को फिल्म के कुछ दृश्यों में पकड़ लगेगी, खासकर प्रदर्शन और कुछ सधा हुआ डायरेक्शन देखकर।
हमने इस टैग पेज पर 'देवा' की समीक्षा को संक्षेप में रखा है ताकि आप तुरंत जान सकें क्या देखने लायक है और क्या नहीं। पूरा रिव्यू पढ़ना चाहें तो इस लोकल लिंक पर जाएं: पूरा देवा मूवी रिव्यू पढ़ें — वहां हमने सीन-बाय-सीन कमेंट, स्पॉइलर नोट और बॉक्स ऑफिस संभावनाओं पर भी बात की है।
अंतिम सुझाव: अगर आप फिल्म से बेचैनी और निराशा नहीं लेना चाहते, तो पहले थोड़ी और रिव्यू पढ़ लें और तभी टिकट लें। लेकिन शाहिद की एक्टिंग देखना है तो एक बार घर पर स्ट्रीमिंग के लिए भी ठीक रहेगा। इस टैग पर आगे भी देवा से जुड़े अपडेट, इंटरव्यू और समीक्षाएँ मिलती रहेंगी — इसलिए नजर रखें।

शहीद कपूर की फिल्म 'देवा' का रिव्यू: रहस्यमय कहानी का रोमांचक सफर
शहीद कपूर की फिल्म 'देवा' एक अनूठी पुलिस अधिकारी की कहानी है, जो अपनी यादाश्त खो कर अपने दोस्त के हत्या मामले की जाँच करता है। फिल्म में निर्देशन की कमी के कारण इसे औसत दर्जे का माना जा रहा है। हालांकि, शहीद कपूर के अभिनय को तारीफ मिली है। फिल्म में कुछ खास पल जैसे क्लाइमेक्स इसे दर्शकों के लिए मनोरंजक बनाते हैं।
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