बोनस शेयर: क्या हैं और आपको क्या पता होना चाहिए
क्या कंपनी आपको मुफ्त शेयर दे दे—सोचकर अच्छा लगता है, है ना? बस वही बात होती है बोनस शेयर की। कंपनी अपने रिज़र्व और प्रॉफिट को शेयरहोल्डर्स में बांटती है और हर शेयरधारक को उसकी हिस्सेदारी के अनुसार अतिरिक्त शेयर मिलते हैं। पैसा सीधे आपके खाते में नहीं आता, लेकिन आपकी कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ जाती है।
यह तरीका कंपनी के पास मौजूद अघोषित नकद को बाहर निकाले बिना कैपिटल में बदलने जैसा है। अक्सर यह संकेत माना जाता है कि कंपनी का प्रोफ़िट अच्छा है और बोर्ड भविष्य में तरलता बेहतर रखना चाहता है। पर हमेशा ध्यान रखें—बोनस शेयर से कंपनी की मार्केट वैल्यू में बड़ा बदलाव तभी आता है जब इसके पीछे фундаментल मजबूती हो।
बोनस शेयर कैसे मिलते हैं — प्रक्रिया
पहली चीज़: कंपनी का बोर्ड बोनस इश्यू प्रस्ताव पास करता है। उसके बाद शेयरहोल्डरों की मीटिंग में उसे मंजूरी मिलती है। कंपनियां बोनस रेशियो बताती हैं, जैसे 1:2 यानी हर 2 शेयर पर 1 बोनस। रिकॉर्ड डेट तय होती है—जिस दिन आपके पास शेयर दर्ज होंगे, आप बोनस के हकदार होंगे।
बोनस शेयर मिलने के बाद कंपनी का शेयर प्राइस स्वतः एडजस्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए 1:1 बोनस पर शेयर की कुल संख्य दोगुनी हो जाती है और प्राइस आधा हो जाएगा—कुल वैल्यू लगभग वही रहती है। इसलिए बोनस से तुरंत अमीर नहीं होता, बस हर शेयर का दाम घटता और कुल शेयर बढ़ते हैं।
फायदे, नुकसान और क्या चेक करें
फायदे साफ हैं: मुफ्त शेयर मिलते हैं, लिक्विडिटी बढ़ती है और कंपनी का 信用 (trust) मजबूत दिखता है। टैक्स के मामले में सामान्यतः बोनस शेयर मिलने पर टैक्स तभी लगता है जब आप उन्हें बेचते हैं—बेचने पर कैपिटल गेन नियम लागू होगा।
नुकसान यह कि बोनस हमेशा सकारात्मक संकेत नहीं देता। कभी-कभी कंपनी नकदी देकर डिविडेंड देने के बजाय बोनस देती है ताकि बैंक बैलेंस बेहतर दिखे। इससे शेयर की कीमत पर दीर्घकालिक असर नकारात्मक हो सकता है।
चेकलिस्ट: कंपनी का रेज़ल्ट देखें, बोनस रेशियो समझें, रिकॉर्ड डेट नोट कर लें और कंपनी के कैश फ्लो व रिज़र्व की रिपोर्ट पढ़ें। अगर बोनस बार-बार आ रहा है लेकिन प्रॉफिट नहीं बढ़ रहा, तो सतर्क रहें।
क्या निवेशकों को बोनस पर निर्णय उसी तरह लेना चाहिए जैसे डायवाइडेंड? नहीं। बोनस शुद्ध रूप से शेयरहोल्डर की हिस्सेदारी का पुनर्गठन है। अगर आपका मकसद इनकम है तो डायवाइडेंड अक्सर बेहतर होता है; पर दीर्घकालिक होल्डर के लिए बोनस हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका भी दे सकता है।
آخر में, बोनस शेयर एक उपयोगी कॉर्पोरेट टूल है—पर उसे कंपनी की वास्तविक फाइनेंशियल सेहत के साथ देखें। हमेशा अपने निवेश लक्ष्यों और टैक्स स्थिति को ध्यान में रखकर निर्णय लें।

रिलायंस इंडस्ट्रीज का बोनस शेयर इश्यू: 35 लाख शेयरधारकों के लिए क्या मायने रखता है मुफ्त शेयर
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बोनस शेयर इश्यू की घोषणा की है, जो इसके 35 लाख शेयरधारकों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाला है। यह कंपनी अब तक का सबसे अधिक वार्षिक लाभ FY24 में ₹79,020 करोड़ दर्ज किया है। कंपनी का मूल्यांकन ₹20.6 लाख करोड़ का है। पिता, अंबानी ने बताया कि रिलायंस का उद्देश्य भारत में धन सृजन और हर भारतीय के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
और अधिक विस्तृत जानकारी