जोश हेजलवुड की चोट और उसकी गंभीरता
ऑस्ट्रेलिया को तब एक बड़ा झटका लगा जब उसके प्रमुख तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड को भारत के खिलाफ एडिलेड में खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट मैच से बाहर कर दिया गया। उनकी यह अनुपस्थिति ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है, खासकर तब जब टीम पहले ही श्रृंखला में 0-1 से पिछड़ रही है। हेजलवुड का चोट लगना उनके लिए कोई नई बात नहीं है, पिछले कुछ सालों में वे टेस्ट मैचों से कुछ बार बाहर हो चुके हैं।
हेजलवुड को बायीं तरफ खिंचाव के कारण मैच से बाहर किया गया। इस चोट के कारण उनका शानदार प्रदर्शन प्रभावित हुआ है। पिछले दौरे में उन्होंने भारत को 36 रन पर आउट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे में उनकी अनुपस्थिति भारतीय बल्लेबाजी के लिए राहत की खबर का काम कर सकती है।
 
गेंदबाजी में बदलाव और रणनीतिक चुनौतियां
हेजलवुड के नाम वापस लेने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने बिना टेस्ट अनुभव वाले शॉन एबॉट और ब्रेंडन डॉगेट को टीम में शामिल किया है। साथ ही, स्कॉट बोलैंड, जो कि पिछले एक साल में टेस्ट टीम से बाहर थे, अब उन्हें हेजलवुड की जगह अंतिम एकादश में शामिल किया जाने की संभावना है।
अभी तक टीम की धुरी रहे पैट कमिंस और मिशेल स्टार्क के साथ मिलकर स्कॉट बोलैंड ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण का हिस्सा बनेंगे। हालांकि बोलैंड के पास पहले का अनुभव है, परंतु हेजलवुड जैसे अनुभवी खिलाड़ी की कमी टीम की रणनीति को कमजोर कर सकती है। यह देखना होगा कि ऑस्ट्रेलिया इस मुकाबले में कैसा प्रदर्शन करती है और हेजलवुड की अनुपस्थिति का कैसे सामना करती है।
ऑस्ट्रेलिया पहले टेस्ट में 295 रन की करारी हार झेल चुकी है और आगे के मैचों में यह महत्वपूर्ण होगा कि टीम किस तरह से खुद को संभालती है।
 
                                                                
जोश हेज़लवुड की टॉस के कारण ऑस्ट्रेलिया की बॉलिंग स्ट्रैटेजी पर गहरा असर पड़ेगा। बायेनमेंट जैसी क्लासिक क्विक बॉल में उनका फ्रीक्वेंसी और कंट्रोल महत्वपूर्ण रहता है। इस चोट से टीम को वैरिएशन बनाने में दिक्कत होगी, विशेषकर स्पिन‑बॉलर्स पर अतिरिक्त दबाव आएगा। नई फॉर्मेशन में एबॉट और डॉगेट को बैंडविथ में लाना समझदारी है, लेकिन उनका टेस्ट अनुभव सीमित है। स्कॉट बोलैंड का रिटर्न कुछ हद तक भरोसा बढ़ा सकता है, परन्तु वह भी हेज़लवुड की तरह टिकाऊ नहीं है। टीम को अभी अपनी डिप्थ फॉर बैट्समैन को भी सॉलिड बनाना होगा, क्योंकि बॉलिंग सपोर्ट कम हो रहा है। इस सिचुएशन में कैप्टन को वैरिकेबल प्लान्स पर फोकस करना चाहिए। इन फोकस्ड टैक्टिक्स से ही ऑस्ट्रेलिया इस डिफ़िसिट को कवर कर सकेगा।