राहुल गांधी की आपत्ति: 'स्पीकर ओम बिरला का प्रधानमंत्री मोदी के सामने झुकना'

राहुल गांधी की आपत्ति: 'स्पीकर ओम बिरला का प्रधानमंत्री मोदी के सामने झुकना'
मान्या झा जुल॰ 2 0 टिप्पणि

लोकसभा में राहुल गांधी की आपत्ति

लोकसभा में एक महत्वपूर्ण सत्र के दौरान, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला के एक विशेष हावभाव पर सवाल उठाए। यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिर से चुने जाने के बाद की है, जब बिरला ने मोदी के सामने झुककर उनका स्वागत किया। गांधी ने कहा कि जब उन्होंने बिरला से हाथ मिलाया तो बिरला सीधे खड़े रहे, लेकिन जब मोदी ने हाथ मिलाया तो उन्होंने झुककर उनका अभिवादन किया। इसे लेकर गांधी ने कहा कि स्पीकर का पद भारतीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और किसी भी सदस्य से बड़ा होता है।

स्पीकर ओम बिरला की सफाई

स्पीकर ओम बिरला ने गांधी की आपत्ति का जवाब देते हुए कहा कि यह उनके व्यक्तिगत मूल्यों और आदर्शों का हिस्सा है कि वे बड़ों का सम्मान करते हैं और समान के साथ समान व्यवहार करते हैं। बिरला ने कहा कि यह उनके लिए एक सांस्कृतिक मुद्दा है और इसमें कुछ गलत नहीं है।

लोकसभा में गरम माहौल

लोकसभा में गरम माहौल

राहुल गांधी और स्पीकर ओम बिरला के बीच हुई इस वार्तालाप ने लोकसभा में एक गरम माहौल पैदा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के अन्य सदस्यों ने गांधी पर हिन्दू भावनाओं का अपमान करने का आरोप लगाया। यह आरोप इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे भारतीय जनता पार्टी की धार्मिक और सांस्कृतिक विचारधारा से जुड़ा हुआ है।

गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया

इस घटनाक्रम पर गृह मंत्री अमित शाह ने तीखी प्रतिक्रिया दी और गांधी के बयान को असंसदीय करार दिया। उन्होंने कहा कि गांधी ने केवल स्पीकर के पद का ही नहीं बल्कि समूचे लोकतांत्रिक प्रणालियों का अपमान किया है। शाह ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करती आई है और उनका यही आचरण उन्हें बार-बार हाशिये पर ले जा रहा है।

लोकसभा कार्यवाही में प्रदर्शित आचार

लोकसभा कार्यवाही में प्रदर्शित आचार

यह वाकया लोकतंत्र में लोकसभा की कार्यवाही के तरीके और उसमें प्रदर्शित आचार पर भी सवाल उठाता है। स्पीकर का पद अपनी निष्पक्षता और न्यायप्रियता के लिए जाना जाता है। ऐसे में कोई भी व्यक्तिगत हावभाव या क्रिया-प्रतिक्रिया जनता के मन में सवाल पैदा कर सकती है। यह मामला देश के नेताओं के लिए एक सबक होना चाहिए कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

आगे की संभावना

यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का आगे क्या परिणाम निकलता है। क्या राहुल गांधी की यह आपत्ति लोकसभा के अंदर आगे किसी व्यापक बहस का विषय बनेगी या फिर यह केवल राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रहेगी? साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण होगा कि स्पीकर ओम बिरला इस घटना के बाद कैसे आगे की कार्यवाही करते हैं और क्या उनके इस हावभाव से उनकी छवि पर कोई असर पड़ता है या नहीं।

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