पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक चर्च में यौन शोषण और कनाडा के रेजिडेंशियल स्कूलों पर मांगी माफी

पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक चर्च में यौन शोषण और कनाडा के रेजिडेंशियल स्कूलों पर मांगी माफी
Anindita Verma अप्रैल 21 12 टिप्पणि

पोप फ्रांसिस की ऐतिहासिक माफी: चर्च में बदलाव की शुरुआत?

2022 में जब पोप फ्रांसिस कनाडा पहुँचे, तो हर दिशा से निगाहें उन्हीं पर टिकी थीं। यह कोई रूटीन धार्मिक दौरा नहीं था। यह उस ऐतिहासिक क्षण की शुरुआत थी, जब सबसे बड़े ईसाई धर्मगुरु ने वर्षों से चर्च के अंदर चल रहे यौन शोषण और कनाडा के रेजिडेंशियल स्कूल के पापों के लिए पूरी दुनिया के सामने माफी मांगी।

कनाडा के रेजिडेंशियल स्कूल क्या थे? 19वीं सदी से लेकर 1990 के दशक तक, ये स्कूल आदिवासी बच्चों को जबरन उनके परिवारों से अलग कर ईसाई संस्कृति में ढालने के लिए बनाए गए थे। बच्चों को सिखाया जाता था कि उनकी मां-बाप की भाषा, परंपराएं और पहचान गलत हैं। हजारों बच्चों का ना सिर्फ मानसिक, बल्कि शारीरिक और यौन शोषण भी हुआ।

पोप ने इन स्कूलों को 'निंदनीय' और 'विनाशकारी' बताते हुए कहा- "ऐसी बर्बरता दोबारा कभी नहीं होनी चाहिए।" माफी सिर्फ औपचारिक नहीं थी। उन्होंने पीड़ितों और आदिवासी नेताओं से आमने-सामने बात करते हुए चर्च द्वारा जिम्मेदारी निभाने और सुधार का भी वादा किया। उन्होंने साफ जनाया कि दशकों तक चर्च की ओर से हुई खामोशी और छुपाव अब बीते समय की बात है।

माफी के बाद अब क्या?

माफी के बाद अब क्या?

हालांकि कैथोलिक चर्च और खुद पोप की ये पहल स्वागत योग्य मानी गई, लेकिन पीड़ित समुदाय और कनाडा सरकार दोनों मानते हैं कि सिर्फ शब्दों से बात नहीं बनेगी। बहुत से लोगों का कहना है कि चर्च ने इतने वर्षों तक सच को छुपाया, दोषियों को सजा देने से रोकने के लिए तंत्र का दुरुपयोग किया, मामलों को दबाया – अब सिर्फ माफी नहीं, न्याय और समुचित मुआवज़ा चाहिए।

पोप फ्रांसिस का नेतृत्व पिछली सदियों की तुलना में काफी अलग दिख रहा है। पहले चर्च के भीतर यौन शोषण मामलों को दबाने की कोशिश की जाती थी। लेकिन हालिया सालों में इस विरोधाभास को तोड़ते हुए पोप ने "जीरो टॉलरेंस" नीति को लागू किया है। अब चर्च के भीतर दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया जाने लगा है, रिपोर्टिंग की प्रक्रिया आसान की गई है और पीड़ितों की बात को सर्वोपरि माना जा रहा है।

हाल ही में Truth and Reconciliation Commission ने भी पोप से एक आधिकारिक माफी की मांग की थी। इसे पाने के लिए कई पीड़ित समुदायों ने वेटिकन तक जाकर अपनी बात रखी। एक लंबे संघर्ष के बाद जब पोप ने माफी मांगी, तो यह देखते ही देखते एक बड़ी खबर बन गई।

  • 2015: कनाडा के ट्रुथ एंड रिकंसीलेशन कमीशन ने चर्च के हाई-लेवल माफी की मांग रखी।
  • 2022: पोप फ्रांसिस ने कनाडा में जाकर पीड़ितों से माफी मांगी।
  • अब: चर्च में नए सुधारों और शोषण पर सख्त कार्रवाई की बातें सामने आ रही हैं।

सवाल यही है—क्या चर्च अब सच में अपने बीते पापों का बोझ उतारेगा? पीड़ित समुदायों के लिए ये माफी पहली सीढ़ी जरूर है, लेकिन असली इम्तिहान तो अब शुरू हुआ है। सबकी नजरें चर्च की अगली चाल और असल सुधारों पर टिकी हैं, क्योंकि माफी के बाद बदलाव की भूख और भी बढ़ गई है।

12 टिप्पणि
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    Jubin Kizhakkayil Kumaran अप्रैल 21, 2025 AT 23:11

    इतिहास भी चलता है, शब्दों से नहीं

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    tej pratap singh मई 5, 2025 AT 12:16

    वो माफी केवल एक बड़े पर्दे के नीचे की रणनीति है, वास्तविक फौजदारी को छुपाने की कोशिश

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    Chandra Deep मई 19, 2025 AT 01:22

    रेजिडेंशियल स्कूलों की पीड़ाओं को समझना जरूरी है, ट्रुथ एंड रिकन्सिलिएशन कमिशन ने कई दस्तावेज संग्रहीत किए हैं

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    vishal jaiswal जून 1, 2025 AT 14:27

    वर्तमान में वेटिकन द्वारा लागू की जा रही जिरो‑टॉलरेंस पॉलिसी को मापने के लिए स्पष्ट बेंचमार्क सेट किए जाने चाहिए, अन्यथा यह केवल रिटोरिक रहेगा

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    Amit Bamzai जून 15, 2025 AT 03:33

    पोप फ्रांसिस की माफी एक प्रतीकात्मक कदम है, पर इस कदम की सच्ची शक्ति इस बात में निहित है कि यह आगे कौन‑सी सच्ची व्यवस्थानात्मक सुधारों को जन्म देगा
    पहले कई दशकों तक चर्च ने इन अत्याचारों को दबी रखी और अपराधियों को संरक्षण दिया, जिससे पीड़ितों के मन में गहरा घाव बना रहा
    ट्रुथ एंड रिकन्सिलिएशन कमिशन ने कई बार वेटिकन से स्पष्ट माफी की माँग की, लेकिन केवल शब्दों से समाधान नहीं हो सकता
    वास्तविक न्याय के लिए कानूनी प्रक्रिया को तेज़ करना, दोषियों को सजा दिलाना और पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा देना अनिवार्य है
    कनाडा की सरकार ने भी इस दिशा में कई बिल्स पेश किए हैं, लेकिन कार्यान्वयन में अभी बहुत झंझटें हैं
    चर्च के अंदर के अभ्यंतरिक संरचना में बदलाव लाने के लिए पारदर्शी रिपोर्टिंग मैकेनिज़्म बनाना होगा
    साथ ही, स्थानीय आदिवासी समुदायों को निर्णय‑निर्माण प्रक्रिया में शामिल करना नये विश्वास को स्थापित करेगा
    कई विशेषज्ञ भी इस बात पर ज़ोर देते हैं कि केवल 'ज़ीरो टॉलरेंस' का घोषणा पर्याप्त नहीं, इसे ठोस कार्यों में बदलना आवश्यक है
    पोप की यह माफी इस बात का संकेत भी हो सकता है कि भविष्य में वेटिकन अधिक खुला और जवाबदेह होगा
    हालांकि, इतिहास की जटिलता को देखते हुए, हमें सतर्क रहकर लगातार निगरानी करनी होगी
    पीड़ितों की आवाज़ को सुनना और उनके सुझावों को लागू करना ही असली बदलाव का मार्ग है
    एक बार फिर यह याद रखना चाहिए कि यह माफी केवल एक शुरुआत है, वास्तविक परिवर्तन में सालों‑सालों का निरंतर प्रयास लगेगा
    समाज के हर वर्ग को इस मुद्दे पर जागरूक होना चाहिए और चर्च को निरंतर सवाल पूछते रहना चाहिए
    अंत में, हमें यह देखना होगा कि इस माफी के बाद कितनी ठोस नीतियां और कार्य लागू होते हैं, तभी हम सच्चा न्याय कह पाएंगे

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    ria hari जून 28, 2025 AT 16:38

    आप सभी ने बहुत उपयोगी जानकारी शेयर की, चलिए इस चर्चा को सकारात्मक दिशा में ले चलते हैं और मिलकर समाधान निकालते हैं

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    Alok Kumar जुलाई 12, 2025 AT 05:44

    ऐसे बड़े मुद्दे पर बस माफी का जुमला छोड़ देना, असली जज्बा तो फॉलो‑अप में है, नहीं तो बकवास ही रहता है

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    Nitin Agarwal जुलाई 25, 2025 AT 18:49

    भारत में भी कई धार्मिक संस्थानों को समान जवाबदेही की जरूरत है

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    Ayan Sarkar अगस्त 8, 2025 AT 07:54

    वेटिकन की इस एक बिंदु की माफी को ग्लोबल सर्फेस‑ट्रॉपिक में बदल दिया गया है, असली सच्चाई तो अभी भी गहराई में छिपी है

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    Amit Samant अगस्त 21, 2025 AT 21:00

    आइए हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि यह माफी केवल कागज़ पर न रहे, बल्कि वास्तविक परिवर्तन की नींव बने

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    Ujala Sharma सितंबर 4, 2025 AT 10:05

    ओह, कितना सच्चा है यह… बस शब्दों में ही बांध कर रख दिया

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    Vishnu Vijay सितंबर 17, 2025 AT 23:11

    शांति और समझदारी से आगे बढ़ें 🌱🤝

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