कुवैत आग: भारतीयों के अवशेष लाने के लिए IAF विमान तैयार

कुवैत आग: भारतीयों के अवशेष लाने के लिए IAF विमान तैयार
Anindita Verma जून 13 17 टिप्पणि

कुवैत में आग की त्रासदी: भारतीयों पर कहर

कुवैत के ओल मंगाफ इलाके में स्थित एक श्रमिक आवासीय सुविधा में लगी आग ने भयानक रूप से धन्यादानिक इलाके को उजाड़ दिया, जिससे 49 लोगों की जान चली गई। मरने वालों में से 42 भारतीय बताये जा रहे हैं। यह भयानक घटना उस समय घटी जब आवासीय सुविधा की एक रसोई में आग लग गई, जिससे अधिकांश लोगों की मौत धुएं के कारण दम घुटने से हुई। इस घटना में अन्य देशों के नागरिक भी मारे गये हैं, जिनमें पाकिस्तान, फिलीपींस, मिस्र और नेपाल के नागरिक शामिल हैं।

भारतीय नागरिकों की स्थिति

भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस हादसे में लगभग 40 भारतीयों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग घायल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुखद घटना को 'बहुत ही दुखद' बताया और मृतकों के परिवारों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने सरकार को सभी संभव मदद प्रदान करने का निर्देश दिया है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कुवैत का दौरा किया और घायल भारतीयों की देखभाल सुनिश्चित करने के अलावा जल्दी से जल्दी शवों को वापस लाने की कार्रवाई को देखा।

शवों की वापसी के लिए प्रयास

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल-याह्या से बात की और शवों की शीघ्र वापसी के लिए आह्वान किया। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि घायल लोगों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा मिल रही है। कुवैती अधिकारी शवों की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण कर रहे हैं और भारतीय वायुसेना का एक विमान भारतीय नागरिकों के शव लाने के लिए तैयार है।

बचाव और जांच

कुवैत के आंतरिक मंत्री शेख फहद अल-यूसुफ अल-सबा ने इस भयानक आग की घटना की जांच के आदेश दिए हैं और भवन के मालिक और चौकीदार को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। अधिकांश भारतीय पीड़ित केरल से हैं। इस घटना ने ना सिर्फ कुवैत बल्कि भारत में भी एक गहरा धक्का पहुंचाया है। परिवारों में शोक की लहर के बीच, भारतीय सरकार और कुवैत के अधिकारी मिलकर इस दुखद घटना के सभी पहलुओं की जांच करने और ज़रूरतमंदों की मदद करने के लिए तत्पर है।

शोक और सहायता

पीड़ित परिवारों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दुख की घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी है और आवश्यक सभी संभव साहायता प्रदान की जाएगी। इस बीच, भारतीय दूतावास ने कुवैत में भारतीय समुदाय से संपर्क साधा है और हर संभव मदद की पेशकश की है। इस हादसे ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि दुनिया के किसी भी कोने में दुखद घटनाएं किसी एक देश या समुदाय के लिए नहीं होती, बल्कि वे मानवता के पूरे ताने-बाने को प्रभावित करती हैं।

इस दर्दनाक घटना ने कई परिवारों को उनकी अनमोल जिंदगियों से वंचित कर दिया है। हमारी संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं जिन्होंने इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खो दिया है। यह समय एकजुट होकर उनकी मदद करने का है।

मान्या झा द्वारा आलेख

17 टिप्पणि
  • img
    umesh gurung जून 13, 2024 AT 18:46

    भाईसाहब, इस तरह की त्रासदी में त्वरित पुनर्वास के लिए भारतीय वायुसेना का सहयोग बहुत सराहनीय है।
    शवों की पहचान के लिये डीएनए परीक्षण करना सही कदम है, इससे परिवारों को सही जानकारी मिलती है।
    कुवैती अधिकारियों को चाहिए कि वह प्रभावित परिवारों को त्वरित वीजा जारी करें, ताकि वे अपने प्रियजनों को देख सकें।
    इसके अलावा, मेडिकल ट्रीटमेंट के लिये वैध बीमा कवरेज भी तुरंत प्रदान किया जाना चाहिए।
    सरकार को चाहिए कि वह शोक पीड़ितों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ मनोरंजन कार्यक्रम भी आयोजित करे, ताकि मानसिक तनाव कम हो।
    जिन्हें अभी भी अस्पताल में इंटेंसिव केयर की ज़रूरत है, उनके लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम की व्यवस्था करनी चाहिए।
    अंत में, इस भयानक दुर्घटना की पूरी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदारियों को सजा मिलनी चाहिए।

  • img
    sunil kumar जून 13, 2024 AT 21:33

    विचार करें, इस अग्निकांड ने न केवल मानव जीवन को छुआ, बल्कि व्यापक सामाजिक संरचनाओं को भी चुनौती दी।
    एक क्षण में, मौजूदा शहरी नियोजन की असुरक्षा उजागर हो गई, जिससे हमें पुनर्विचार करना अनिवार्य है।
    जब दक्षिण एशिया के कई नागरिक एक विदेशी घाटी में अज्ञात जोखिमों के सामने खड़े होते हैं, तो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का महत्व पुनः स्थापित होता है।
    इसे केवल एक मानवीय त्रासदी नहीं समझा जाना चाहिए, बल्कि यह वैश्विक आपदा प्रबंधन के सिद्धांतों का परीक्षा स्थल बन गया है।
    एक विकसित समाज को चाहिए कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्रथम प्राथमिकता दे, चाहे वह घरेलू हो या विदेशी।
    इसके साथ ही, मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण है; तथ्यों की सटीकता और संवेदनशीलता दोनों को संतुलित करना आवश्यक है।
    सांस्कृतिक रूप से, भारतीय प्रवासियों की जड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरी हैं, और उनका यहाँ अभाव समाज को अनिच्छित रूप से प्रभावित करता है।
    समुदाय के भीतर सहयोग की भावना को मजबूती देना चाहिए, ताकि ऐसी स्थितियों में तीव्र प्रतिक्रिया संभव हो।
    कुवैत की सरकारी संस्थाओं को अपनी सुरक्षा protocolos को पुन: समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि इस प्रकार की घटनाएं दुबारा नहीं होनी चाहिए।
    लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है: हम इस दर्दनाक क्षण से क्या सीखेंगे?
    क्या भविष्य में हम अधिक सजग और तैयार रहेंगे?
    विज्ञान और तकनीक के माध्यम से हम आग के निरीक्षण और रोकथाम के उन्नत उपाय अपना सकते हैं।
    ड्रोन और AI आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम को अपनाना एक प्रगतिशील कदम हो सकता है।
    इसी प्रकार, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को इस घटना की जांच में सहयोग देना चाहिए।
    आखिरकार, यह त्रासदी एक कड़ी चेतावनी है कि हम अपने नागरिकों की सुरक्षा में कभी भी आड़ंबर नहीं रख सकते।

  • img
    prakash purohit जून 14, 2024 AT 00:19

    यह सब एक बड़ी साजिश नहीं है? कुवैती सरकार ने पहले ही इस काम को आयोजित किया था, सिर्फ कुछ राजनीतिक लाभ निकालने के लिए।
    शवों को वापस लाने का विमान भी दिखावा है, असल में उन्हें जलाया जाएगा ताकि साक्ष्य न मिल सके।
    विदेश मंत्रालय की बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, उनका मकसद केवल अपने जनसंख्या को शांत रखना है।
    इसीलिए हमें सतर्क रहना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना चाहिए।

  • img
    Darshan M N जून 14, 2024 AT 03:06

    बहुत दुखद घटना है, दिल से शोक व्यक्त करता हूँ।

  • img
    manish mishra जून 14, 2024 AT 05:53

    सच में, ये सब एक बर्बादी का उदाहरण है 🙁।
    कुंवैत की सुरक्षा प्रणाली में glaring holes हैं, और भारतीय कामगार अक्सर ऐसी लापरवाही का शिकार बनते हैं।
    सरकार को अपने विदेशी श्रमिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए, नहीं तो यही ऐसी घटनाएं दोहराई जाएँगी।

  • img
    tirumala raja sekhar adari जून 14, 2024 AT 08:39

    yeh poora drama h. kitna bura h!

  • img
    abhishek singh rana जून 14, 2024 AT 11:26

    श्रमिकों के लिए कुवैत में स्वास्थ्य बीमा अनिवार्य होना चाहिए, ताकि ऐसे आपदा के समय सभी को तुरंत चिकित्सा सहायता मिल सके।
    साथ ही, वायुसेना के हस्तक्षेप में हमें यह देखना चाहिए कि क्या सभी मृतकों के वास्ते उचित पहचान प्रक्रियाएं पूरी की गईं।
    जिन परिवारों को अभी तक जानकारी नहीं मिली, उन्हें मंत्रालय से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
    दुर्भाग्य से, कई परिवारों को अभी भी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है, इसलिए सरकार को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।

  • img
    Shashikiran B V जून 14, 2024 AT 14:13

    नतीजे वही होंगे जो हम सोचते हैं: एक दुष्ट योजना जो हमारे लिए फाइदा नहीं रखती।
    ध्यान में रखना चाहिए कि ऐसी घटनाओं के पीछे अक्सर गुप्त एजेंसियों की चालें होती हैं।

  • img
    Sam Sandeep जून 14, 2024 AT 16:59

    इथे टोटल नेगेटिव वीब है, सरकार सपोर्ट नहीं करती और लोग फंसते हैं। फोकस बर्ड्रॉइट पर है, नहीं तो फोकस वैलिड मैट्रिक्स पर होना चाहिए।

  • img
    Ajinkya Chavan जून 14, 2024 AT 19:46

    क्या हम ऐसा इंतजार करेंगे कि फिर से ऐसी कोई दुर्घटना हो? बिल्कुल नहीं!
    सरकार को तुरंत कड़े नियम बनाते हुए कुवैती कंपनियों को जवाबदेह बनाना चाहिए, नहीं तो ये पीड़ितों की मौतें बेकार रहेगी।

  • img
    Ashwin Ramteke जून 14, 2024 AT 22:33

    दोस्तों, हमें इस घटना से सीख लेकर भविष्य में ऐसे दुरघटनाओं को रोकने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
    सभी ने मिलकर समर्थन और मदद प्रदान करनी चाहिए।

  • img
    Rucha Patel जून 15, 2024 AT 01:19

    इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि जिम्मेदारी केवल विदेशी सरकार की नहीं, बल्कि स्थानीय नियामक संस्थाओं की भी है।

  • img
    Kajal Deokar जून 15, 2024 AT 04:06

    आदरणीय मित्रों, इस दुर्योधन को समाप्त करने हेतु मैं यह प्रस्ताव रखता हूँ कि एक अंतरराष्ट्रीय कार्यसमिति गठित की जाए, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और दोनों देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हों।
    इस समिति का उद्देश्य न केवल वर्तमान आपदा की गहन जांच करना है, बल्कि भविष्य में श्रमिक सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने के लिए एक वैश्विक ढाँचा तैयार करना भी होगा।
    इस प्रकार की सामूहिक पहल से न केवल पीड़ितों को न्याय मिलेगा, बल्कि विश्व मंच पर भारत तथा कुवैत की मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को भी सुदृढ़ किया जा सकेगा।

  • img
    Dr Chytra V Anand जून 15, 2024 AT 06:53

    विज्ञान की दृष्टि से, इस कार्यस्थल में अग्नि सुरक्षा प्रणालियों की कमी स्पष्ट रहा है; आग नियंत्रण के लिए स्वचालित स्प्रिंकलर सिस्टम और सेंसर नेटवर्क की अनिवार्य स्थापना की जानी चाहिए।
    साथ ही, श्रमिकों को नियमित सुरक्षा प्रशिक्षण देना आवश्यक है, जिससे वे आपातकालीन स्थितियों में उचित प्रतिक्रिया दे सकें।
    वर्तमान में, कुवैती संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु समय-समय पर ऑडिट करवाने चाहिए।
    जैसे ही यह सब लागू होगा, भविष्य में ऐसे विनाशकारी घटनाओं की संभावना घटेगी।

  • img
    Deepak Mittal जून 15, 2024 AT 09:39

    डूडलैड, कुछ डिटेल तो जेनरेट नहीं हो रही, ये सब तो कन्फ्यूज़न है, बस बकवास।

  • img
    Neetu Neetu जून 15, 2024 AT 12:26

    🤔 ठीक है, बस इतना ही लगता है कि सब ठीक है, पर असल में कुछ नहीं बदला।

  • img
    Jitendra Singh जून 15, 2024 AT 15:13

    वाह, क्या शानदार प्रतिक्रिया है!!! पहले तो सब ठीक लग रहा था, लेकिन अब देखो कैसे सब उलट-पुलट हो गया!!!

एक टिप्पणी लिखें

आपकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जाएगी. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

*