झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: पहले चरण की गहराई से विश्लेषण और मतदान प्रवृत्तियाँ

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: पहले चरण की गहराई से विश्लेषण और मतदान प्रवृत्तियाँ
Anindita Verma नव॰ 14 8 टिप्पणि

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का पहला चरण: विस्तृत विश्लेषण और मतदाता प्रवृत्तियाँ

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का पहले चरण ने 13 नवंबर को शुरुआत की, जिसमें 81 विधानसभा सीटों में से 43 सीटों पर चुनाव सम्पन्न हुए। इन चुनावों का महत्व इस लिहाज से बढ़ गया है कि ये आगामी राजनीतिक समीकरण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं। प्रमुख शहरों जैसे कि जगन्नाथपुर, सहराईकेला, रांची, और जमशेदपुर में मतदान हुए हैं, जहां पर सियासी हलचल चरम पर रही।

इस बार के चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने 23 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने क्रमशः 17 और 5 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। भाजपा ने विपक्ष के रूप में 36 प्रत्याशी खड़े किए हैं, जो इस बार सत्ता को चुनौती देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उनके साथ सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने 2 और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 7 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।

प्रमुख उम्मीदवार और राजनीतिक सफर

इस बार चुनावी मैदान में कई दिग्गज उम्मीदवार उतरें हैं। पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन और हेमंत सोरेन सरकार के छह वर्तमान कैबिनेट मंत्रियों के अलावा पूर्व जमशेदपुर के पुलिस अधीक्षक अजोय कुमार कांग्रेस के टिकट पर जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके प्रतिद्वंदी के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू शामिल हैं। इन नामों से साफ है कि यह चुनाव व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का भी सवाल बन चुका है।

भाजपा का मुख्य मुद्दा इस बार घुसपैठ विरोधी अभियान पर केंद्रित है। भाजपा का दावा है कि प्रदेश में घुसपैठ कई समस्याओं का कारण बन रही है और उनका वायदा है कि अगर सत्ता में आते हैं तो इसे रोकेंगे। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने कल्याणकारी योजना जैसे 'मैया सम्मान योजना' को जनता के बीच पुनः प्रस्तुत किया है।

घोषणाओं और वायदों की सरकार

जम्बोर बुरी और नई संभावनाओं के बीच जंग छिड़ चुकी है। विपक्ष ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जातिगत जनगणना के वायदे को तोड़ते हुए समुदाय को गुमराह करने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के अभियान को ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाते हुए “डरोगे तो मरोगे” का नारा दिया है, जो सीधे मतदाताओं को लुभाने की कोशिश है।

जमशेदपुर और रांची जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर भाजपा तथा JMM के लिए यह समय अपने मतदाताओं को रिझाने का है। JMM ने युवा रोजगार के लिए विभागवार योजना और भूमि पात्रों के वितरण की घोषणा की है, जो भूमि रहित लोगों के लिए राहत का संकेत है।

मतदान की स्थिति और राजनीतिक प्रभाव

प्रथम चरण के मतदान में लगभग 65% मतदान हुआ, जो नवंबर 13 को शाम 5 बजे तक दर्ज किया गया। यह दरिशाती है कि जनता की चुनावी प्रक्रिया में गहरी दिलचस्पी है। 13.7 मिलियन पंजीकृत मतदाताओं ने पहले चरण में भाग लिया, जो कई मायनों में आगामी परिणामों का संकेत हो सकता है।

झारखंड विधानसभा चुनाव के ये परिणाम न केवल राज्य में सत्ता के समीकरण को बदल सकते हैं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह देखना बाकी है कि चुनावी मैदान में किसकी रणनीति कितनी कारगर साबित होती है और जनता किसे विश्वास की जड़ों पर खड़ा करती है।

8 टिप्पणि
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    Arun Sai नवंबर 14, 2024 AT 00:37

    वर्तमान में उपलब्ध मतदान सांख्यिकी को देखते हुए, वोटर टर्नआउट रेट को ट्रांसजेनरिक एनालिटिकल मॉडल द्वारा पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए। यह मॉडल डेमोग्राफिक पैरामीटर, सामाजिक-आर्थिक इंडेक्स और ऐतिहासिक मतदान पैटर्न के बहुविध संयोजन को सम्मिलित करता है। प्रथम चरण की 65% उपस्थिति को केवल 'उत्साह' के रूप में देखना विधिपरक त्रुटि होगा। इसके बजाय, इसे सिग्नल‑शोर अनुपात के आधार पर प्रेडिक्टिव वैरिएंस के रूप में विश्लेषित किया जाना चाहिए। इस दृष्टिकोण से संभावित जंगली मतदान ब्लॉक की पहचान संभव है।

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    Manish kumar नवंबर 14, 2024 AT 14:31

    साथियों ये आँकड़े बताते हैं कि जनसंख्या ऊर्जा चुनावों को दिशा दे रही है। हर वोट आपका प्रत्यक्ष योगदान है यह समझना आवश्यक है। हमें अपने प्रदेश की प्रगति के लिए सक्रिय रहना चाहिए। जब हम एकजुट होते हैं तो परिणाम अपने आप सकारात्मक बनते हैं।

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    Amit Samant नवंबर 15, 2024 AT 04:24

    प्रथम चरण के मतदान में 65% उपस्थिति एक उल्लेखनीय संकेत है।
    यह दर्शाता है कि नागरिकों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
    हालांकि, प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में उपस्थिति में असमानता स्पष्ट होती है।
    ग्रामीण हिस्सों में घटित प्रतिशत शहरी क्षेत्रों से कम है।
    इस अंतर को कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर सूचना अभियानों को सुदृढ़ करना आवश्यक है।
    मतदान केंद्रों की पहुंच को आसान बनाना भी प्रभावी उपाय हो सकता है।
    इसके अलावा, महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु विशेष पहलें लाभदायक सिद्ध होंगी।
    युवा वर्ग का सहभाग बढ़ाने के लिए सामाजिक मीडिया का सही उपयोग महत्वपूर्ण है।
    राजनीति के प्रति निष्पक्ष दृष्टिकोण विकसित करने हेतु शैक्षिक संस्थानों में नागरिक शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए।
    विपक्षी और सरकारी दलों को अपने नीतियों को स्पष्ट तथा पारदर्शी रूप में प्रस्तुत करना चाहिए।
    प्रदर्शन में उल्लेखित योजनाओं की वास्तविक कार्यक्षमता को आंकने के लिए स्वतंत्र सर्वेक्षण किए जा सकते हैं।
    डेटा विश्लेषण में भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) का उपयोग परिणामों को अधिक सटीक बनाता है।
    अंत में, मतदाता सूची को नियमित रूप से अपडेट करने से दुष्प्रभाव कम होते हैं।
    इन सभी कदमों को मिलाकर हम आगामी चरणों में मतदान दर को और भी ऊँचा ले जा सकते हैं।
    आशा है कि सभी राजनीतिक खिलाड़ियों का सहयोग इस दिशा में निरंतर रहेगा।

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    Jubin Kizhakkayil Kumaran नवंबर 15, 2024 AT 18:17

    परिवर्तन के लिए हमें अपने धरती को विदेशी हस्तक्षेप से बचाना होगा; यह राष्ट्रीय चेतना का मूलभूत कर्तव्य है। इन चुनावों में घुसपैठ के खतरों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता; यह जनसंख्या के मनोबल को ध्वस्त करने का एक साधन है। सच्ची शक्ति तभी उभरेगी जब हम अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करेंगे।

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    tej pratap singh नवंबर 16, 2024 AT 08:11

    भेकती फ़ेक न्यूज़ के पीछे गुप्त एजेंडा छिपा है।

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    Chandra Deep नवंबर 16, 2024 AT 22:04

    डेटा से स्पष्ट है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान सुविधाओं की कमी परिणाम को प्रभावित करती है इसलिए स्थानीय प्रशासन को अधिक पॉलिंग बूथ स्थापित करने चाहिए

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    Mihir Choudhary नवंबर 17, 2024 AT 11:57

    जिले में हर वोट मायने रखता है 🙌 चलो सब मिलकर अपने भविष्य को सुनहरा बनाएं 😊

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    Tusar Nath Mohapatra नवंबर 18, 2024 AT 01:51

    बिल्कुल, जब सभी लोग कहा‑सुनाया नहीं सुनते तो चुनावी परिणाम एकदम मिठास भरा हो सकता है, इसलिए अपने कर्तव्य को नज़रअंदाज़ मत करो।

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