
एशिया कप 2025 में भारत ने पाँच मैच जीतकर एकदम धूम मचा दी, पर इस चमक के पीछे एक बड़ा धब्बा रह गया – फील्डिंग की गिरावट। India fielding woes शब्द अब सिर्फ एक अनुच्छेद नहीं, बल्कि टीम की जेब में दबी एक चेतावनी बन गया है।
फील्डिंग की स्थिति: आंकड़े और घटनाएँ
टूर्नामेंट के सात मैचों में भारतीय सफ़ाई दर सिर्फ 67.6% रही। कुल 25 कैचिंग मौके में से 12 मौके पर फील्डर चूक गए – यह आँकड़ा उन्हें आठ टीमों में से दूसरा सबसे खराब बनाता है, सिर्फ हांगकांग से नीचे। सबसे शर्मनाक मोड़ तब आया जब बांग्लादेश के टॉप स्कोरर सैफ़ हैसन के खिलाफ खेल में पाँच कैच ड्रॉप हो गये। वह 40, 65, 66 और 67 रन बनाते‑बनाते चार बार ‘जीवित’ हुआ – यह पहली बार T20I इतिहास में हुआ कि एक भारतीय टीम ने एक ही बल्लेबाज के चार कैच ड्रॉप कर दिया।
इसी तरह की चूक पाकिस्तान के खिलाफ सुपर फोर में भी देखी गई। छह विकेट से जीत के बावजूद चार मौक़े ऐसे थे जहाँ पकड़ नहीं पाई, जिससे मैच की दिशा बदल सकती थी। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने तो हँसते‑हँसाते फील्डिंग कोच टी. दिलीप को ई‑मेल में ‘बटर लगा हाथों में’ कहकर मज़ाक बनाया, पर यह सब एक गहरी समस्या की ओर संकेत करता है।

आगे का रास्ता: सुधार के कदम और संभावित असर
फील्डिंग की बारीकी सिर्फ एक ‘अतिरिक्त’ नहीं, बल्कि हर गेंद पर दबाव डालने वाला मुख्य हथियार है। जब फील्डर कैच नहीं ले पाते, तो बॉलर को दो‑तीन अतिरिक्त ओवर काम करने पड़ते हैं, जो अंततः टीम की ऊर्जा कम कर देता है। बांग्लादेशी बल्लेबाज़ को कई ‘जिंदगी’ मिलने से भारतीय बॉलरों पर अधिक दबाव बढ़ा, जो अक्सर तेज़ गति से स्कोरिंग की ओर ले जाता है।
कोचिंग स्टाफ ने अब तक कई उपायों का ज़िक्र किया है – ड्रिल‑सेशन में तेज़ रिफ्लेक्सेज़, फील्डिंग तकनीक में सुधार और टीम के हर सदस्य को ‘जिम्मेदारी’ देना। अगर फाइनल में इस समस्या को नहीं सुधारा गया, तो भारत को ताक़तवर प्रतिद्वंद्वी जैसे पाकिस्तान, सिंगापुर या विएतनाम का सामना करना पड़ेगा, जहाँ फील्डिंग भी कड़ी होती है।
भले ही भारत की बैटिंग और बॉलिंग अब तक बेहतरीन रही – अभिषेक शर्मा की फोर, कुलदीप यादव और जम्प्रित बुमराह की वॉल्टेज – लेकिन फील्डिंग के बिना जीत का पूरक नहीं बन पाता। फाइनल में एक दौर में दो‑तीन अतिरिक्त कैच ड्रॉप की कीमत मुश्किल से ही चुकाई जा सकेगी। इसलिए इस बार भारतीय टीम को अपने ‘हाथों की सफ़ाई’ को पहले से ज्यादा गंभीरता से लेना होगा, ताकि एशिया कप का ख़िताब सुरक्षित रूप से उनके पास ही रहे।
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