घाटकोपर में होर्डिंग गिरने से 73 वाहन क्षतिग्रस्त, मलबे को हटाया जा रहा है

घाटकोपर में होर्डिंग गिरने से 73 वाहन क्षतिग्रस्त, मलबे को हटाया जा रहा है
Anindita Verma मई 17 12 टिप्पणि

मुंबई के उपनगरीय घाटकोपर में सोमवार शाम को तेज हवाओं और भारी बारिश के दौरान एक विशाल 120 फीट x 120 फीट के होर्डिंग के ढहने के बाद खोज और बचाव अभियान संपन्न हो गया है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 16 लोगों की जान चली गई और 75 अन्य घायल हो गए। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और मुंबई अग्निशमन दल की सहायता से 66 घंटों तक चले बचाव प्रयास अब समाप्त हो चुके हैं।

हादसे के मौके से 73 क्षतिग्रस्त वाहनों के मलबे को बाहर निकाला गया है, जिनमें 30 दोपहिया वाहन, 31 चार पहिया वाहन, 8 ऑटोरिक्शा और 2 भारी वाहन शामिल हैं। ये सभी वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गए थे और उन्हें मालिकों द्वारा दावा करने के लिए पुलिस को सौंप दिया गया है।

JCB, डंपर, क्रेन और अन्य उपकरणों का उपयोग करके अभी भी मलबे को हटाया जा रहा है। पेट्रोल पंप की टंकियों में ईंधन के भंडार के कारण एक एहतियाती उपाय के रूप में मुंबई अग्निशमन दल अभी भी मौके पर मौजूद है।

होर्डिंग गिरने से भारी तबाही

यह विशाल होर्डिंग एक व्यस्त सड़क और पेट्रोल पंप के पास स्थित था, और जब यह गिरा तो इसने राहगीरों और वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया। इस घटना से आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई और लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश करने लगे।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, होर्डिंग पहले झुका और फिर एक भयानक आवाज के साथ नीचे गिर गया, जिससे कई लोग उसके नीचे दब गए। वाहनों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया और कई लोग इसके मलबे में फंस गए।

तत्काल बचाव अभियान शुरू

घटना की सूचना मिलते ही बीएमसी, एनडीआरएफ और मुंबई अग्निशमन दल ने तत्काल बचाव अभियान शुरू कर दिया। उन्होंने मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए काम किया और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भेजा गया।

बचावकर्मियों ने जेसीबी मशीनें, गैस कटर और अन्य उपकरणों का उपयोग करके मलबे को हटाया और लोगों तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाया। उन्होंने लगातार काम किया ताकि घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता मिल सके।

घटना के कारणों की जांच

अधिकारियों ने कहा कि इस घटना के कारणों की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि होर्डिंग की स्थिरता और इसकी स्थापना में शामिल एजेंसियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी।

मुंबई में भारी बारिश के मौसम के दौरान इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई इमारतें और संरचनाएं गिरी हैं, जिनमें कई लोग हताहत हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन घटनाओं से बचने के लिए नियमित निरीक्षण और रखरखाव आवश्यक है।

पीड़ितों को सहायता

बीएमसी ने इस घटना में मारे गए लोगों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है। घायलों का इलाज सरकारी खर्च पर किया जाएगा।

घाटकोपर होर्डिंग हादसा एक दुखद घटना है जो शहरी बुनियादी ढांचे और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल उठाती है। इससे सबक लेकर भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए उपाय किए जाने चाहिए।

मुंबई के निवासियों ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया है और पीड़ितों के प्रति संवेदना जाहिर की है। ऐसे समय में समाज को एकजुट होकर प्रभावितों की हर संभव मदद करनी चाहिए।

12 टिप्पणि
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    Disha Haloi मई 17, 2024 AT 20:46

    घाटकोपर की इस घातक दुर्घटना में देखी गयी लापरवाही हमारी राष्ट्रीय चेतना को धड़का देती है। ऐसा लगता है कि बड़े विज्ञापन बोर्डों की सुरक्षा को सख़्त पारितंत्र की जरूरत है, नहीं तो ऐसी त्रासदियाँ बार-बार दोहराएंगी। सरकार को तुरंत सख़्त मानक बनाकर इस तरह की संरचनाओं की जाँच करवानी चाहिए। हमारे नागरिकों की जान को खेल की चीज़ नहीं बनाना चाहिए।

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    Mariana Filgueira Risso मई 17, 2024 AT 23:00

    यह घटना बताती है कि भारी वर्षा के मौसम में सार्वजनिक स्थानों में अस्थायी संरचनाओं का रखरखाव कितना महत्वपूर्ण है। नगर निगम को नियमित निरीक्षण और प्रमाणित स्थापित करने वाले ठेकेदारों की सख़्त चयन प्रक्रिया अपनानी चाहिए। साथ ही, आपदा प्रबंधन टीम को इस तरह के आपदाओं के लिए अधिक प्रशिक्षित और सुसज्जित होना चाहिए। जनता को भी सावधानी बरतना आवश्यक है।

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    Dinesh Kumar मई 18, 2024 AT 00:40

    हम सभी को इस तरह की दुर्घटनाओं से सीख लेकर भविष्य में बेहतर तैयारी करनी चाहिए। एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए, स्थानीय प्रशासन की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए। यह न केवल बचाव कार्यों को तेज़ करेगा बल्कि आपदा के बाद की पुनःस्थापना को भी सरल बनाएगा। आशा है कि इस दर्दनाक अनुभव से सीखकर हम एक सुरक्षित शहर बना पाएँगे।

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    Hari Krishnan H मई 18, 2024 AT 02:53

    भाई लोग, बारिश में ऐसे बड़े होर्डिंग गिरना तो बर्दाश्त नहीं होता। वो लोग जो बिच में इबारत लगाते हैं, उन्हें थोड़ा और सोच समझ कर काम करना चाहिए। नहीं तो एहतियात के साथ फटता नहीं तो फिर से वही सीन दोहराएंगे।

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    umesh gurung मई 18, 2024 AT 05:06

    सही कहा आपने; इस प्रकार के संरचनात्मक तत्वों की स्थापना में अनेक तकनीकी मानकों का पालन अनिवार्य है; विशेषकर मोन्टेज़ की स्थिरता एवं फाउंडेशन की गहराई को ध्यान में रखना चाहिए; नगरपालिका को इस दिशा में सख्त निरीक्षण प्रक्रिया अपनानी चाहिए; इससे भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोका जा सकता है।

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    sunil kumar मई 18, 2024 AT 07:20

    घाटकोपर में हुई होर्डिंग दुर्घटना को हम केवल एक तुच्छ आपदा नहीं, बल्कि शहरी नियोजन में तुरीयता का स्पष्ट प्रमाण मान सकते हैं। पहली बात, विज्ञापन संरचनाओं की लोड‑बेरिंग क्षमता को सही ढंग से कैलकुलेट करने के लिए एल्गोरिदमिक स्ट्रेस‑इवैल्यूएशन मॉडल अपनाना आवश्यक है। दूसरा, मौसमी वायुगतिकीय टर्ब्युलेंस को पार्शियल डिफरेंस एक्सप्रेशंस के माध्यम से प्रिडिक्ट करना चाहिए, जिससे ऑप्टिकल सेंसर्स रियल‑टाइम अलर्ट दे सकें। तृतीय, स्थापित बोर्ड के फाउंडेशन में फ़्रीज्ड ग्राउंड‑इम्प्रेशन टेस्ट का प्रयोग न किया गया, जो एक गंभीर चूक है। चतुर्थ, स्थानीय निकायों को बिल्डिंग कोड में क्लॉटहाउसिंग प्रोटोकॉल को एम्बेड करना चाहिए, जिससे मेरे जैसे स्क्रीन‑राइटर भी समझ सकें कि यह कितना नाज़ुक है। पंचम, एम्बेडेड फिज़िकल सेंसर नेटवर्क का अभाव इस मामले में स्पष्ट है, जिससे फ्रेमवर्क में अस्थिरता की प्रीडिक्शन नहीं हुई। षष्ठ, आपदा‑मॉड्यूलेशन सिमुलेशन में एनालिटिकल हाइड्रो‑डायनामिक पैरामीटर्स को सम्मिलित नहीं किया गया, जिससे रेनफॉल इंटेंसिटी का सही आकलन नहीं हो सका। सप्तम, एम्बेडेड फिज़िकल सेंसर नेटवर्क का अभाव इस मामले में स्पष्ट है, जिससे फ्रेमवर्क में अस्थिरता की प्रीडिक्शन नहीं हुई। अष्टम्, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए रेगुलेटरी बॉडीज को इंटेलिजेंट मॉनिटरिंग डैशबोर्ड्स का उपयोग करना चाहिए, जो रीयल‑टाइम डाटा फीड के आधार पर एवल्यूएशन कर सके। नवम्, इस घटित घटना ने हमें यह भी सिखाया कि बायो‑मैकेनिकल इम्पैक्ट एनालिसिस को डिफ़ॉल्ट स्टैंडर्ड बना देना चाहिए। दशम्, भविष्य में इस तरह की संरचनाओं को डिप्लॉय करने से पहले कम्पोज़िट एन्क्रीप्टेड सार्मिका का उपयोग अनिवार्य होना चाहिए। एकादश, एक बार फिर से यह सिद्ध होता है कि इंडस्ट्री 4.0 के तहत स्मार्ट‑सेंसर इंटीग्रेशन नहीं किया गया तो त्रुटियों की संभावना बढ़ती है। द्वादश, स्थानीय प्रशासन को एविडेंस‑बेस्ड पोलिसी मेकिंग को अपनाकर नियमों को अपडेट करना चाहिए। तेरह, इस घटना की पोस्ट‑मोर्टेम विश्लेषण में नॉन‑लीनियर डायनामिक मॉडल की सहायता लेनी चाहिए। चौदह, सार्वजनिक संवाद में सोशल‑मीडिया एंगेजमेंट टूल्स का उपयोग करके रियल‑टाइम फीडबैक लेना चाहिए। पंद्रह, अंत में, सभी संबंधित पक्षों को इस सीख को एकीकृत करके शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर की रे़सिलिएंसी को बढ़ाना चाहिए।

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    prakash purohit मई 18, 2024 AT 09:33

    क्या आपको नहीं लगता कि इस बड़े बोर्ड को गिराने में कहीं न कहीं गुप्त शक्ति तो नहीं जुड़ी? अक्सर ऐसी घटनाएँ बड़े कॉरपोरेट इंटरेस्ट के सुरक्षा ढाँचे को तोड़ने के लिए भी उपयोग में लाई जाती हैं। हमें इसका गहराई से जाँच करना चाहिए।

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    Darshan M N मई 18, 2024 AT 11:46

    बड़े विज्ञापन बोर्ड का गिरना बहुत खतरनाक था लेकिन अब साफ़ हो रहा है कि प्रशासनिक लापरवाही ही कारण थी

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    manish mishra मई 18, 2024 AT 14:00

    असली मसला तो ये है कि लोग ऐसे बड़े विज्ञापन बोर्ड को इतनी बेतुकी जगह पर क्यों लगा देते हैं 🤔 शायद शहर के नियोजन में ही भुगतान हो रहा हो।

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    tirumala raja sekhar adari मई 18, 2024 AT 16:13

    सिर्फ़ वाहनों को बर्बाद ही नही लोगको बी मार गया।

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    abhishek singh rana मई 18, 2024 AT 18:26

    सबको बताया जाता है कि ऐसी बड़ी संरचनाओं की जाँच करने के लिये नियमित एन्ड-परफ़ॉर्मेंस टेस्ट ज़रूरी है; यदि इन टेस्टों को समय पर नहीं किया गया तो ऐसी दुर्घटनाएँ हो सकती हैं; इसलिए नगरपालिका को एक कड़ाई से शेड्यूल बनाना चाहिए; साथ ही, स्थानीय लोगों को भी ऐसी संरचनाओं के आसपास सावधानी बरतनी चाहिए; इससे भविष्य में नुकसान कम होगा।

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    Shashikiran B V मई 18, 2024 AT 20:40

    लगता है इस गिरावट में कोई छिपी हुई डिजिटल सिग्नल इंटरफ़ेरेंस भी शामिल थी, इसलिए हमें तकनीकी जाँच भी करनी चाहिए।

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